बाघ ने कर दिया है ग्रामीणों का जीना मुहाल, सरकार जनता को सुरक्षा देने में नाकाम-आदमखोर को मारे जाने का मांगा अधिकार

भारत सरकार द्वारा जंगल को लेकर बनाए गए काले कानूनों के कारण हम ग्रामीणों की जान माल खतरे में है। उत्तराखंड में टाइगर व तेंदुओं का आतंक चरम पर है और सरकार जनता को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रही है। प्रमोद तिवारी को पिछले 18 अप्रैल को अपना शिकार बनाने वाला टाइगर गांव में ही घूम रहा है। उसे न तो अब तक पकड़ा गया है और न ही मारा गया है...

Update: 2024-04-22 17:27 GMT

Ramnagar news : रामनगर स्थित बासीटीला गांव में विचरण कर रहे आदमखोर टाइगर को मारे जाने का अधिकार जनता को दिये जाने व जंगली जानवरों और बंदरों से इंसानों, फसलों व मवेशियों की सुरक्षा की मांग को लेकर संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा आयोजित बैठक में 28 अप्रैल को रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट के कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है।

ग्राम बासीटीला में आयोजित बैठक में ग्रामीणों ने कहा कि भारत सरकार द्वारा जंगल को लेकर बनाए गए काले कानूनों के कारण हम ग्रामीणों की जान माल खतरे में है। उत्तराखंड में टाइगर व तेंदुओं का आतंक चरम पर है और सरकार जनता को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रही है। प्रमोद तिवारी को पिछले 18 अप्रैल को अपना शिकार बनाने वाला टाइगर गांव में ही घूम रहा है। उसे न तो अब तक पकड़ा गया है और न ही मारा गया है।

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बैठक में ग्रामीणों ने कहा कि 22 फरवरी को विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने अपने कार्यालय पर हुए धरने के दौरान आश्वासन दिया था कि जंगली जानवरों से सुरक्षा के मुद्दे को विधानसभा में उठाया जाएगा, परंतु उनका आश्वासन झूठा साबित हुआ है और जनता को जंगली जानवरों से सुरक्षा नहीं दी गई है।

बैठक में समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने कहा कि टाइगर और तेंदुए अब उत्तराखंड में विलुप्त प्रजाति नहीं रह गए हैं अब ये लोगों के गांव और घरों तक आ रहे हैं। उत्तराखंड में टाइगर की संख्या 560 से भी ज्यादा है तथा तेंदुओं की संख्या 3000 से भी ज्यादा है। अतः इन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की संरक्षित अनुसूची 1 से बाहर किया जाए तथा इन्हें मारने या पकड़े जाने के लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से अनुमति लिए जाने के प्रावधान को खत्म कर किया जाए।

आनन्द सती ने जंगली जानवरों के हमले में मारे गए प्रमोद तिवारी समेत अन्य व्यक्तियों के परिजनों को 25 लाख रुपया मुआवजा तथा मृतक आश्रित को नियमित सरकारी नौकरी देने की मांग की।

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बैठक में कुबेर सिंह, सुखबिंदर सिंह, ग्राम प्रधान हीरा सिंह, जोगा सिंह, मनदीप सिंह, हंसी देवी, तारा दत्त, तीरथ सिंह, रमेश जोशी, अजमेल सिंह, रेखा जोशी, जयंती नेगी, अनिल कड़ाकोटी बसंतबल्लभ, माया नेगी, पीसी जोशी, रोहित रुहेला, सोवन तड़ियाल, मुनीष कुमार, सरस्वती जोशी, संजय मेहता, ललिता रावत, चिंताराम, ललित पांडे, मौ. आसिफ, समेत बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भागीदारी की।

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