संघर्ष की राह पर नोएडा एक्वा लाइन के सैकड़ों मेट्रो कर्मचारी, मांग नहीं मानने पर बड़े प्रदर्शन की तैयारी

नोएडा मेट्रो एक्वा लाइन में प्रमोशन नीति को लेकर कर्मचारियों में भारी रोष है, और कर्मचारी बड़े प्रदर्शन की तैयारी में जुटे हैं...

Update: 2024-08-02 15:58 GMT

प्रमोशन पॉलिसी के खिलाफ नोएडा एक्वा लाइन के सैकड़ों मेट्रो कर्मचारी आंदोलन की राह पर

Noida Metro Aqua Line workers protest Against Promotion Policy : नोएडा मेट्रो एक्वा लाइन में प्रमोशन नीति को लेकर कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है। कर्मचारियों में अपने एमडी यानी नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एमडी लोकेश एम के खिलाफ काफी गुस्सा है और उनका आरोप है कि पदोन्नित में अनियमिततायें बरतकर प्रबंधन द्वारा उनका शोषण किया जा रहा है। पिछले कई दिनों से मेट्रो कर्मचारी काली पट्टी बांधकर मौन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और उनका कहना है कि जब तक उनकी बातें प्रबंधन मान नहीं लेता, तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा।

प्रबंधन के खिलाफ आरोप लगा रहे कर्मचारियों की शिकायत है कि नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (NMRC) द्वारा नोएडा मेट्रो एक्वा लाइन के कर्मचारियों के लिए जो प्रमोशन नीति अपनायी जा रही है वह उनके साथ सरासर अन्याय है, क्योंकि प्रबंधन की पॉलिसी के मुताबिक जो लोग पिछले 6.5 साल से काम कर रहे हैं, उसे सिर्फ 4 साल गिना जा रहा है। इसके खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए जब कुछ कर्मचारी नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एमडी लोकेश एम के पास उनके आफिस पहुंचे तो उन्होंने उनकी बात सुनने से साफ इंकार कर दिया। पीड़ित कर्मचारियों का आरोप है कि एमडी ने हमारी बात सुनना तो दूर हमसे मिलना भी मुनासिब नहीं समझा, हां उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई किये जाने की बात जरूरी सामने आयी।

कर्मचारियों को कैसे लगा कि उनके साथ हो रहा छलावा

नोएडा मेट्रो एक्वा लाइन पदोन्नि में अनियमितताओं एवं कर्मचारियों के उत्पीड़न के बाबत नोएडा मेट्रो संयुक्त कर्मचारी संघ से जुड़े कर्मचारी सिलसिलेवार घटनाक्रम के बारे में बताते हैं कि 21 मई 2024 को नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और एनएमआरसी के प्रबंध निदेशक लोकेश एम. से अनुमोदन के बाद मानव संसाधन विभाग नोएडा मेट्रो द्वारा "पदोन्नि सह अवशोषण नीति" जारी की गई थी। ट्रेन ऑपरेटर, जूनियर इंजीनियर, मेंटेनर/टैक्निीशियन, ग्राहक संबंध सहायक और कार्यालय सहायक समेत नोएडा मेट्रो के लगभग 487 कर्मचारी पदोन्नि सह अवशोषण नीति के खिलाफ थे। इन लोगों के मुताबिक यह नीति मेट्रो कर्मचारियों के भविष्य के विकास में योगदान नहीं देती है और आंतरिक कर्मचारियों के लिए समयबद्ध, गैर रिक्त स्थान/गैर चयनआधारित पदोन्न प्रणाली का पालन नहीं करती है, ऐसा इसलिए क्योंकि कर्मचारियों का मूल वेतन पहले ही अगली पदोन्नति के न्यूनतम वेतनमान को पार कर चुका है। ​चूंकि एनएमआरसी पर कोई वित्तीय बोझ नहीं है, इसलिए नीति को कैडर के भीतर सभी गैर कार्यकारी कर्मचारियों के पक्ष में होना चाहिए।

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पदोन्नति सह अवशोषण नीति चूंकि 21 मई को जारी की गयी थी, इसलिए 28 मई, 2024 को नोएडा मेट्रो संयुक्त कर्मचारी संघ के छह कार्यकारी सदस्यों ने इस नीति को बदले जाने की मांग रखने के लिए एनएमआरसी के प्रबंध निदेशक लोकेश एम से मिलने की कोशिश की, क्योंकि उनके पास इस नीति को बदलने और कुछ बदलाव करने का अधिकार था। मगर बजाय कर्मचारी संघ के सदस्यों की बात सुनने के एनएमआरसी के एचओडी स्तर के प्रबंधन ने सभी छह कर्मचारियों को ​बिना कारण बताये 36 दिन के लिए निलं​बित कर दिया।

