Rafale deal : फ्रेंच न्यूज पोर्टल का दावा - डील में शामिल बिचौलिए को दिया गया था 65 करोड़ रुपए

Rafale deal : फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट ने भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील फाइनल करने के लिए एक बिचौलिए को 7.5 मिलियन यूरो ( 65 करोड़ रुपए ) का कमीशन दिया था।

Update: 2021-11-09 06:43 GMT

रफाल डील को लेकर फेंच न्यूज पोर्टल ने बड़ा खुलासा किया।

Rafale deal : फ्रांस के एक न्यूज पोर्टल मीडियापार्ट ने भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल लड़ाकू विमान सौदे में भ्रष्टाचार को लेकर नया खुलासा किया है। फ्रेंच न्यूज पोर्टल के दावों के मुताबिक फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट ने भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील फाइनल करने के लिए एक बिचौलिए को 7.5 मिलियन यूरो ( 65 करोड़ रुपए ) का कमीशन दिया था। विपक्षी दल लगातार राफेल डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे लेकिन सौदा हुआ और राफेल इंडिया पहुंच भी गया।

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फ्रांसीसी पोर्टल की रिपोर्ट के मुताबिक मॉरीशस में अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने हेलीकॉप्टर सौदे मामले में जानकारी मांगने वाले अनुरोध पत्र के जवाब में 11 अक्टूबर, 2018 को सीबीआई निदेशक को दस्तावेज भेजे थे। एक हफ्ते पहले 4 अक्टूबर 2018 को सीबीआई को वकील प्रशांत भूषण और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी से राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने की शिकायत मिली थी। इसके बावजूद भारतीय एजेंसियों ने इस मामले पर गौर नहीं फरमाया।

अब फ्रांसीसी पोर्टल मीडियापार्ट ने दावा किया है कि राफेल डील को पूरा करने के लिए बिचौलिए सुशेन गुप्ता को 7.5 मिलियन यूरो ( 65 करोड़ रुपए ) की रिश्वत दी गई थी। ये रिश्वत फ्रांसीसी विमान निर्माता डसॉल्ट एविएशन की ओर से दी गई थी। फ्रेंच मैगजीन मीडियापार्ट ने आरोप लगाया है कि भारत को राफेल जेट की बिक्री को सुरक्षित करने के लिए दसॉल्ट ने 2007 से 2012 के बीच एक शेल कंपनी के साथ "ओवरबिल" आईटी अनुबंधों के माध्यम से बिचौलिए सुशेन गुप्ता को कम से कम 7.5 मिलियन यूरो का भुगतान किया था।

जांच एजेंसियों ने गुप्ता पर मॉरीशस स्थित शेल कंपनी इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और कई अन्य संस्थाओं के माध्यम से 2010 अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में कमीशन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया है। सुशेन गुप्ता को पहले अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में कथित रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि कथित झूठे चालानों की एक प्रणाली का उपयोग करते हुए अधिकांश पैसा सावधानी से मॉरीशस भेजा गया था। इनमें से कुछ चालानों में फ्रांसीसी कंपनी का नाम भी गलत था।

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मीडियापार्ट ने दावा किया कि भारतीय जासूसों द्वारा प्राप्त अन्य दस्तावेजों से पता चलता है कि 2015 में राफेल डील की अंतिम वार्ता के दौरान सुशेन गुप्ता को भारत के रक्षा मंत्रालय से गोपनीय दस्तावेज प्राप्त हुए थे। जिसमें भारतीय वार्ताकारों के रुख का विवरण दिया गया था कि, कैसे उन्होंने विमान की कीमत की गणना की है। मीडियापार्ट द्वारा संपर्क किए जाने पर सुशेन गुप्ता ने कोई जवाब नहीं दिया है, वहीं डसॉल्ट ने इन दस्तावेजों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

फ्रेंच मैगजीन मीडियापार्ट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता अमित मालवीय ने कहा कि यूपीए रिश्वत ले रहा था, लेकिन सौदा बंद नहीं कर सका। एनडीए ने बाद में इसे रद्द कर दिया और फ्रांसीसी सरकार के साथ सीधा अनुबंध किया।

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बता दें कि फ्रांस का यह ऑनलाइन जर्नल 59 हजार करोड़ रुपए के राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहा है। राफेल पेपर्स पर मीडियापार्ट की जांच से जुलाई में फ्रांस की राजनीति में हलचल मच गई थी। रिपोर्ट सामने आने के बाद इस मामले में भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोपों में न्यायिक जांच शुरू की गई।

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