कब्रिस्तान में बदल गई गोशाला, भूख व बीमारी से दो दिन में एक दर्जन से अधिक गायों की मौत, JCB से दफन कराए जा रहे शव

शुक्रवार को जनपद की गोशाला में 10 गोवंश और मृत मिले। लगभग 12 गोवंश गोशाला में बीमार पड़े हैं। दो दिन में 18 गोवंशों की मौत का मामला मीडिया में आया तो बसरेहर ब्लॉक के अफसर टीम के साथ गोशाला पहुंच गए। गोशाला की व्यवस्थाओं को देखा...

Update: 2021-09-05 08:26 GMT

दो दिन में 18 गायों की मौत (photo-twitter)

जनज्वार, इटावा। देश में एक तरफ गाय (Cow) को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने की कवायद चल रही है, वहीं दूसरी तरफ गोशालाओं की स्थिति दयनीय है। यूपी के कई जिलों में आए दिन गोवंशों की मौत के मामले सामने आते रहते हैं। इसके बाद भी गोशालाओं की हालत नहीं सुधर रही है। जिले की सबसे बड़ी गोशाला बसरेहर ब्लॉक की परौली रामायन में दो दिन के भीतर 18 गोवंशों मौत हो चुकी है।

गोशाला में कई गोवंश अभी भी बीमार हैं। दो दिन में इतनी अधिक संख्या में गोवंशों की मौत की खबर पाकर अफसरों ने गोशाला पहुंचकर मौका मुआयना किया। डॉक्टरों की टीम ने बीमार गोवंशों का इलाज किया। बसरेहर ब्लॉक की ग्राम पंचायत परौली रमायन के गांव नगला हरी में बनी है जिले की सबसे बड़ी गोशाला।

इन दिनों गोशाला गोवंशों का कब्रिस्तान बन गया है। गोशाला में गोवंशों की मौत की खबर पाकर मीडिया कर्मी गुरुवार को वहां गए तो आठ गोवंश परिसर में मृत पड़े दिखाई दिए। इसके बाद भी पंचायत के अफसर गोवंशों की मौत पर पर्दा डालने की कोशिश करते रहे।

बीती शुक्रवार को जनपद की गोशाला में 10 गोवंश और मृत मिले। लगभग 12 गोवंश गोशाला में बीमार पड़े हैं। दो दिन में 18 गोवंशों की मौत का मामला मीडिया में आया तो बसरेहर ब्लॉक के अफसर टीम के साथ गोशाला पहुंच गए। गोशाला की व्यवस्थाओं को देखा। कर्मचारियों से बातचीत की। पशु चिकित्सक ने टीम के साथ गोवंशों के शवों को पोस्टमार्टम किया। इसके गोवंशों के शवों को परिसर में ही दफना दिया गया।

गोशाला में बने तालाब की मिट्टी का कटाव हो गया है। गोवंश उसी में फंस जाते हैं। इससे गोवंशों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। गोशाला में पीछे की तरफ लगे टिन शेड के नीचे भी दलदल है। शुक्रवार की सुबह ताखा ब्लॉक से गोशाला पहुंचे पशु चिकित्सक डॉ. विजय कुमार बीमार गोवंशों का इलाज किया। उन्होंने बताया गोवंश पर्याप्त मात्रा में हरा चारा न मिल पाने से बीमार हो रहे हैं। गोशाला परिसर दलदल हो जाने से गोवंश उसमें फंस जाते हैं और बीमार पड़ जाते हैं।

डॉ. विनीत पांडे ने बताया कि, गोवंशों की उम्रदराज होने की वजह से मौत हुई है। कुछ गोवंशों को ग्रामीणों ने छोड़ दिया था। उन्हें कमजोर अवस्था में गोशाला पहुंचा दिया गया। उनको हरा चारा दिया जा रहा है। इसके बाद भी उनका स्वास्थ्य नहीं सुधरता है, जिससे उनकी मौत हो रही है।

ग्राम पंचायत सचिव दुर्विजय का कहना है, गोशाला में गुरुवार को छह और शुक्रवार को नौ गोवंशों की मौत हुई है। कुछ गोवंश बीमार हैं। जिन गोवंशों की मौत हुई है, वह उम्रदराज थीं। गोशाला में गोवंशों के लिए पर्याप्त मात्रा में भूसा, हरा चारा, दाना सब कुछ मौजूद है।

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