गंजम बाल विवाह मुक्त घोषित होने वाला ओडिशा का पहला जिला, अब इसकी सूचना देने पर मिलेगा 50 हजार इनाम
गंजम जिला प्रशासन ने बाल विवाह को रोकने के लिए यूनिसेफ और एक्शन एड इंडिया की मदद से सितंबर, 2019 में निर्भया कढ़ी कार्यक्रम शुरुआत की थी।
प्रिय रंजन साहू की रिपोर्ट
गंजम। बाल विवाह से बुरी तरह प्रभावित ओडिशा ( Odisha ) का गंजम ( Ganjam ) जिला इस समस्या मुक्त होने वाला प्रदेश का पहला जिला बन गया है। इस बारे में जिला कलेक्टर विजय अमृता कुलंगे ने कहा कि ओडिशा के गंजम जिले को 3 जनवरी, 2022 को बाल विवाह मुक्त ( Child Marriage Free ) घोषित किया जा चुका है। जिला मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हमने 2020 और 2021 में हुई सभी शादियों के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करने के बाद जिले को बाल विवाह मुक्त घोषित करने का फैसला किया। इसके साथ ही जिला प्रशासन ने बाल विवाह की सूचना देने वालों को बतौर इनाम 5,000 रुपए के बदले 50 हजार रुपए देने की घोषणा की है।
डीएम के आदेश में कहा गया है कि जिले को बाल विवाह मुक्त घोषित करने से पहले सभी तथ्यों का ब्लॉक विकास अधिकारियों ( BDO ), तहसीलदारों, एनएसी के कार्यकारी अधिकारियों और बाल विवाह निषेध अधिकारियों द्वारा विधिवत सत्यापित किया गया। सत्यापन का काम जीपी, वार्ड, ग्राम स्तरीय टास्क फोर्स समितियों के सहयोग से संपन्न कराया गया।
डीएम विजय अमृता कुलंगे ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्रशासन द्वारा उठाए प्रभावी कदमों की वजह से ये परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने सितंबर, 2019 में किशोरों के सशक्तिकरण और बाल विवाह को रोकने के लिए एक अभिनव जागरूकता अभियान निर्भया कढ़ी शुरू किया था। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) ने किशोर लड़कियों को शिक्षित करने के लिए हर महीने गांव स्तर पर बैठकें आयोजित कीं। इन बैठकों में बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में बताया गया। बाल विवाह के बारे में प्रशासन को सूचित करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया गया। साथ ही सूचना देने वालों को 5 हजार रुपए के इनाम देने की भी घोषणा की गई।
इसके अलावा, बाल विवाह को रोकने के लिए ग्राम पंचायतों और अधिसूचित क्षेत्र परिषदों के स्तर पर समितियों का गठन किया गया था जिसमें सरपंच, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा सदस्य थे। प्रखंड विकास अधिकारी, तहसीलदार और जिला बाल विकास परियोजना अधिकारियों जैसे प्रशासन के अधिकारियों ने बाल विवाह न होने के दावों को सत्यापित करने के लिए गांवों का दौरा किया। समितियों द्वारा जमीनी स्तर पर तैयार रिपोर्ट के आधार पर गंजम को बाल विवाह मुक्त जिला घोषित किया गया है।
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने दावा किया है कि बाल विवाह को रोकने के लिए पिछले दो वर्षों में विभिन्न स्तरों पर कुल 14,422 बैठकें आयोजित की गईं। 2019, 2020 और 2021 में 45,228 और 201 आसन्न बाल विवाह को रोका गया। बाल विवाह होने से बचाए गए बच्चों को सहायता और परामर्श के लिए बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) में भी भेजा गया। गंजम जिले में बाल विवाह से मुक्त कराने में प्रत्येक विवाह का पंजीकरण कराना वरदान साबित हुआ। 2020-21 में कुल 48,383 शादियां दर्ज की गईं। एक्शनएड के घासीराम पांडा ने कहा कि इस काम में जिला प्रशासन ने हर स्तर पर प्रभावी भूमिका रही है।
ये थी बाल विवाह की वजह
साल 2011 के आंकड़ों के मुताबिक ओडिशा में 59.9 लाख लड़कियां 15 साल की उम्र की थीं। इनमें से 41,729 लड़कियों की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले ही हो गई थी। इसके साथ ही इनमें से एक चौथाई यानी 10,685 लड़कियों की शादी 15 साल पूरा होने से पहले हो जाती थी। इसके पीछे गरीबी, सामाजिक असुरक्षा, दहेज व अन्य परम्पराएं प्रमुख हैं। अशिक्षा और एक जगह से दूसरे जगह प्रवास करना भी लड़कियों की जल्द शादी की मुख्य वजह रही। बता दें कि गंजम में 3,309 बाल विवाह मुक्त गांव, शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के तहत 280 बाल विवाह मुक्त वार्ड और 503 बाल विवाह मुक्त ग्राम पंचायत हैं। निर्भया कढ़ी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उनकी टीम ने काफी मेहनत की है।
(प्रिय रंजन साहू की यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में डाउन टू अर्थ में प्रकाशित।)