Deoband News : एटीएस की हर कार्रवाई के बाद बदनाम हुआ 'देवबंद', जानिए गुरुवार की देर रात 'कमरा नंबर 61'में क्या हुआ? जिसके बाद संस्थान ने लिया बड़ा फैसला

Deoband News : दारुल उलूम देवबंद की ओर से कहा गया है कि अब विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के इच्छुक छात्रों के दस्तावेजों का पहले पुलिस वेरिफिकेशन (Police Verification) कराना होगा...

Update: 2022-04-29 10:00 GMT

Deoband News : एटीएस की हर कार्रवाई के बाद बदनाम हुआ 'देवबंद दारूल उलूम', जानिए गुरुवार की देर रात 'कमरा नंबर 61'में क्या हुआ? जिसके बाद संस्थान ने लिया बड़ा फैसला

Deoband News : दारुल उलूम देवबंद ( Darul Uloom Deoband ) ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश ( Admission ) के लिए अब पुलिस वेरिफिकेशन (Police Verification) कराने को अनिवार्य कर दिया है। देवबंद के इस फैसले को गुरुवार 28 अप्रैल की देर रात देवबंद परिसर में हुई एटीएस की कार्रवाई से जोड़कर देखा जा रहा है।

आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस, ATS) ने गुरुवार 28 अप्रैल की देर रात्रि देवबंद के भीतर कार्रवाई करते हुए एक बांग्लादेशी युवक को हिरासत में लिया। बताया गया है कि युवक मेघायल के फर्जी आईडी (Fake ID) और आधार कार्ड (Aadhar Card) के आधार पर देवबंद के नामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम में इस्लामिक शिक्षा (Islamic Education) ग्रहण कर रहा था। उसके साथ एक अन्य युवक को भी पकड़ा गया था, जिसे पूछताछ करने के बाद छोड़ दिया गया। वह छात्र असम (Assam) का रहने वाला बताया जा रहा है।

देवबंद के हॉस्टल के 'कमरा नंबर 61' में हुई थी छापेमारी

आपको बता दें कि हिरासत में लिए गए युवक के पास से बांग्लादेशी करेंसी (Bangaldeshi Currency) के अलावा कई पुस्तकें व अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। खबरों के मुताबिक गुरुवार की रात्रि करीब 1:30 बजे एटीएस नामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम में पहुंची, जहां एटीएस अधिकारियों ने प्रबंधन को विश्वास में लेकर संस्था परिसर में बने छात्रावास के कमरा नंबर 61 से दो छात्रों को हिरासत में लिया।

असम के छात्र को जांच-पड़ताल के बाद छोड़ा गया

पूछताछ करने और सभी दस्तावेज देखने के बाद एटीएस ने एक छात्र को असम राज्य का होने के चलते छोड़ दिया, जबकि दूसरा छात्र कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। इसके चलते उस पर शक गहरा गया। सूत्र बताते हैं कि कमरे के बाहर रखी छात्र की एक अलमारी को खुलवा कर उसकी तलाश ली गई तो उसके अंदर से बांग्लादेशी करेंसी, वहीं की कुछ आईडी, पुस्तकें और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए है।

वहीं इस घटना के बाद दारुल उलूम देवबंद ( Darul Uloom Deoband ) ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश ( Admission ) को लेकर एक बड़ा फैसला ले किया है। दारुल उलूम देवबंद की ओर से कहा गया है कि अब विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के इच्छुक छात्रों के दस्तावेजों का पहले पुलिस वेरिफिकेशन (Police Verification) कराना होगा। लोकल सतर्कता एजेंसियों की ओर से जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही छात्रों को एडमिशन ( Admission) संस्थान में नामांकन दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) का इस फैसले के पीछे मकसद यह सुनिश्चित करना है कि यदि कुछ छात्र किसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाते हैं तो संस्थान का नाम खराब न हो।

सहारणपुर देवबंद में एटीएस कई बार कर चुका है कार्रवाई

यहां एक बात जानना महत्वपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जनपद जहां देववंद अवस्थित है वह आतंकियों और संदिग्धों का सुरक्षित ठिकाना रहा है। क्योंकि, यहां से कई बार आतंकी, बांग्लादेशी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त आरोपी पकड़े गए हैं। ऐसे अधिकांश मामलों में एटीएस और बाहर के राज्यों की पुलिस ने कार्रवाई की है। ज्यादातर मामलों में आरोपी के पकड़े जाने के बाद ही स्थानीय पुलिस को इसका पता चला है। देवबंद नाम भी आतंकी गतिविधियों लेकर सुर्खियों में रहा है। यहां पर कई बार एटीएस का छापा पड़ चुका है और कई संदिग्धों को हिरासत में लिया जा चुका है।

कार्यवाह वीसी बोले- संस्थान की छवि को खराब होने से बचाने के लिए लिया गया छात्रों के पुलिस वेरिफिकेशन का फैसला

इस बारे में मदरसा के कार्यवाहक कुलपति अब्दुल खालिक मद्रासी ने कहा कि सेमिनरी अपनी प्रवेश प्रक्रिया के अन्य पहलुओं को भी और अधिक कठोर बनाएगी। ऐस इसलिए किया जा रहा है क्योंकि देवबंद का यह मदरसा अक्सर संदिग्ध देश विरोधी कार्यकलापों में शामिल तत्वों को पनाह देने के लिए आलोचनाओं को झेलता है। इससे संस्थान की छवि खराब होती है।

