उत्तराखण्ड में दलित लड़की का प्रतिबंधित शब्द के साथ तहसील ने जारी किया जाति प्रमाणपत्र, मचा बवाल
प्रतिबंधित शब्दों को प्रयोग करने वाले के विरुद्ध एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किए जाने का प्रावधान है, लेकिन इस सबके बाद भी जाति प्रमाणपत्र पर प्रतिबंधित शब्द का उल्लेख कर उत्तराखण्ड के अनुसूचित जाति समाज का अपमान किया गया....
सलीम मलिक की रिपोर्ट
रामनगर, जनज्वार। उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले में अनुसूचित जातियों के लिए पूर्व में प्रयुक्त होने वाले तथा वर्तमान में कानूनी रूप से प्रतिबंधित शब्द के साथ जाति प्रमाणपत्र जारी किए जाने का एक मामला सामना आने से राज्य के अनुसूचित जाति समाज में भारी रोष व्याप्त हो गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए शिकायत के बाद सक्रिय हुए अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब करते हुए प्रमाण पत्र को निरस्त करने के निर्देश दिए हैं।
घटनाक्रम के अनुसार अल्मोड़ा जनपद के ग्राम हड़ौली भैंसोड़ी निवासी राजनराम की पुत्री रिया ने अल्मोड़ा तहसील में अपने जाति प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया था। आवेदन संख्या UK01CA0104/210026442 पर पटवारी आदि की रिपोर्ट की औपचारिकता के बाद तहसीलदार संजय कुमार द्वारा 15 जुलाई 2021 को रिया का जाति प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया, लेकिन तहसील प्रशासन द्वारा जाति प्रमाणपत्र में एक प्रतिबंधित शब्द का प्रयोग किये जाने से राज्य के अनुसूचित जाति समाज में रोष पनप गया।
देखते ही देखते तहसील स्तर से हुई इस चूक की चर्चा सोशल मीडिया के माध्यम से अनुसूचित जाति समाज के प्रतिष्ठित, राजनैतिक लोगों तक पहुंची तो मामले ने तूल पकड़ लिया। बहुजन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शीशपाल सिंह आर्य ने इस प्रकरण की शिकायत अल्मोड़ा जिला प्रशासन, काबिना मंत्री यशपाल आर्य, राज्य अनुसूचित जाति आयोग से करते हुए मामले की जांच कर दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की मांग करनी शुरू कर दी, जिसके बाद सक्रिय हुए राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन से प्रकरण की बाबत पूरी रिपोर्ट तलब की है।
शीशपाल सिंह आर्य ने इस प्रकरण को गम्भीर बताते हुए कहा कि मनुवादी मानसिकता के कुछ लोग समय-समय पर इस प्रकार की हरकतें करते हुए अनुसूचित जाति के लोगों का अपमान करते हुए उनको मनोवैज्ञानिक रूप से हतोत्साहित करते रहते हैं। पूर्व में विभिन्न जातियों को संबोधित करने के लिए ऐसे अपमानजनक शब्द प्रयुक्त किये जाते थे, लेकिन समय के साथ इन शब्दों को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
इतना ही नहीं इन प्रतिबंधित शब्दों को प्रयोग करने वाले के विरुद्ध एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किए जाने का प्रावधान भी है, लेकिन इस सबके बाद भी जाति प्रमाणपत्र पर प्रतिबंधित शब्द का उल्लेख कर उत्तराखण्ड के अनुसूचित जाति समाज का अपमान किया गया है। उत्तराखण्ड की मूल निवासी जातियों के लिए 'शिल्पकार' शब्द का प्रयोग किया जाता है, जो कि संविधान की पांचवी अनुसूची में क्रमांक 64 पर भी अंकित है। आर्य ने पूरे प्रकरण की जांच कर जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की है, जिससे भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं कज पुनरावर्त्ति न हो सके।
इस मामले में राज्य अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष पीसी गोरखा ने जनज्वार से बात करते हुए कहा कि इस मामले में आवेदक ने ही अपने आवेदन पत्र में जाति का उल्लेख किया था। जिसे तहसील स्तर पर जांच के दौरान हटा दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यह गम्भीर संवैधानिक चूक है। उनके द्वारा अल्मोड़ा तहसील से इस प्रकरण की पूरी रिपोर्ट तलब की गई है। इसके साथ ही तहसील प्रशासन को तत्काल प्रभाव से विवादित जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर कर दूसरा प्रमाण पत्र बनाने के निर्देश दिए गए हैं। सोमवार 19 जुलाई को यह प्रमाण पत्र निरस्त कर नया प्रमाणपत्र निर्गत किया जाएगा।
खबर लिखे जाने तक इस मामले के तूल पकड़ने के बाद हल्का पटवारी प्रवीण सिंह रावत द्वारा रिया के घर जाकर विवादित प्रमाणपत्र वापस लिए जाने व परिवार से माफी मांगे जाने की सूचना है। सूत्रों के अनुसार हल्का पटवारी ने रिया के परिवार से अपनी नौकरी का हवाला देते हुए काम के बोझ की अधिकता के कारण हुई इस चूक को तूल न दिए जाने की भी गुजारिश की है।