36 दिनों तक इन कर्मचारियों को न सिर्फ निलंबित रखा गया, ब​ल्कि इस दौरान उन्हें नौकरी से निकालने की धमकियाँ भी प्रबंधन द्वारा दी गयीं। जब पूर्व कार्यकारी निदेशक सतीश पाल ने मई 2024 में बिना आरोपपत्र के निलंबन वापस ले लिया तो कर्मचारियों में उम्मीद जगी कि इस नीति में प्रबंधन कुछ बदलाव कर सकता है, ऐसा उन्हें आश्वासन भी दिया गया, मगर कार्यकारी निदेशक द्वारा कर्मचारी संघ के कर्मचारियों का निलंबन वापस लेने के बाद भी उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया। अब इसके खिलाफ कर्मचारी संघ ने कमर कस ली है और कह रहे हैं कि "पदोन्नि सह अवशोषण नीति" को लेकर मेट्रो कर्मचारी संघ चुप नहीं बैठेगा।

आवाज उठाने वालों पर ही प्रबंधन का पहला प्रहार

इस सबके बीच 15 जुलाई को प्रबंधन ने कर्मचारी संघ के उचित प्रतिनिधित्व के बिना, कर्मचारियों की मांग को समझे बिना मेंटेनर्स/टेक्नीशियन और ग्राहक संबंध सहायकों के लिए पदोन्नित सूची जारी कर दी गयी। इस पदोन्नति सूची के विरोध में नोएडा मेट्रो संयुक्त कर्मचारी संघ ने 16 जुलाई 2024 से सांकेतिक प्रदर्शन शुरू कर दिया गया। 17 जुलाई 2024 को ईडी महेंद्र प्रसाद ने कर्मचारियों को शाम 5 बजे मीटिंग के लिए बुलाया, जिसमें 70 कर्मचारियों ने हिस्सेदारी कर अपना विरोध व्यक्त किया। ईडी महेंद्र प्रसाद ने मौखिक रूप से कर्मचारियों को सकारात्मक आश्वासन दिया कि उनकी बात सुनी जायेगी। आश्वासन मिलने के बाद NMSKS ने मौन विरोध प्रदर्शन किया, प्रबंधन की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया का इंतजार करने लगे।

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जहां एक तरफ कर्मचारी संघ को मीटिंग में ईडी महेंद्र प्रसाद ने मौखिक आश्वासन दिया था, वहीं दूसरी तरफ 18 जुलाई 2024 को मानव संसाधन विभाग ने जूनियर इंजीनियर्स एवं स्टेशन कंट्रोलर्स की दूसरी सूची जारी कर दी गयी। प्रबंधन द्वारा इस तरह की धोखाधड़ी से गुस्साये कर्मचारी संघ ने 19 जुलाई 2024 को नोएडा मेट्रो डिपो के सभागार में पदोन्नत कर्मचारियों के साथ बैठक आयोजित की। बैठक में कार्यकारी निदेशक एवं एनएमआरसी के ​वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। सभी मेट्रो कर्मचारियों ने मानव संसाधन विभाग द्वारा बनाई गई विवादास्पद पदोन्नत नीति और 15 एवं 18 जुलाई 2024 को विभाग द्वारा जारी की गयी पदोन्नति सूची के खिलाफ कड़ी असहमति दर्ज की, क्योंकि कोई भी मेट्रो कर्मी इस पदोन्नति को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था, इसलिए सभी ने इसे एक सिरे से खारिज किया और प्रमोशन नीति में संशोधन की अपनी मांग दोहरायी। मगर पहले जहां ईडी महेंद्र प्रसाद ने कर्मचारी संघ को मौखिक आश्वासन दिया था, इस बार वह मौकास्थल से बिना कोई प्रतिक्रिया दिये चले गये।

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कर्मचारी संघ ने नोएडा मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को संकल्प पत्र लिखकर भी पदोन्नति में अनियमितता, यूनियन पदाधिकारियों और मेट्रो कर्मचारियों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया है। नोएडा मेट्रो संयुक्त कर्मचारी संघ ने 16 जुलाई 2024 को निकाले गए संकल्प पत्र में सभी कर्मचारियों की तरफ़ से मांगें रखीं की पदोन्नति नीति सूची का तत्काल निरस्तीकरण किया जाये, NMSKS पदाधिकारियों के विरुद्ध उत्पीड़नकारी गतिविधियों को वापस लिया जाये और विज्ञापन NMRC/HR/Rectt./05/2024 को वापस लिया जाये।