वहीं देवबंद को लंबे समय से कवर कर रहे पत्रकार तस्लीम कुरैशी का मानना है कि देवबंद के इस फैसले का एटीएस की कार्रवाई से कोई संबंध नहीं है। यह संस्थान की सुरक्षा की दृष्टि से लिया गया फैसला है। पहले भी संस्थान में सुरक्षा के लिए ऐसे फैसले लिए गए हैं। फिलहाल नामांकन होना है, ऐसे में नए बच्चों को जानकारी देने के लिए यह फैसला लिया गया है। कुरैशी मानते हैं कि इसका एटीएस की कार्रवाई से कोई लेना-देना नहीं है। एटीएस अपना करतती है और यह प्रबंधन को विश्वास में लेकर किया जाता है। एटीएस से संस्थान को कोई डर नहीं है। देवबंद ने हमेशा प्रशासन का सहयोग किया है और आगे भी करती रहेगी।

आपको बता दें कि देवबंद के आसपास के इलाकों में ब्रिटिश नागरिकों को आतंकियों की ओर से बंधक बनाकर रखने की घटना भी हुई थी, जिसमें खिलाफ चलाए गए अभियान में पुलिस इंस्पेक्टर ध्रुव्रलाल यादव शहीद भी हो गए थे। यहां इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि स्थानीय पुलिस ऐसे मामलों का उद्भेदन करने में ज्यादातर मामलों में असफल रही है।

देवबंद और सहारणपुर शहर के आसपास हो चुके हैं कई बड़े वारदात

अबतक अब तक देवबंद और सहारणपुर शहर के आसपास के इलाकों में कई बड़े वारदात सामने आ चुके हैं जिसमें आतंकवाद निरोधक दस्ता को कार्रवाई करनी पड़ी है। ऐसा माना जा रहा है कि देवबंद की ओर से छात्रों के नामांकन से पहले पुलिस वेरिफिकेशन का फैसला इन्हीं वारदातों को देखते हुए लिया गया है ताकि इन घटनाओं में देवबंद को होने वाले साख के नुकसान से बचाया जा सके।

अब तक बड़ी घटनाएं जिससे देवबंद की बदनामी हुई है

1. तकरीबन दो साल पहले देवबंद के पूर्व छात्र और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शाहनवाज तेली जो कुलगाम (जम्मू-कश्मीर) का रहने वाला था और उसके साथी आकिब अहमद मलिक जो पुलवामा का रहने वाला था उनकी गिरफ्तारी हुई थी।

2. कुतुबशेर थाना क्षेत्र की एकता कॉलोनी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी पिता-पुत्र को फरवरी 2021 में एटीएस ने गिरफ्तार किया था। दोनों आरोपी 20 साल से ठिकाने बदलकर सहारनपुर में देवबंद के आसपास के इलाकों में रह रहे थे। खबरों के मुताबिक वे बांग्लादेशियों को यहां बसाने का काम भी करते थे।

3. साल 2019 में देवबंद से पांच बांग्लादेशी गिरफ्तार किए गए थे। इसके अलावे कई और संदिग्धों को पुलिस ने पकड़ा था।

4. 2016 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने सहारनपुर रेलवे स्टेशन के बाहर से हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी एजाज शेख को दबोचा। बताया जाता है कि वह भी देवबंद में ठहरा था।

5. 2010 में पाकिस्तानी जासूस शाहिद उर्फ इकबाल भट्टी को पटियाला पुलिस ने हकीकतनगर से गिरफ्तार किया, जो देवराज सहगल के नाम से सहारनपुर में आठ वर्षों से रहा रहा था। उसने भारतीय नागरिकता भी प्राप्त कर ली थी। खबरों के मुताबिक उसका आनाजाना भी देवबंद में था।

6. अयोध्या में हुए बम विस्फोट मामले में में तीतरो निवासी डाक्टर इरफान को पकड़ा गया था।

7. 2001 में आतंकी गतिविधियों के चलते मुफ्ती इसरार को पकड़ा गया। वह भी देवबंद से जुड़ा बताया गया था।

8. 1994 में तीन ब्रिटिश नागरिकों को बंधक बनाकर आतंकियों ने देवबंद के पास के इलाके खाताखेड़ी में रखा था। इन्हें छुड़ाने के लिए हुई मुठभेड़ में इंस्पेक्टर ध्रुवलाल शहीद हुए थे।

9 1991 में सहारणपुर के लक्ष्मी सिनेमा में बम फटा था, जिसमें करीब दस लोग मरे थे, उस समय घटना में आतंकियों का हाथ बताया गया था।

10 किफायत उल्लाह उर्फ जाफर अहमद उर्फ अताउर्रहमान उर्फ अल उल्लाह मोहल्ला कस्साबान सरसावा का रहने वाला था, जो बाद में जम्मू-कश्मीर चला गया था, फिर आतंकी संगठन हूजी का चीफ बना था। खबरों के मुताबिक वह भी देवबंद के आसपास के इलाकों में ​अक्सर नजर आता था। 


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