दलित मजदूर की चंडीगढ़ में मौत, पैसे के अभाव में शव नहीं आया तो वीडियो कॉल से परिजनों ने किये अंतिम दर्शन
यहां रोजगार के अभाव में काम करने के लिए एक महीने पहले चंडीगढ़ गए दलित मजदूर की कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने के दौरान घायल हो जाने से मौत हो गई, गरीबी की मार ऐसी कि पैसे के अभाव में शव को न तो यहां लाया जा सका, न ही परिजन वहां जा सके, लिहाजा मृतक का अंतिम दर्शन मोबाइल फोन पर वीडियो कॉलिंग कर कराई गई और वहीं शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया.....
जनज्वार ब्यूरो, पटना। सरकारें चाहे लाख दावे करें, पर देश में गरीबों की जो हालत है, वह किसी से छुपी हुई नहीं है। बिहार के सारण जिला में एक ऐसा वाकया हुआ है, जिसने सरकारी योजनाओं, सरकारी दावों आदि की पोल खोलकर रख दी है। यहां रोजगार के अभाव में काम करने के लिए एक महीने पहले चंडीगढ़ गए दलित मजदूर की कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने के दौरान घायल हो जाने से मौत हो गई। गरीबी की मार ऐसी कि पैसे के अभाव में शव को न तो यहां लाया जा सका, न ही परिजन वहां जा सके। लिहाजा मृतक का अंतिम दर्शन मोबाइल फोन पर वीडियो कॉलिंग कर कराई गई और वहीं शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
ग्रामीणों का कहना है कि इसमें उस कंस्ट्रक्शन कंपनी की बड़ी लापरवाही कही जा सकती है, जहां वह काम करता था। क्योंकि शव को उसके घर भेजना और परिजनों को मुवावजा देना उस कंपनी का दायित्व बनता था, पर गरीब की कौन सुनता है।
बताया जाता है कि सारण जिला के रसूलपुर थाना क्षेत्र के बलिया कोठी गांव के एक मजदूर की कंस्ट्रक्शन काम करने के दौरान अचानक घायल होने के बाद उपचार के दौरान चंडीगढ़ में मौत हो गई। मौत की सूचना मिलते ही बलिया कोठी गांव में परिजनों के बीच कोहराम मच गया।
मिली जानकारी के मुताबिक बलिया कोठी गांव निवासी बलिराम राम के पुत्र भृगुनाथ राम (40) आर्थिक तंगी से तंग आकर एक माह पूर्व ही मजदूरी करने के लिए पंजाब के चंडीगढ़ सेक्टर 28 ए में स्थित एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में मजदूरी करने के लिए गया हुआ था। इधर काम करने के दौरान शनिवार के दिन फेवर ब्लॉक से अचानक उसको चोट लग गई। जिससे वह बुरी तरह जख्मी हो गया था। चोट लगने के कुछ घंटे बाद उसकी कंस्ट्रक्शन कंपनी में ही मौत हो गई।
इधर चंडीगढ़ पुलिस को सूचना मिलने के बाद घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने मृतक के गांव बलिया कोठी के जो और मजदूर वहां काम करते थे, उन मजदूरों के हाथ कागजाती प्रक्रिया पूरी करने के बाद शव को सौंप दिया।
इधर धनराशि के अभाव में गांव से गए मजदूर चाह कर भी शव को गांव नहीं ला सके। तब वीडियो कॉल के जरिए परिजनों को शव का अंतिम दर्शन कराया गया। वहीं परिजनों के मुताबिक मृतक मजदूर का चंडीगढ़ में ही अंतिम संस्कार रविवार की सुबह कर दिया गया। इधर मौत की खबर से महिलाओं की चीख-पुकार से बलिया कोठी गांव में मातमी सन्नाटा पसरा रहा। मृतक की पत्नी चिंता देवी की अपने पति की एक झलक देखने के लिए पागलों जैसी स्थिति हो गई थी। वह दहाड़ मार कर रो रही थी।
मृतक भृगुनाथ राम के दो पुत्र व एक पुत्री है। पिछले साल उसने एक पुत्री की शादी कर दी है। दोनों पुत्र अभी मैट्रिक व इंटर में पढ़ रहे हैं। भृगुनाथ परिवार का एकलौता कमाऊ सदस्य थे। उनकी मौत के बाद परिजन एकाएक असहाय हो गये हैं। इधर घटना की खबर पाकर अंबेडकर विकास मंच प्रखंड इकाई सिसवन ने बलिया कोठी पहुंच कर परिजनों को सांत्वना दी। उन्होंने हर संभव सहयोग करने का आश्वासन दिया।
इस दौरान कमलेश बौद्ध, दिलीप राम, भूपेंद्र भारती, शिवनाथ राम, सुरेश राम, सुदामा राम, परवेज आलम, राजेश्वर यादव, राघव राम, दीपक कुमार, गुड्डू कुमार विद्यार्थी आदि दर्जनों लोग शोकाकुल परिवार के साथ मौजूद रहे।