1947 बंटवारे में बिछड़े दो भाई 74 साल बाद मिले तो दहाड़ मारकर रोए, पाक रेंजर्स की आंखे भी हुईं नम, देखें वीडियो

भारत-पाक बंटवारे के समय बिछड़े दो भाइयों का बुधवार 12 जनवरी को जब मिलन हुआ, तो दोनों ऐसे फूट-फूटकर रोए कि वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं। खुशी और दुख की भावनाओं से ओत प्रोत 1 मिनट 11 सेकेंड का ये वीडियो सोशल मीडिया पर अब तेजी से वायरल हो रहा है...

Update: 2022-01-13 17:25 GMT

74 साल बाद मिले भारत-पाक विभाजन में बिछड़े भाई

 New Delhi: भारत-पाकिस्तान बंटवारे (India Pakistan Partition) को 74 साल बीत चुके हैं। मगर, बंटवारे के जख्म आज भी लाखों दिलों में बरकरार हैं। बंटवारे के बाद सिर्फ दो देश अलग नहीं हुए, बल्कि कई परिवार भी हमेशा हमेशा के लिए बिछड़ गए। मगर, उन परिवारवालों के दिल में मिलने की आस आज भी बनी हुई है। इस बीच, विभाजन के वक्त बिछड़े दो भाइयों के 74 साल बाद मिलने की खबर दिल दहला देने वाली हैं। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय 74 साल पहले बिछड़े दो सगे भाइयों का बुधवार 12 जनवरी को जब मिलन हुआ, तो दोनों ऐसे फूट-फूटकर रोए कि वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं। खुशी और दुख की भावनाओं से ओत प्रोत 1 मिनट 11 सेकेंड का ये वीडियो सोशल मीडिया (Social Media) पर अब तेजी से वायरल हो रहा है।

सोशल मीडिया ने बिछड़े भाईयों को मिलाया

सालों से बिछड़े दोनों भाइयों के मिलन का जरिया सोशल मीडिया बना। दोनों पहले वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर मिले, इसके बाद आमने-सामने मिलाया गया। पाकिस्तान (Pakistan) के फैसलाबाद में रहने वाले मोहम्मद सिद्दकी और भारत (India) में रहने वाले मोहम्मद हबीब आका उर्फ शैला आजादी के वक्त भारत पाक विभाजन में बिछड़ गए थे। मगर, जब दोनों पाकिस्तान स्थित श्री करतारपुर में मिले तो एक दूसरे से लिपट कर बहुत देर तक दहाड़ें मार मार कर रोए। भारत में रहने वाले हबीब ने अपने पाकिस्तानी भाई सिद्दकी से कहा, 'चुप कर जा, शुकर है मिल तां लिए…। हबीब ने भाई को यह भी बताया कि उन्होंने सारा जीवन मां की सेवा में लगा दिया। मां की देखभाल के कारण उन्होंने शादी भी नहीं की।

मिलन के बाद सबकी आंखें हुईं नम

पाकिस्तान स्थित अखबार द न्यूज इंटरनेशनल के अनुसार, 74 साल बिछड़े दोनों भाइयों में पाकिस्तान के फैसलाबाद (Faislabad) के रहने वाले सिद्दीकी बड़े भाई हैं, तो वही भारत के हबीब छोटे भाई हैं। दोनों देशों के विभाजन के समय सिद्दकी बहुत छोटे थे, जब उनका परिवार उनसे अलग हो गया था। 74 साल बाद जब वे अपने छोटे भाई से मिले तो अपने भावों को आंसुओं के जरिए बहने से नहीं रोक पाए।

दोनों भाईयों के मिलाप के बाद श्री करतारपुर साहिब (Sri Kartarpur Sahib) का नजारा कुछ ऐसा था कि पाक रेंजर्स (Pak Rangers) भी इस मंजर को देखने के बाद तो पड़ें। इन दोनों भाइयों को फिर से जुदा करने की हिम्मत शाम 4 बजे तक किसी की भी नहीं हुई।करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के CEO मोहम्मद लातिफ ने बताया कि जब दोनों भाई एक-दूसरे के गले मिले तो दोनों की ऊंची-ऊंची रोने की आवाज सुनाई दी। यह मंजर जिगर को चीरने वाला था।

दोनों देशों की सरकार को किया आभार

बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) भारत और पाकिस्तान (India-Pak Border) के बीच वीजा मुक्त सीमा पार करने वाला एक धार्मिक गलियारा है। यह कॉरिडोर पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत की सीमा से जोड़ता है और भारत के भक्तों को बिना वीजा के पाकिस्तान स्थित करतारपुर गुरुद्वारे (Sri Kartarpur Gurudwara) में जाने की अनुमति देता है।

श्री करतारपुर में अपने बिछड़े भाई से मुलाकात के बाद भारत के हबीब ने करतारपुर कॉरिडोर द्वारा की गई पहल की सराहना की और कहा कि, गलियारे ने उन्हें अपने भाई से मिलने में मदद की। सालों से बिछड़े दोनों भाइयों ने करतारपुर कॉरिडोर खोलने और भारत से पाकिस्तान के लिए करतारपुर तक वीजा-मुक्त यात्रा (Visa Free Travel) की सुविधा के लिए दोनों देशों की सरकारों को धन्यवाद दिया।

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