Tripura News : बिप्लव देव सरकार के खिलाफ ब्रू आदिवासियों की बढ़ी नाराजगी, शाह को दिलाई समझौते की याद

Tripura News : ब्रू विस्थापित युवा संघ ने गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र के जरिये पुनर्वास प्रक्रिया को पूरा करने में देरी के लिए त्रिपुरा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

Update: 2022-04-05 16:37 GMT

ब्रू आदिवासियों की बढ़ी नाराजगी, शाह को दिलाई समझौते की याद 

Tripura News : करीब एक साल बाद त्रिपुरा ( Tripura ) में नई विधानसभा के गठन के लिए चुनाव होना है। दूसरी तरफ बिप्लव देव सरकार (Biplab Dev Government ) के खिलाफ ब्रू आदिवासियों ( Bru Tribals) में असंतोष चरम पर है। असंतोष की गहराई का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि त्रिपुरा के ब्रू आदिवासियों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ( Amit Shah ) से उनके पुनर्वास ( rehabilitation ) की प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया है। साथ ही बिप्लव देव सरकार के उदासीन रवैये की शिकायत भी की है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मिजोरम के मामित, कोलासिब और लुंगलेई जिलों में जातीय हिंसा से बचने के लगभग दो दशक बाद 32,000 ब्रू प्रवासियों को अब स्थाई तौर पर त्रिपुरा में बसाया जा रहा है। केंद्र सरकार, त्रिपुरा और मिजोरम की राज्य सरकारों और ब्रू प्रवासियों ( Bri migrants ) के बीच कई दौर की बातचीत के बाद यह फैसला जनवरी, 2020 में लिया गया था। ब्रू आदिवासियों ( Bru Tribals ) की शिकायत है कि समझौते के मुताबिक पुनर्वास योजना को लेकर काम की स्थिति संतोषजनक नही है। इससे नाराज आदिवासियों नरे दासदा ग्रामीण विकास खंड के ब्लॉक विकास अधिकारी ( बीडीओ ) के जरिये अमित शाह को एक पत्र भेजा है। अपने पत्र में ब्रू विस्थापित युवा संघ (बीडीवाईए) ने पुनर्वास प्रक्रिया को पूरा करने में देरी के लिए त्रिपुरा की बिप्लव देव सरकार के उदासीन रवैये को जिम्मेदार ठहराया है।

742 दिनों बाद भी पूरे नहीं हुए वादे

ब्रू विस्थापितों ( Bru Migrants ) ने अपने पत्र में 23 लंबित मुद्दों के समाधान के लिए 16 जनवरी, 2020 को नई दिल्ली में ऐतिहासिक समझौते के जरिए किए गए वादों का भी जिक्र किया है। समझौते के मुताबिक पुनर्वास के लिए भूमि या स्थान की पहचान को समझौते पर हस्ताक्षर के 60 दिनों के भीतर पूरा होना था और अस्थाई राहत शिविरों को बंद करने का काम 180 दिनों के भीतर पूरा किया जाना था। इसके उलट समझौता संपन्न हुए 742 दिन के बाद पुनर्वास प्रक्रिया का 90 फीसदी काम त्रिपुरा सरकार के लापरवाही भरे रवैये की वजह से लंबित पड़ा हुआ है। पत्र के जरिये ब्रू युवा संगठन ने दावा किया है कि कंचनपुर उपमंडल के तहत पुनर्वास प्रक्रिया केवल एक ही स्थान पर शुरू हो पाई है। गचिरामपारा, आनंदबाजार, मनु-चैलेंगटा, नंदीरामपारा और बिक्रमजयपारा आरक्षित वन में प्रस्तावित पुनर्वास स्थानों पर अभी तक कोई प्रगति हुई है।

वादों को पूरा करे सरकार

ब्रू युवा संगठन ने शाह से यह तय करने की अपील की है कि प्रवासी परिवारों के लिए जो पुनर्वास पैकेज की घोषणा हुई थी उसे पूरा किया जाए। पैकेज के तहत यह कहा गया था कि प्रत्येक परिवार को घर बनाने के लिए 0.03 एकड़ जमीन मिलेगी। आवास सहायता के रूप में 1.5 लाख रुपए, जीवनयापन के लिए चार लाख रुपए का लाभ, 5,000 रुपए का मासिक भत्ता और पुनर्वास की तारीख से दो साल तक मुफ्त राशन।

सांप्रदायिक हिंसा की वजह से पलायन को मजबूर हुए थे ब्रू आदिवासी

बता दें कि 1997 में मिजोरम में हुए जातीय संघर्षों में करीब 37 हजार ब्रू प्रवासियों ( Bru migrants ) ने वहां से पलायन किया था। उस समय इन प्रवासियों ने उत्तरी त्रिपुरा जिले के राहत शिविरों में शरण ली थी। नौ चरणों में हुए प्रत्यावर्तन के दौरान लगभग 5 हजार लौट गए लेकिन 2009 में दोबारा हुए संघर्षों में पहले से ज्यादा परिवार विस्थापित होकर त्रिपुरा आ गए। विस्थापितों के कल्याण के लिए पहले 2018 में और उसके बाद जून 2020 में हुए समझौते हुए। समझौते के मुताबिक 180 दिनों के अंदर सभी मांगों को पूरा करने का वादा किया गया था लेकिन 742 दिनों के बाद पुनर्वास प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। इस बात को लेकर लोगों में असंतोष है।

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