MP में ईसाई शख्स की जय जय श्रीराम न बोलने पर पिटाई वाले मामले में दलित सांसद चंद्रशेखर बोले ये घटना भीड़तंत्र और धार्मिक फासीवाद का खतरनाक उदाहरण !
'मध्यप्रदेश के जिला झाबुआ के गांव पाटड़ी चौकी क्षेत्र में ईसाई समाज के रावजी डामर जी को जबरन “जय श्री राम” बोलने के लिए मजबूर करना और मना करने पर उनके साथ मारपीट करना भीड़तंत्र और धार्मिक फासीवाद का खतरनाक उदाहरण है। किसी भी नागरिक की आस्था उसकी निजी स्वतंत्रता है। “जय श्री राम बोल, नहीं तो टुकड़े कर दूंगा” जैसी धमकियां न धर्म हैं, न राष्ट्रवाद-ये आतंक की मानसिकता हैं....
MP News : मध्य प्रदेश के झाबुला स्थित पाटड़ी चौकी गांव में ग्रामीणों द्वारा ईसाई शख्स रावजी डामर पर जय श्रीराम बोलने के लिए दबाव डालने और मारपीट करने से संबंधित घटना का वीडियो वायरल होने के बाद नगीना से दलित सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इसकी कड़ी निंदा की है। हालांकि ग्रामीणों का आरोप है कि रावजी डामर लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए उकसा रहा था। पुलिस ने इस मामले में पुदोनों पक्षों की शिकायत पर FIR दर्ज कर दी थी।
इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए नगीना से दलित सांसद चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, 'मध्यप्रदेश के जिला झाबुआ के गांव पाटड़ी चौकी क्षेत्र में ईसाई समाज के रावजी डामर जी को जबरन “जय श्री राम” बोलने के लिए मजबूर करना और मना करने पर उनके साथ मारपीट करना भीड़तंत्र और धार्मिक फासीवाद का खतरनाक उदाहरण है। किसी भी नागरिक की आस्था उसकी निजी स्वतंत्रता है। “जय श्री राम बोल, नहीं तो टुकड़े कर दूंगा” जैसी धमकियां न धर्म हैं, न राष्ट्रवाद-ये आतंक की मानसिकता हैं।
चंद्रशेखर अपने वेरीफाइड एक्स हैंडल पर लिखते हैं, 'धर्म परिवर्तन का आरोप लगाकर किसी व्यक्ति को सरेआम पीटना, डराना या अपमानित करना कानूनन अपराध है। यदि कोई शिकायत है तो उसका समाधान संवैधानिक प्रक्रिया से होगा, न कि सड़क पर सज़ा सुनाकर। दुखद यह है कि यह घटना कोई अपवाद नहीं है। आगरा में 38 वर्षों से टैक्सी चला रहे बुज़ुर्ग कैब ड्राइवर रहीस जी के साथ भी 24 नवंबर को यही हुआ—ताजमहल मेट्रो पार्किंग में उन्हें “जय श्री राम” बोलने के लिए मजबूर किया गया, मना करने पर दाढ़ी खींची गई, थप्पड़ मारे गए और धमकियां दी गईं।उनका पूरा परिवार दहशत में आ गया था। बेटे कह रहे थे -“अब्बा, बाहर मत निकलो, टैक्सी बेच देंगे।” यह डर किसी एक व्यक्ति का नहीं, देश के अल्पसंख्यक नागरिकों के मन में बैठाया गया डर है।
हम मुख्यमंत्री मोहन यादव जी से कहना चाहते हैं कि धार्मिक नारे किसी की देशभक्ति का प्रमाण नहीं होते। आस्था थोपना, संविधान रौंदना है। अल्पसंख्यकों पर हमले को “शंका” या “आरोप” के नाम पर कभी भी सही नहीं ठहराया जा सकता।
चंद्रशेखर कहते हैं, हम मध्य प्रदेश सरकार से माँग करते हैं कि रावजी डामर के साथ मारपीट और धमकी देने वालों पर सख्त धाराओं में कार्रवाई हो। पीड़ित को तत्काल सुरक्षा, चिकित्सा और न्याय मिले। धर्म परिवर्तन के आरोपों की निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच सुनिश्चित की जाए। साथ ही भारत सरकार से अपेक्षा करते हैं कि देश में बढ़ती धार्मिक हिंसा, जबरन धार्मिक नारे लगवाने और अल्पसंख्यकों को डराने की घटनाओं पर स्पष्ट नीति और जवाबदेही तय की जाए। भारत नारे से नहीं, संविधान से चलता है। जो आस्था को लाठी बनाते हैं, वे देश की आत्मा पर हमला करते हैं।