बिहार की आंदोलकारी आशाओं ने दी चेतावनी, दिल्ली-पटना खोलो कान नहीं तो होगी नींद हराम

मासिक मानदेय और पूर्व के समझौतों के तहत अविलम्ब भुगतान और कोरोना भत्ता को लेकर बिहार में सिविल सर्जन का घेराव...

Update: 2020-09-24 08:11 GMT

बिहार में आशा कार्यकताओं का जोरदार प्रदर्शन : ​बिहार के सभी जिलों में 19 महीने पहले नीतीश कुमार के वादे को याद दिलाने के लिए प्रदर्शन कर रही हैं।

पटना, जनज्वार। कोरोना वारियर्स और घर-घर की स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशाओं की उपेक्षा के खिलाफ़ बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (ऐक्टू-गोप गुट) के आह्वान पर आशाओं ने सिविल सर्जन को घेरा। नीतीश-भाजपा सरकार से आशा को 1000 रु प्रति माह मासिक मानदेय की घोषणा,पूर्व के समझौता का क्रियान्वयन,कोरोना भत्ता और पूर्व के बकाया का भुगतान आदि मुख्य मांगों को उठाया।

महासंघ (गोप गुट) व ऐक्टू से सम्बद्ध बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ के आह्वान पर कल से शुरू 2 दिवसीय राज्यव्यपी विरोध दिवस के तहत आज बिहार के दर्जनों सिविल सर्जन कार्यालय रोहतास,कैमूर,अरवल, सीतामढ़ी, गोपालगंज पश्चिम चंपारण,पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर,खगड़िया,मुज़फ़्फ़रपुर,मधेपुरा,सुपौल,दरभंगा,गोपालगंज, सिवान, मुंगेर, मधुबनी, पटना आदि जिलों में हजारों आशाओं ने जोरदार नारा लगाया।

दिल्ली-पटना खोलो कान नहीं तो होगा नींद हराम। आशाओं के जुझारू तेवर देखकर रोहतास, गोपालगंज के सिविल सर्जन भाग खड़े हो गए। गोपालगंज में तो आशाओं को सिविल सर्जन की गाड़ी आशाओं को धक्का दे कर भाग गई ।आशाओं ने साफ कहा हैं कि यदि एक माह के अन्दर मांग पूरी नहीं होती तो आशाएं काम का बहिष्कार करेंगी।

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (ऐक्टू-गोप गुट) अध्यक्ष शशि यादव ने बताया कि जनवरी 2019 में सरकार ने हड़ताली आशाओं से 1000 रु मासिक मानदेय लागू करने सहित कुल 13 मांगों पर 4 राउंड की चली वार्ता के बाद समझौता किया लेकिन समझौता के लगभग 21 माह बीत जाने के बाद आजतक उस समझौते के तहत भुगतान चालू नहीं किया गया और नही अन्य समझौता पूर्ण तरीके से लागू हुआ। साथ ही कोरोना काल में कई आशाओं की मौत हुई है लेकिन सरकार द्वारा घोषित विशेष कोरोना भत्ता का लाभ आशा के पीड़ित परिजनों को नही मिला है।

उन्होंने नीतीश-मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली-पटना की सरकारें कोरोना वारियर्स और जान जोखिम में डाल कर कोरोना में काम करने वाली आशा कार्यकर्ता से नाइंसाफी कर रही हैं। पीएम ने आशाओं को नियमित मासिक मानदेय न देकर जहां विश्वासघात किया है,वहीं नीतीश सरकार कोरोना भत्ता नही देकर नाइंसाफी कर रही है ।उन्होंने कहा है कि आशाएं बदला लो-बदल डालो नारे के तहत नाइंसाफी का बदला लेंगी।हम आशाओं के न्यायपूर्ण सवालों को चुनाव का सवाल बनाएंगे!

आज राज्य भर में हुए आंदोलन का नेतृत्व आशा कार्यकर्ता संघ नेत्री विद्यावती, कुसुम कुमारी,सबया पांडे, पूनम कुमारी, रीना कुमारी, गीता देवी, सुशीला पाठक, प्रमिला कुमारी ,कविता,सीता पाल,रिंकू, अनुराधा,अनिता,तरन्नुमफैजी,संगीता संगम,सुनैना,उषा सिन्हा,चन्द्रकला आदि ने किया।

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