UP में पुलिस कस्टडी में एक और मौत, मृतक रामचंद्र मौर्य के बिलखते परिजनों से CO पीपी सिंह बोले 'जा रख ले बॉडी को, नहीं पूरी होगी कोई मांग...

Update: 2025-01-08 16:34 GMT

UP Police Custodial death : यूपी के लखीमपुर खीरी में पुलिस पिटाई से एक व्यक्ति की मौत का मामला सामने आया है, जिसके बाद पुलिस पर आरोप लगाते हुए शख्स के परिजन शव को रखकर धरना दिया तो पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी की, जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। मृतक की पहचान लखीमपुर खीरी के मझगईं थाने के हुलासीपुरवा गांव निवासी रामचंद्र मौर्य के रूप में हुई। परिजनों का आरोप है कि रामचंद्र मौर्य की पुलिस कस्टडी में मारपीट के बाद मौत हुई, वहीं पुलिस का कहना है अवैध शराब बना रहे गैंग पर छापे के दौरान रामचंद्र मौर्य भाग रहा था इसलिए हार्ट अटैक से मर गया, हालांकि इस मामले में सच सामने ये आया है कि रामचंद्र की मौत हॉस्पिटल में हुई थी।

रामचंद्र मौर्य के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उसे कस्टडी में मारा है। कल मंगलवार 7 जनवरी को ग्रामीणों ने पोस्टमार्टम के बाद शव लेकर लौट रही गाड़ी को रोककर धरना दिया। परिजनों का आरोप है कि रामचंद्र मौर्य जंगल में जलावन की लकड़ी बीनने गया था। वहीं से चार लोगों को शराब बनाने के आरोप में पुलिस पकड़ ले गई थी और सभी को जमकर पीटा गया।

मीडिया से बातचीत में परिजन आरोप लगा रहे हैं कि पुलिसिया बर्बरता की वजह से युवक की हालत बिगड़ गई, जिसके बाद उसे निघासन सीएचसी अस्पताल ले जाया गया। हालांकि युवक को देखते ही डॉक्टरों ने रामचंद्र को मृत घोषित कर दिया था। मृतक के परिजनों ने मझगई और निघासन दोनों थानों की पुलिस पर गंभीर आरोप जड़े हैं और आज दिन तक युवक का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। परिजन रोते-बिलखते हुए दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। मृतक रामचंद्र मौर्य की पत्नी ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या की शिकायत दी है।

रामचंद्र मौर्य के परिजनों ने पुलिस अधिकारियों से तीस लाख रुपये मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, मझगईं और निघासन थाने के सारे पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने तथा परिवार के लोगों पर दर्ज मुकदमे को खत्म करने की मांग रखी है। परिजनों की मांग सुनकर बुरी तरह बौखलाये सीओ पीपी सिंह का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह कह रहे हैं, ‘ना तो मझगई थाना सस्पेंड हो, ना निघासन, ना तुझे 30 लाख रुपए दें। तेरे पे जितने दिन रखना है, रख ले डेड बॉडी को। हम यहां से जा रहे हैं...’ ये कहते हुए पुलिस अधिकारी और उनके साथ के पुलिसकर्मी वहां से उठकर वहां से चले जाते हैं।

वहीं रामचंद्र मौर्य मौत मामले में पुलिस सफाई दे रही है कि पकड़कर थाने लाते वक्त युवक की तबीयत बिगड़ी थी। रामचंद्र अवैध शराब बनाने का काम करता था और उसके खिलाफ कुछ दिन पहले ही गैंगस्टर एक्ट भी लगाया जा चुका है।

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मीडिया से बातचीत में एसपी गणेश प्रसाद साहा कहते हैं, पोस्टमार्टम में युवक की मौत का कारण साफ नहीं हो पाया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार रामचंद्र के शरीर पर चोटों के निशान नहीं पाए गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिसवाले जबरन बॉडी को लखीमपुर में पोस्टमॉर्टम के लिए ले गए। वहां से वापस गांव लौटने की सूचना होने पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने बम्हनपुर चौराहे पर बाइक, ट्रैक्टर के साथ रास्ता जाम कर दिया। मौके पर पुलिस फोर्स भी पहुंच गई और लाठीचार्ज किया। सिंगाही, निघासन, धौरहरा, तिकुनियां, पलिया, नीमगांव आदि कई थानों की फोर्स पहुंच गई।

अब इस मामले में योगी सरकार और उनकी पुलिस के खिलाफ विपक्ष लामबंद हो गया है। दलित सांसद चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, 'उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के निघासन क्षेत्र स्थित मझगई थाने में पुलिस हिरासत में रामचंद्र मौर्य की मृत्यु अत्यंत दुखद और गंभीर चिंता का विषय है। परिजनों के अनुसार, पुलिस ने बिना पंचनामा किए शव को परिवार से जबरन छीन लिया, जो भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह कार्य न केवल कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाता है, बल्कि मानवाधिकारों का खुला हनन भी है।'

चंद्रशेखर आगे कहते हैं, 'पुलिस द्वारा परिजनों को धमकाना “ना तो मझगई थाना सस्पेंड होगा, ना निघासन थाना। ना तुम्हें 30 लाख रुपए मिलेंगे। जितने दिन रखना है, रख लो डेडबॉडी। हम यहां से जा रहे हैं।” स्थिति को और भी चिंताजनक बनाता है। यह घटना न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि दलित, पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति प्रशासनिक अन्याय और पक्षपात का प्रतीक है। इस प्रकार की घटनाएँ कमजोर वर्गों का प्रशासन और न्याय प्रणाली पर से विश्वास समाप्त कर देती हैं और समाज में असुरक्षा तथा अराजकता का वातावरण उत्पन्न करती हैं।

चंद्रशेखर आजाद मांग करते हैं कि योगी सरकार को इस घटना की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। पीड़ित परिवार को न्याय और मुआवजा प्रदान करना उनकी जिम्मेदारी है। समाज में कानून का शासन और कमजोर वर्गों का विश्वास बनाए रखना अत्यावश्यक है।

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