जमीनी हकीकत : झारखंड के पिछड़े इलाके के इन आदिवासी-पहाड़िया गांवों में कब तक पहुंचेगा हर घर नल जल?
जब सरकारें हर घर स्वच्छ नल जल पहुंचाने के अभियान में जुटीं हैं, तब भी झारखंड के अधिकतर आदिवासी गांव पानी के लिए सामुदायिक व्यवस्था पर निर्भर हैं। पर, जब वे भी अराजकता की शिकार हो जाती हैं तो इस समुदाय की परेशानी कई गुणा बढ जाती है। जानिए जमीनी सच्चाई...
जनज्वार। आदिवासी बहुल झारखंड का संताल परगना एक ऐसा इलाका है जहां आदिवासियों के साथ ही आदिम जनजातियों की बड़ी संख्या हैं। आदिम जनजातियों में अधिकतर पहाड़ों पर ही जीवन को गुजारने में सहज महसूस करते हैं और मौलिक सुविधाओं के अभाव में यह आबादी कई गंभीर बीमारियों का शिकार होती रहती है। अधिकतर पहाड़िया गांवों में सबसे बड़ी समस्या स्वच्छ पेयजल की है। सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गई सुविधाओं के निष्क्रिय, निष्प्रभावी होने की वजह से वे पारंपरिक प्रदूषित जल स्रोतों पर निर्भर रहते हैं जिससे बीमारियों के शिकार हो जाया करते हैं।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब प्रधानमंत्री से लेकर विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री तक हर घर स्वच्छ नल जल पहुंचाने के अभियान में जुटे हैं तो आदिवासी व पहाड़िया समुदाय को यह सुविधा कब तक मिलेगी। फिलहाल यह तबका सामुदायिक प्राकृतिक व सरकारी सामुदायिक जल स्रोतों पर ही निर्भर हैं। इनकी परेशानी तब बढ जाती है जब सरकारी सामुदायिक जल व्यवस्था उपेक्षा व अव्यवस्था का शिकार हो जाती है।
संताल परगना के दुमका व अन्य जिलों में ऐसे सैकड़ों गांव हैं। ऐसा ही एक गांव गोपीकांदर प्रखंड के कुशचिरा पंचायत के अन्तर्गत गुम्मापहाड़ी है। इस गांव में पीने के पानी का घोर संकट (ground reality of drinking water supply in jharkhand tribal village) है। इस गांव में पहाड़िया आदिम जनजाति, संताल और घटवार जाति के लोग रहते हैं। गांव में लगभग 200 परिवार हैं, जिनकी जनसंख्या करीब 1200 है। इस गांव में कुल चार टोला हैं और हर टोले की दूरी एक-दूसरे से आधा से एक किलोमीटर की है।
पहाड़िया टोला का हाल, सारे चापानल खराब
पहाड़िया टोला में करीब 115 घर हैं, जहां पेयजल के लिए चार चापानल और कल्याण विभाग द्वारा एक सोलर ड्रिंकिंग वाटर सिस्टम लगाया गया है है। इसमें रामलाल गृह, जगेश्वर देहरी, सुखदेव देहरी के घर के सामने का चापाकल करीब एक वर्ष से और ज्ञानदेव देहरी के घर के सामने का चापानल करीब तीन वर्ष से ख़राब है। सोलर ड्रिंकिंग वाटर सिस्टम ठीक काम कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि सोलर ड्रिंकिंग वाटर सिस्टम से पहाड़िया टोला को प्रयाप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है और ठंड के मौसल में सूर्य का प्रकाश ठीक से नहीं मिलने के कारण बहुत कम पानी निकलता है। सोलर ड्रिंकिंग वाटर सिस्टम से प्रयाप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं होने और सभी चापानल ख़राब होने के कारण ग्रामीणों को झरना, डोभा का प्रदूषित पानी पीने के लिय मजबूर होना पड़ता है। ग्रामीण कहते हैं: इस टोला में एक और सोलर टंकी नया बोरिंग कर लगायी गई थी, लेकिन उसे ब्लाॅक वालों ने पुनः यह कह कर उठा कर ले गये कि यह दूसरे गांव का है जो गलती से इस टोला में लगा दिया गया था। पहाड़िया टोला के ही करीब 18 घर करीब आधा किलोमीटर के दूरी पर हैं। यहां कोई भी चापानल नहीं है। यहां के ग्रामीण सिंचाई कुआं से अपनी प्यास बुझाते हैं। ग्रामीणों की मांग है कि यहां दो नई डीप बोरिंग कर चापानल लगाया जाये।
घटवार टोला का ऐसा है हाल
घटवार राय टोला में करीब 21 घर हैं। यहां उच्च प्राथमिक विद्यालय सहित कुल तीन चापानल हैं, जिसमें सुनील कुमार मरांडी के घर के सामने का चापानल करीब एक वर्ष से खराब है। वहीं, विद्यालय का चापानल बहुत देर बाद गंदा और कम पानी देता है और मरांग हेम्ब्रोम के घर के सामने का चापानल चार-पांच बाल्टी पानी देता है। उसके बाद चलाने से गंदा पानी निकलता है।
संताल टोला में तीनों चापानल खराब
संताल टोला में करीब 50 घर हैं। इस टोला में आंगनबाड़ी को लेकर कुल तीन चापानल हैं, जिसमें आंगनबाड़ी का चापानल करीब एक वर्ष से, सोनोती मरांडी के घर के सामने का चापानल करीब तीन वर्ष से ख़राब है और सुशील मुर्मू के घर के सामने का चापानल करीब एक वर्ष से कम पानी देता है। संताल टोला में एक वर्ष पूर्व आंगनबाड़ी और मेकाइल के घर के सामने नई बोरिंग की गई थी, लेकिन अब तक उसमें हैंडल व हेड नहीं लगाया गया है।
बेड़ा टोला का हाल
बेड़ा टोला में चापानल ठीक है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रयाप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं होने के कारण सरकार द्वारा बनाये गये शौचालय का उपयोग नहीं हो पा रहा है और लोग गंदा व प्रदूषित पानी पीने से बीमार होते रहते हैं।
ग्रामीणों ने खराब चापानल की मरम्मत के लिए जल सहिया एलबिना देवी के माध्यम से मुखिया और गोपीकांदर के प्रखंड विकास पदाधिकारी को लिखित आवेदन कई महीने पूर्व ही दिया था, लेकिन अबतक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस संबंध में पूछने पर कहा जाता है कि अबतक चापानल की मरम्मत के लिए फंड नहीं आया है।
ग्रामीणों ने दुमका की उपायुक्त से मांग की है कि गांव के सभी चापानल की जल्द मरम्मत करवायी जाय ताकि स्कूली बच्चों सहित ग्रामीणों को पीने का स्वच्छ पानी मिल सके। लोगों ने सभी टोलों में सोलर टंकी लगावाने की भी मांग की है। पहाड़िया टोला के लोगों की मांग है कि उनके यहां की सोलर टंकी को बिचली से संचालित किया जाए जिससे जाड़े व बारिश के मौसम में कम धूप रहने पर भी पानी की कमी नहीं हो।