Gujrat : कच्छ में गायों में फैली महामारी, लाखों मवेशियों की मौत, दहशत में किसान

Gujrat : गुजरात के कच्छ में मवेशियों में ढेलेदार त्वचा (lumpy skin) बीमारी तेजी से फैल रही है। इस बीमारी की चपेट में आने से लाखों गायों के मरने की सूचना है...

Update: 2022-07-19 05:33 GMT

दत्तेश भावसार की रिपोर्ट

Gujrat : गुजरात के कच्छ ( Kutch ) जिले के किसान इन दिनों दहशत में हैं। दहशत की वजह मवेशियों में ढेलेदार त्वचा रोग (lumpy skin) का महामारी के रूप में फैलना है। इस रोग ने खासतौर से कच्छ जिले के गायों को अपने चपेट में ले लिया है। कच्छ ( Kutch ) जिले का मांडवी, अबादसा और लखपत तहसीलों में गायों में यह बीमारी तेजी से फैल गई है।

अकेले कच्छ में 20 लाख से ज्यादा मवेशी

किसानों का कहना है कि इस बीमारी से ग्रसित जानवरों के शरीर में घाव और बुखार भी होता है और इसके परिणामस्वरूप हजारों गायें अब तक मर चुकी हैं। बता दें कि गुजरात ( Gujrat News ) में कच्छ ऐसा जिला है जहां पर मानव आबादी से अधिक मवेशी हैं। कच्छ जिले में लगभग 20 लाख मवेशी हैं और इन मवेशियों का ​टीकारण अभी तक नहीं हुआ है।

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हर गांव में 100 से 200 गायों की मौत

अभी तक की जानकारी के मुताबिक गुजरात में लंपी स्किन डिजीज के कारण हजारों मवेशियों की मौतें हुई हैं। कच्छ जिले में हर गांव में 100 से 200 पशुओं की मृत्यु हुई है। प्रशासन ने समय पर कोई कार्यवाही नहीं की। इसलिए भयावह स्थिति का निर्माण हुआ। पशुओं का टीकाकरण न होने की वजह से य स्थिति उत्पन्न हुआ है।

महामारी को लेकर जिला बेपरवाह

दूसरी तरफ बीमार पशुओं को जिला प्रशासन सिर्फ एंटीबायोटिक दे पल्ला जाड़ने में लगा है। किसानों की जागरूकता के कारण कुच्छ क्षेत्रों में स्थिति में सुधार की सूचना है। यह बीमारी अधिकांशतया ज्यादातर गायों देखी गई हैं लेकिन कुछ हिस्सों में भैसें भी इसकी चपेट में आई हैं।

क्या है ढेलेदार त्वचा रोग

लंपी बीमारी यानि ढेलेदार त्वचा रोग एक वायरल बीमारी है जो गायों और भैंसों को प्रभावित करती है। अफ्रीका वह जगह है जहां पहली बार यह बीमारी सामने आई थी। वर्तमान में कई देशों में फैल चुकी है। देश में सबसे पहले केरल में यह बीमारी सामने आई थी। यह बीमारी वर्तमान में कई राज्यों में मौजूद है। गायों की त्वचा में रूखापन पैदा करने वाली यह बीमारी फैलने के बाद से गांव के कई गायों की भी मौत हो चुकी है। इससे क्षेत्र के किसान और पशुपालक अपनी गायों को लेकर चिंतित हैं।

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