गुलनाज हत्याकांड : पुलिस वाले देते रहे समझौते का दबाव और आरोपी घरों में करते रहे आराम

पीड़िता की मां ने बताया कि 2017 में उसके पति की मृत्यु हो गई तब से वह सिलाई का काम करके अपने बच्चों को पाल रही थी, वह सिलाई का काम करने रोज पटना सिटी आती है, उसके चार बच्चों में 20 वर्षीया गुलनाज सबसे बड़ी थी जिसका दो महीने बाद निकाह होने वाला था....

Update: 2020-11-16 15:32 GMT

पटना। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन ने वैशाली जिला के देसरी की गुलनाज हत्याकांड की निंदा करते हुए सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि पुलिस द्वारा अपराधियों को संरक्षण देना बंद होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि भाकपा माले और अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की एक टीम ने वैशाली जिला के देसरी प्रखंड की मृतक गुलनाज के घर जाकर उसके परिवार से मुलाकात की और आसपास के लोगों से भी बातचीत की। इस टीम में भाकपा माले नेता विशेश्वर यादव और जिला सचिव योगेंद्र राय व अन्य साथी शामिल थे।

टीम को गुलनाज की अम्मी शैमुना खातुन ने बताया कि 30 अक्टूबर की सुबह तीन लड़कों ने गुलनाज के साथ छेड़खानी की जिसका उसने विरोध किया। शैमुना के पड़ोस में रहने वाली सुमन देवी और सुमन देवी का बेटा सन्नी कुमार भी अपराधियों से मिले हुए थे। (इस घटना से पहले भी सुमन देवी ने उसे घर छोड़कर भाग जाने को कहा था जिससे गुलनाज ने साफ इंकार कर दिया था) शाम को जब वह कूड़ा फेंकने बाहर निकली तब उस पर किरासन तेल उड़ेल कर आग लगा दिया गया। 70 फीसदी जल चुकी गुलनाज का पहले स्थानीय स्तर पर इलाज शुरू हुआ फिर पटना के पीएमसीएच में कल 15 नंवबर को उसकी मृत्यु हो गई।


शैमुना खातुन ने बताया कि 2017 में उसके पति की मृत्यु हो गई तब से वह सिलाई का काम करके अपने बच्चों को पाल रही थी। वह सिलाई का काम करने रोज पटना सिटी आती है। उसके चार बच्चों (दो बेटियां और दो बेटे) में 20 वर्षीया गुलनाज सबसे बड़ी थी जिसका दो महीने बाद निकाह होने वाला था। विधवा शैमुना अपने मेहनत के बल पर अपने बच्चों को पाल रही थी। उसे न तो कोई पेंशन मिलता है न किसी अन्य योजना का लाभ मिलता है।

ऐपवा महासचिव मीना तिवारी से शैमुना ने कहा कि मुझे बस इंसाफ चाहिए और कुछ नहीं। मीना तिवारी ने 'जनज्वार' को बताया कि इस मामले में पुलिस की मिलीभगत बहुत साफ है। आरोपियों द्वारा लड़की को प्रेम का झांसा देकर ट्रैफिकिंग की कोशिश की जा रही थी जिसमें पीड़िता की पड़ोसी महिला को भी शामिल होना बताया जा रहा है। पहले आरोपियों ने प्रेम के जाल में लड़की को फंसाना चाहा लेकिन लड़की ने साफ इनकार कर दिया, जिसके बाद उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश हुई लेकिन उससे भी लड़की बच गई थी, आखिरकार उसे मार डाला। लड़की बहुत गरीब परिवार की थी। पिता नहीं हैं और मां रोज पटना जाकर दर्जी का काम करती है। दो बहनें ही घर पर रहतीं थीं जिसमें से एक मार डाला गया। पुलिस चौकी पीड़िता के घर से नजदीक है, बावजूद पुलिस ने अबतक किसी की गिरफ्तारी नहीं की है। इससे साफ है कि पुलिस का इरादा आरोपियों को गिरफ्तार करने का कभी नहीं रहा है।


अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार ईकाई के अध्यक्ष विश्वेश्वर यादव ने 'जनज्वार' से कहा, 'घटना की तारीख 30 अक्टूबर को जलाए जाने के बाद पीड़िता के परिजन एक प्राइवेट नर्सिंग होम में इलाज के लिए गए। वहां स्थानीय चौकी इंचार्ज बयान लेने भी आए लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। परिजनों ने बताया कि चौकी इंचार्ज चांदपुरा में पीड़ितों के परिजनों से समझौता का दबाव बनाया गया लेकिन वे लोग तैयार नहीं हुए। 2 नवंबर को एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपियों को पुलिस ने नहीं गिरफ्तार किया जबकि आरोपी लगातार अपने ही घर पर थे।' 

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यादव ने आगे कहा कि यदि अपराधियों को तत्काल गिरफ्तार नहीं किया गया तो 18 नवंबर को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा।

भाकपा माले और ऐपवा ने मांग की है कि चांदपुरा ओपी प्रभारी और देसरी थानाध्यक्ष को तत्काल निलंबित किया जाए और सभी अभियुक्तों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए और स्पीडी ट्रायल कर सजा दी जाए।उन्होंने यह भी मांग की है कि शैमुना खातुन को सरकारी नौकरी और परिवार को मुआवजा दिया जाए।

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