Kanpur News: आंखों में फेवीक्विक डालकर तोड़े हाथ-पांव, 70 हजार में भिखारी गैंग को बेचे गये युवक की रोंगटे खड़े करती दास्तां

Kanpur News: सुरेश ने बताया कि खाने के लिए बस एक रोटी दी जाती थी। उसे उम्मीद नहीं थी कि जिंदा अपने घर वापस लौट सकेगा। सुरेश के चेहरे पर आज भी वह दहशत साफ देखी जा सकती है, जिसे वह जीकर आया है। घंटों पूछताछ के बाद पुलिस के सामने यह सभी चौंकाने वाले खुलासे हो पाए...;

Update: 2022-11-04 02:58 GMT
Kanpur News: आंखों में फेवीक्विक डालकर तोड़े हाथ-पांव, 70 हजार में भिखारी गैंग को बेचे गये युवक की रोंगटे खड़े करती दर्दनाक दास्तां

Kanpur News: आंखों में फेवीक्विक डालकर तोड़े हाथ-पांव, 70 हजार में भिखारी गैंग को बेचे गये युवक की रोंगटे खड़े करती दर्दनाक दास्तां

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Kanpur News: यूपी के कानपुर साउथ से बेहद सनसनीखेज मामला का खुलासा हुआ है। यहां 6 माह पहले नौकरी की तलाश में घूम रहे युवक को नौकरी का झांसा देकर बंधक बना लिया गया। इसके बाद उसे शहर में ही एक बंद कमरे में इस कदर पीटा गया कि उसके हाथ-पांव के पंजे टूट गये। यातनाओं का दोर यहीं समाप्त नहीं हुआ, बल्कि युवक की आखों में फेवीक्विक डालकर उससे भीख मंगवाई जाती रही। 

जानकारी के मुताबिक नौबस्ता के रवीन्द्र नगर निवासी 30 वर्षीय सुरेश मांझी को, उसके एक परिचित विजय ने नौकरी का झांसा देकर बंधक बना लिया। इसके बाद उसे झकरकटी पुल के एक कमरे में ले जाकर मारा-पीटा। उसके शरीर को कई जगह से दागा गया। आंखों में फेवीक्विक डालकर अंधा कर दिया गया। इसके बाद भी हैवानों का मन नहीं भरा तो उसे दिल्ली के एक भिखारी गैंग लीडर राज को 70 हजार रूपये में बेच दिया गया।

वहां यातनाओं को झेलते सुरेश की तबियत बिगड़ गई। जिसके बाद गैंग लीडर ने दो महीने पहले उसे आरोपी विजय के हाथों फिर कानपुर वापस भेज दिया। तब से आरोपी विजय उसे भूखा-प्यासा रखकर भीख मंगवा रहा था। रविवार को किदवई नगर चौराहे पर राहगीर की मदद से सुरेश नौबस्ता स्थित अपने घर पहुँच सका। यहां उसके दोनो भाइयों रमेश और प्रवेश उससे लिपटकर रोए। 

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गुरूवार 3 नवंबर की देर रात क्षेत्रीय पार्षद प्रशांत शुक्ला को घटना की जानकारी हुई तो उन्होने अन्य लोगों के साथ थाना नौबस्ता (Naubasta) में हंगामा किया। परिजनों से तहरीर दिलवाई गई। 

जीने की इच्छा ने जिंदा रखा 

भिखारी गैंग के शिकार बने सुरेश मांझी पर हुए जुल्म और यातनाओं की कहानी जिसने भी सुनी अंदर से कांप गया। हर कोई बस यही पूछता कि तुम जिंदा कैसे रहे? जिसपर सुरेश ने बस इतना कहा...मैं जीना चाहता था। मूलरूप से बिहार के रहने वाले सुरेश मांझी के माता-पिता का निधन हो चुका है। तीन भाइयों में वह सबसे छोटा है। बकौल सुरेश 6 माह पहले वह नौकरी के लिए भटक रहा था। तभी मछरिया गुलाबी बिल्डिंग निवासी विजय ने उसे नौकरी लगवाने की बात कही। 

