बनभूलपुरा बस्ती बचाने के लिए पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसालविज पहुंचे पीड़ितों के बीच

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि साल 2022 के अंत तक प्रत्येक गरीब को पक्का मकान दिए जाने की प्रधानमंत्री की घोषणा के विपरीत जाते हुये इन लोगों को बसे बसाए घर से बेघर किया जा रहा है...

Update: 2023-01-27 03:51 GMT

Banbhoolpura News : बनभूलपुरा स्थित चर्चित जिस मामले में सुनवाई करते हुए पचास हजार की आबादी वाली बस्तियों को उजाड़ने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाई है, उस मामले में बस्ती बचाने के लिए पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसालविज ने गणतंत्र दिवस के मौके पर बृहस्पतिवार 26 जनवरी को बनभूलपुरा का स्थलीय निरीक्षण कर मौके की स्थिति को जाना।

अपनी टीम के साथ हल्द्वानी पहुंचे कॉलिन ने क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन की रजनी जोशी, उपपा नेता पीसी तिवारी व स्थानीय निवासियों के साथ रेलवे स्टेशन, ढोलक बस्ती, गफूर बस्ती, लाइन नंबर 17 सहित कई क्षेत्रों का निरीक्षण करते हुए लोगों से उनके भवनों के स्टेटस की भी जानकारी ली।

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उन्होंने कुल प्रभावित लोगों, कुल प्रभावित विद्यार्थियों, विध्वंस के दायरे में आने वाले स्कूल, सरकारी इमारतों और मलिन बस्तियों की भी अलग अलग जानकारी ली। निरीक्षण के बाद में कॉलिन कुछ देर के लिए सपा नेता अब्दुल मतीन सिद्दीकी के आवास पर भी रुके, जहां उन्होंने पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि मामले में सर्वोच्च न्यायालय में मानवीयता के पहलू को जिस प्रकार प्रमुखता दी है, उससे भरोसा है कि न्यायालय का निर्णय बस्तीवासियों के पक्ष में आएगा।

गौरतलब है कि उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के फैसले की आड़ में प्रशासन हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में कथित तौर पर रेलवे की भूमि पर 4365 घरों में रहने वाली करीब पचास हजार की आबादी को अतिक्रमणकारी मानते हुए इन्हें यहां से उजाड़े जाने की तैयारी में है। इस भूमि पर रहने वालों के कई लोगों के पास जमीनों के पट्टे तो कई के पास रजिस्ट्री के कागज हैं। यहां बसी 90 फीसदी से अधिक आबादी अल्पसंख्यक होने के कारण राज्य सरकार की दिलचस्पी इनकी किसी भी मदद में नहीं है।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि साल 2022 के अंत तक प्रत्येक गरीब को पक्का मकान दिए जाने की प्रधानमंत्री की घोषणा के विपरीत जाते हुये इन लोगों को बसे बसाए घर से बेघर किया जा रहा है।

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