Nabarangpur : वन माफियाओं ने आदिवासियों के घरों में लगाई आग, मक्के की फसल को किया बर्बाद, लोग राष्ट्रपति से पूछ रहे ये सवाल

सोशल मीडिया पर लोग राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या ये मामला आपके संज्ञान में नहीं है। आप ही बताएं, इसमें मेरा क्या कसूर है?

Update: 2022-08-16 03:50 GMT

Nabarangpur : एक तरफ पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव के शोर में डूबा है, तो दूसरी तरफ ओडिशा ( Odisha ) के नबरंगपुर ( Nabarangpur ) जिले में वन संरक्षण के नाम पर वहां के माफिया आदिवायियों पर कहर ढा रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में नवरंगपुर वन संरक्षण समिति के नेताओं ने न केवल आदिवासियों ( Tribal Community ) के घरों को   के हवाले कर दिया बल्कि मक्के की फसल को भी बर्बाद कर दिया है। मामला सामने आने के बाद लोग राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ( President Draupdi Murmu ) और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ( Smriti Irani)  से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या ये मामला आपके संज्ञान में नहीं है। आप ही बताएं, इसमें मेरा क्या कसूर है?

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यह घटना ओडिशा के नबरंगपुर जिले की है। यहां पर कपासाभाटा बुर्जा आदिवासी परिवारों के घरों को उमरकोट वन संरक्षण समिति के माफियाओं ने दिन दहाड़े और सबके सामने वन संरक्षण के नाम पर आग के हवाले कर दिया। इतना ही नहीं उनके मक्के के फल फूल रहे फसल को भी बर्बाद कर दिया। आगजनी की घटना में गरीब लोगों के घर में रखा अनाज भी जल गया। इस घटना के बाद आदिवासी समाज में भय व्याप्त है। लोग फफककर रो हैं। जाएं तो जाएं कहां, कहां से लायें खाना, कैसे तैयार करें अपना घर, माफियाओं के हमलों और बर्बरता से उन्हें कौन बचाएगा।

आदिवासी समाज ( Tribal community ) के लोगों पर बर्बरता की ये कहानी अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायर हो रही है। सोशल मीडिया यूजर पूनम पांका ने इस घटना पर गहरी संवेदना जाहिर करते हुए इस घटना की तस्वीर पूरी दुनिया से साझा की है और गरीब आदिवासियों को न्याय दिलाने की की मांग की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि ओडिशा में आदिवासी जनता का जीवनण्क्या है? बीजेडी और भाजपा के लोगों को किसी के रोजी-रोटी की भी चिंता नहीं हे। हम इस अमानवीय घटना का विरोध और निंदा करते हैं।

वनाधिकार नियमों का उल्लंघन


यह घटना वन अधिकार अधिनियम 2, संशोधित वन अधिकार अधिनियम 2 और वन अधिकार कानून 3 सरासर उल्लंघन है। बिना ग्राम सभा की अनुमति के बिना आदिवासीयों के मक्के की फसल को वन विभाग ने नेताओं नष्ट क्यांं किया। उन्होंने आदिवासियों के घरों में आग क्यों लगाई। वन संरक्षण के नाम पर गुंडागर्दी करने वाले ये लोग वन संरक्षण के नाम केवल आदिवासी को कुचलने का काम कर रहे हैं। अगर ये लोग वास्तव में वन संरक्षण चाहते हो तो पहले इन जनजातियों की रक्षा करें। आदिवासियों सुरक्षित महसूस करेंगे तो यहां के वन, पहाड़ व झरने सबके सब खुद ब खुद संरक्षित हो जाएंगे।

कहां हैं राष्ट्रपति, पीएम और स्मृति ईरानी, क्या उन्हें इन आदिवासियों की चिंता नहीं है

वहीं मानक चंद नामक फेसबुक यूजर लिखा है आदिवासी समाज गलत हो रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपील है इन आदिवासियों को न्याय दिलाएं। वहीं राजकुमार चौधरी ने सवाल उठाया है कि क्या ये मामला राष्ट्रपति मुर्मू के संज्ञान में नहीं है? राजेश शर्मा ने पूछा है कि राष्ट्रपति जी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी क्या कर रही हैं। अनिकेत कुमार ने लिखा है इस अमानवीय घटना का मैं विरोध करता हूं। उन्होंने पीएम मोदी से पूछा है कि आप तो हर जनसभा में आदिवासियों की सुरक्षा और सम्मान का दावा करता हैं, क्या केवल भाषण देने से ही आदिवासियों के जीवन में बदलाव आ जाएगा।

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