गुरूवार रात थाने में हंगामा

उसने झकरकटी पुल के नीचे एक कमरे में उसे बंधक बना लिया। पीट-पीटकर हाथ पैर तोड़ दिये। वह रोज सुरेश की आंखों में केमिकल डालता था। तीन दिन तक वहां रखकर यातनाएं दी गईं। उसके बाद मछरिया के ही एक मकान में रखा गया। तब तक वह अंधा हो चुका था। सुनाई देना भी बंद हो चुका था। विजय ने उसके मुँह पर चापड़ से कई वार किये जिससे वह और भी विभत्स दिखने लगे। 

नशीले इंजेक्शन देकर रखते बेहोश 

बकौल सुरेश, दिल्ली के नांगलोई में उसे बंद कमरे में बंधक बनाकर रखा जाता था। वहां बहुत सारे उसी जैसे लोग रहते थे। हर सुबह सभी को सड़क-चौराहों पर फेंक दिया जाता था। दिन भर भीख मंगवाई जाती थी। शाम को कोई साहब आकर पूरा पैसा ले जाते थे। इसके बाद सभी को दोबारा उसी कमरे में बंद कर दिया जाता था। रात में उसे नशीले इंजेक्शन दिये जाते थे, जिससे वह बेहोश रहता था। दिनों दिन उसकी हालत बिगड़ती गई। 

जिंदा रहने को मिलती बस एक रोटी 

सुरेश ने बताया कि खाने के लिए बस एक रोटी दी जाती थी। उसे उम्मीद नहीं थी कि जिंदा अपने घर वापस लौट सकेगा। सुरेश के चेहरे पर आज भी वह दहशत साफ देखी जा सकती है, जिसे वह जीकर आया है। घंटों पूछताछ के बाद पुलिस के सामने यह सभी चौंकाने वाले खुलासे हो पाए। सुरेश ने बताया वह लोग 24 घंटे गैंग के सदस्यों की निगरानी में रहते थे। शहर के अलग-अलग हिस्सों में उनको छोड़ा जाता था। वे कहते ते कि अगर कोई सही दिखेगा तो बीख कौन देगा?

भीख मंगवाकर वसूले 70 हजार 

सुरेश के मुताबिक, उसकी तबियक काफी ज्यादा खराब हो गई थी। भिखारी गैंग के लीडर राज ने विजय से कहा कि उसको वापस कानपुर ले जाए। क्योंकि सुरेश को राज ने 70 हजार रूपये देकर खरीदा था। जिसके चलते उसे रोक लिया गया। जब भीख मंगवाकर इतनी रकम वसूल ली गई, तब सुरेश मांझी को छोड़ा गया। इस दौरान उसकी हालत काफी अदिक बिगड़ चुकी थी। 

इस तरह लौट पाया घर 

सुरेश ने बताया कि वह दो महीने से कानपुर में ही था। उसे यह बात पता नहीं थी। विजय उसे रोज चौराह पर खड़ा कर देता था। शाम तक जो पैसा मिलता विजय उसे लेकर चला जाता। खाने को कुछ नहीं देता था। कुछ समय पहले उसने टेंपो वाले से सुना...किदवई नगर। तब उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह कानपुर में ही है। इसलिए उसने मदद मांगी। आकिर में राहगीरों की मदद से वह किसी तरह घर लौट सका। 

DCP साउथ प्रमोद कुमार ने बताया कि, मामले में मछरिया गुलाबी बिल्डिंग निवासी विजय, दिल्ली निवासी भिखारी गैंग लीडर राज और एक महिला पर एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है। साथ ही मामले की जाच के लिए एक टीम का गठन किया गया है। 

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