इस संकल्प पत्र के बाद 20 जुलाई 2024 को कार्यकारी निदेशक ने NMSKS के कार्यरत सदस्यों की बैठक बुलाई थी, जिसमें कार्यकारी निदेशक ने आश्वासन दिया की जल्द ही इस पदोन्नति नीति को तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए एक समीक्षा समिति बनाई जाएगी और हमारी उचित मांगों पर सकारात्मक विचार होगा। मिडल मैनेजमेंट द्वारा माननीय कार्यकारी निदेशक के आश्वासन के विपरीत और कर्मचारियों के मांगों पर विचार किए बिना ही मेट्रो कर्मचारियों, जिनमें प्रमुख रूप से ट्रेन ऑपरेटर, जूनियर इंजीनियर, मेंटेनर्स, ग्राहक संबंध सहायक और कार्यालय सहायक इत्यादि शामिल हैं, को मिडल मैनेजमेंट द्वारा धमकी दी जा रही है कि अगर वे पदोन्नति स्वीकृति प्रपत्र पर 2-3 दिनों के अंदर हस्ताक्षर नहीं करेंगे क्योंकि पदोन्नति स्वीकृति प्रपत्र पर हस्ताक्षर करने की आखिरी तारीख़ में लगभग 27 दिन बचे हैं तो उन्हें निलंबित या नौकरी से निकाल दिया जाएगा।

संकल्प पत्र में कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया है कि पिछले कई दिनों से मिडल मैनेजमेंट द्वारा Pway, Civil विभाग और कुछ अन्य विभागों के कर्मचारियों को अपने कमरे में बुलाकर यह कहा गया कि या तो आप पदोन्नति स्वीकृति प्रपत्र पर हस्ताक्षर करें या फिर अपना आरोपपत्र लें, जोकि पूरी तरह से मनगढ़ंत है। इन विभागों के कर्मचारियों को पदोन्नति स्वीकृति प्रपत्र पर हस्ताक्षर न करने पर उनके विभाग बदलने की धमकी भी दी जा रही है, जो कि भर्ती विज्ञापन के ही खिलाफ़ है। इन समस्त घटनाओं के बाद सभी कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए NMSKS ने दिनांक 24 जुलाई 2024 को कार्यरत सदस्यों की आपातकालीन बैठक बुलाई, जिसमें सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि अगर मिडल मैनेजमेंट द्वारा मेट्रो कर्मचारियों को विभाग बदलने, नौकरी से निकालने, निलंबित करने की धमकी और विवादित पदोन्नति स्वीकृति प्रपत्र पर जबरदस्ती हस्ताक्षर कराये गये या किसी पर भी दुर्भावना से प्रेरित होकर कोई भी क़दम उठाया गया तो, नोएडा मेट्रो संयुक्त कर्मचारी संघ तत्काल प्रभाव से धरने पर उतरेगी। इस धरने की और धरने के बाद कोई भी अनहोनी होती है या फिर मेट्रो की प्रतिष्ठा को नुकसान या मानहानि होती है, तो इसका जिम्मेदार मिडल मैनेजमेंट और मानव संसाधन विभाग ही होगा।

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गौरतलब है कि नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएमआरसी) के कर्मचारी पिछले कई दिनों से काली पट्टी बांधकर मौन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्मचारी संघ का कहना है कि मांगों के नहीं माने जाने तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।

क्या है कर्मचारियों की मांग

मेट्रो कर्मचारी संघ मांग कर रहा है कि प्रमोशन पॉलिसी को होल्ड पर रखकर उसमें कर्मचारियों द्वारा सुझाए गए बिंदुओं को शामिल किया जाये। इसमें मुख्य रूप से एनएमआरसी कर्मचारियों का वेतनमान DMRC के वेतनमान जैसा रखने की मांग की जा रही है।

इसके अलावा कर्मचारी संघ की मांग है कि निलंबित किये गये 6 कर्मचारियों के खिलाफ दायर फर्जी आरोपपत्र वापस लिया जाये और जीएम पंकज कुमार की नोएडा मैट्रो से वापसी हो। इसके अलावा भविष्य में मेट्रो मेनेजमेंट द्वारा जान-बूझकर किसी भी कर्मचारी का मानसिक और आर्थिक शोषण न किया जाये।

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