पीलिया रोग से पूर्वांचल समेत बिहार के जिलों में भी बर्बाद हुई धान की फसल, प्रशासन ने साधी चुप्पी

कोरोना और मंदी की मार झेल रहे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती जिलों के किसानों पर हल्दिया रोग नया कहर बनकर टूटा है, लेकिन न यूपी में और न ही बिहार में इस तबाही पर प्रशासन सजग दिख रहा है...

Update: 2020-10-22 12:01 GMT

हरदा रोग के कारण तबाह हो गयी है किसानों की धान की फसल

जनज्वार, देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में लगी धान की फसलों पर तेजी से फैल रहे हरदा रोग को लेकर सबसे पहले खबर की और किसानों व प्रशासन को सजग किया। जनज्वार की खबर के बाद किसानों की बढ़ी चिंता के बीच जिले के किसानों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। देवरिया की सलेमपुर तहसील में किसानों ने धरना भी दिया है और मांग की है कि किसानों की हो रही इस बर्बादी की प्रशासन भरपाई करे।

जनज्वार में किसानों की धान की लहलहाती फसल तबाह होने की वीडियो रिपोर्ट जनज्वार पर प्रकाशित होने के बाद स्थानीय मीडिया ने भी इसे कवर किया और प्रशासन के सामने यह सवाल उठा। हालांकि अभी तक शासन-प्रशासन ने किसानों के हित में कोई फैसला ​नहीं लिया है और न ही उन्हें किसी तरह का मुआवजा देने की घोषणा की है। अलबत्ता किसान-मजदूर संगठनों ने इसके खिलाफ जरूर हुंकार भर दी है। 

सलेमपुर तहसील क्षेत्र के किसानों की धान के फसल में लगे हल्दिया रोग से हो रहे नुकसान से बचाव की मांग को लेकर सोमवार 19 अक्टूबर को मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने तहसील गेट पर धरना दिया। साथ ही मांगें पूरा नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।

इस मामले में प्रेमचंद यादव कहते हैं, मार्च से कोरोना महामारी की मार किसान झेल रहे हैं। किसी तरह मेहनत कर धान की फसल तैयार किए। फसल काफी अच्छी थी तो मौसम की मार के कारण नुकसान हो गया। जो फसल बची है उसे हल्दिया रोग ने चपेट में ले लिया है। जिला व तहसील प्रशासन से रोगों के बचाव व उपचार कराने एवं फसल नुकसान की जांच करा उन्हें मुआवजा दिलाने की मांग की।

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सतीश कुमार कहते हैं, किसानों को काफी क्षति पहुंची है। इसका मुआवजा मिलना चाहिए। तहसील में 2 दिन चले किसानों के धरने के बाद एसडीएम ने सर्वे कराने का आश्वासन दिया है। हालांकि एसडीएम ने किसानों के धरने को गैरकानूनी बताते हुए कठोर कार्यवाही करने की धमकी भी दी है।

एसडीएम के रवैये पर क्षुब्ध किसान नेता कहते हैं, किसानों की बेबसी और मजबूरी पर प्रशासन को और आज के चुने हुए नेताओं को जिस तरह आगे आना चाहिए, वह कहीं दिखाई नहीं दे रहा। बजाय किसानों की बात समझ उनकी मदद को आगे बढ़ने के पूरे मामले में प्रशासन का रवैया कहीं भी किसानों के प्रति संवेदनशील नहीं दिखा।

इस मामले में किसान हौसला मिश्र ने बताया कि यह रोग सिर्फ देवरिया के खुखुंदू और सलेमपुर इलाके में ही नहीं फैला है, जिले के सभी क्षत्रों समेत कुशीनगर और गोरखपुर की ओर भी तेजी से पसर रहा है।

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बिहार के गोपालगंज जिले के भोरे, कंटया और हथुआ से लौटे सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत कुमार सोनू ने बताया कि इन क्षेत्रों के भी किसान हल्दिया रोग से बर्बाद हो रहे हैं। रास्ते में हर पीला-पीला धुंआ का गुबार उठ रहा है।

गोपालगंज जिले के युवा किसान और राजनीतिक कार्यकर्ता ऋषभ मिश्र बताते हैं, 'मैं अहियापुर गांव का हूं।।हम लोगों ने भी एक बीघे धान की फसल लगाई थी, लेकिन पूरी फसल हरदा रोग की चपेट में आ गयी है। जहां कम्पाइन मशीनों से धान की फसल की कटाई हो रही है वहां तो ऐसा लग रहा है जैसे पीला अबीर पूरे इलाके में उड़ा दिया गया हो।'

सिवान जिले के दरौली के किसान अभिषेक श्रीवास्तव की माने तो उनकी फसल पूरी तौर पर बर्बाद हो गयी है, लेकिन चुनाव होने के बावजूद हम किसानों की बर्बादी किसी के लिए कोई चर्चा का विषय नहीं है।'

देवरिया के समाजवादी पार्टी जिला कार्यकारिणी सदस्य नित्यानंद त्रिपाठी बताते हैं, 'ज्यादा बारिश के कारण यह हरदा या हरदिया रोग धान पर लगा है। किसानों में इतनी जागरूकता नहीं है कि वह इसे सरकारी नीतियों का परिणाम मानें, उन्हें लगता है यह प्राकृतिक आपदा है। पार्टी जल्द ही किसानों के इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाएगी।'

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