बड़ी खबर: बिखर गया NDA, आज अलग हो सकती है नाराज लोजपा, बीजेपी-जदयू के बीच भी बात बिगड़ी!
जदयू और बीजेपी के बीच भी सीट शेयरिंग को लेकर बात एक बार फिर से बिगड़ चुकी है और यह ऐसे वक्त में हुआ है, जब चुनावों के पहले चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है...
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार चुनावों को लेकर यह बड़ी खबर है। एनडीए का कुनबा बिखर गया है, चूंकि लोक जनशक्ति पार्टी ने एक तरह से तय कर लिया है कि वह चुनाव में जदयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारेगी। लोजपा ने अपने 143 प्रत्याशियों की सूची फाइनल कर ली है और आज नई दिल्ली में होनेवाली पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में इस सूची पर मुहर लग सकती है और इसकी आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।
वैसे एनडीए में सिर्फ यही पेंच नहीं है। जदयू और बीजेपी के बीच भी सीट शेयरिंग को लेकर बात एक बार फिर से बिगड़ चुकी है और यह ऐसे वक्त में हुआ है, जब चुनावों के पहले चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। बीजेपी के चुनाव प्रभारी देवेंद्र फड़नवीस और भूपेंद्र यादव, जो सीट शेयरिंग के मामले को अंतिम रूप देने के लिए पटना आए हुए थे, वे बिना किसी ठोस नतीजे के आनन-फानन में दिल्ली तलब कर लिए गए हैं।
एलजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक आज 3 अक्टूबर, शनिवार शाम 6 बजे नई दिल्ली में होगी। इसमें भाग लेने के लिए बिहार के दो नेता, जो संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं, उन्हें भी बुलाया गया है। कहा जा रहा है कि चुनाव से पहले लोजपा संसदीय बोर्ड की यह अंतिम बैठक है।
मामला सिर्फ जदयू और बीजेपी का ही नहीं है, बल्कि अभी तक बीजेपी और एलजेपी के बीच भी सीट शेयरिंग को लेकर बात नहीं बन पाई है। कहा जा रहा है कि चिराग पासवान अपने रुख पर अड़े हुए हैं, वह भी तब, जब एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने बीते महीने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से पांच बार मुलाकात की थी। वहीं एक बार वह गृह मंत्री अमित शाह से भी मिल चुके हैं।
कल 2 अक्टूबर के एपिसोड के बाद अब किसी भी तालमेल की संभावना एक तरह से खत्म हो चुकी है। क्योंकि जदयू इसे कभी बर्दाश्त नहीं करने वाला। कल लोजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट सात निश्चय योजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कह दिया था कि लोजपा इसे लेकर चुनाव मैदान में नहीं उतरने वाली।
यह बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने चुनाव की घोषणा से ऐन पहले सात निश्चय पार्ट-2 का एलान कर दिया है और कहा है कि इसे लेकर ही वे चुनावों में जनता के बीच जाएंगे और एक बार फिर मौका मिला तो इसे लागू करेंगे।
एलजेपी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पार्टी को केवल 15 से 20 सीटों का ऑफर दिया गया है, जबकि एलजेपी ने 42 सीटों की मांग रखी है। वैसे जेडीयू के कई बड़े नेता पहले ही कह चुके हैं कि उसका एलजेपी से गठबंधन ही नहीं है, बल्कि उनका गठबंधन बीजेपी से है। लिहाजा बीजेपी अपने हिस्से से एलजेपी के साथ सीटें साझा करे।
हालांकि बात सिर्फ इतनी सी ही नहीं है, बल्कि जेडीयू और बीजेपी के बीच भी सीटों के बंटवारे को लेकर बात बिगड़ गई है। सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू बिहार में बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहती है, लिहाजा चुनाव में बीजेपी से ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहती है, जबकि बीजेपी इसपर तैयार नहीं।
वैसे अबतक की जानकारी के अनुसार अगर एलजेपी एनडीए गठबंधन से बाहर जाती हैं तो एलजेपी अपने उम्मीदवार बीजेपी के खिलाफ नहीं उतारेगी। एलजेपी अपने को बीजेपी के गठबंधन के तौर पर ही पेश करेगी और केंद्र में उसकी साझेदार बनी रहेगी तथा रामविलास पासवान केंद्र में मंत्री भी बने रहेंगे।