यूपी में चरवाहा बना 1400 करोड़ घोटाले में आरोपी, खनन माफियाओं ने गरीब को बनाया बलि का बकरा

किशोरीलाल आरोपी के पास तो खाते में सिर्फ 1380 रुपये मिले, भांजी की शादी के लिए ले रखे हैं बैंक से एक लाख का लोन....

Update: 2021-07-01 13:14 GMT

(विजिलेंस टीम ने प्राथमिकी मे आरोपी बनाए गए लोगों को गिरफ्तार कर विधिक रुप से कार्यवाही की लेकिन पत्थर बेल्ट के जानकारों और आरोपियों के परिजनों की मानें तो ये मोहरे मात्र हैं।)

पवन जायसवाल की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। उत्तर प्रदेश पुलिस की विजिलेंस की टीम ने बुधवार 30 जून को मिर्जापुर के अहरौरा जिला से दो आरोपियों रमेश यादव और किशोरीलाल को गिरफ्तार किया है। इन दोनों लोगों को स्मारक घोटाले में आरोपी बनाया गया है। हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से एक आरोपी किशोरीलाल के बैंक खाते में 1380 रुपये मिले हैं। जबकि उन्होंने भांजी की शादी के लिए बैंक से एक लाख का लोन भी ले रखा है।

'जनज्वार' ने इस बात की पड़ताल की कि इस बात में वाकई कितनी सच्चाई है। सबसे पहले आरोपी के घर को देखें तो पूरा परिवार दो तीन झोप्पड़पट्टियों दिन गुजार रहा है। इस दौरान आरोपी की पत्नी ने बताया कि पति को लिखना-पढ़ना तक नहीं आता है। कुछ पूंजीपतियों ने इनको लखनऊ लेजाकर इनके नाम से कागज पत्तर बनवाकर करोड़ों रुपये के हाथी के पत्थर सप्लाई किये और उसका टैक्स तक नहीं भरा। घर में बताकर जाते थे कि लखनऊ सेठ लोगों के साथ घूमने जा रहे हैं। 

(आरोपी किशोरी लाल की पत्नी)

पत्नी ने आगे बताया मेरे पति भैंस पालन और दूध बिक्री का काम करते हैं और दो बीघे भूमि है जिससे अपना गुजारा करते हैं। इसके अलावा ईंट का साधारण सा तीन कमरों का मकान और दो तीन झोपड़ी हैं जिसमे भूसे-उपले और पशुओं को बाधा जाता है।

आरोपी की पत्नी ने हमें बैंक की पासबुक को भी दिखाया। जिसको देखने से पता चलता है कि खाते में कुल 1380 रुपये ही शेष हैं। अब सवाल उठता है कि एक अंगूठा छाप व्यक्ति जब करोड़ों का व्यापार करता है तो वो इतनी तंगी में अपना जीवन बसर क्यों करता है। घर मे संबंधित कोई कागजात भी नहीं है जिसे दिखाकर जमानत ले सके। घरवालों ने पिछले तीन दिनों कुछ खाया पिया नही है। फिलहाल पकड़े गये दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेज दिया गया है।

स्मारक घोटाले मे आरोपी बनाए गए लोगों मे दो लोगों को लखनऊ विजिलेंस टीम ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। विजिलेंस टीम की कार्यवाही और आरोपी बनाए गये दो लोगों की गिरफ्तारी के बाद क्षेत्र मे पत्थर घोटाले की गूंज एक बार फिर गूंजने लगी है।

(आर्यावर्त बैंक में किशोरीलाल के खाते का विवरण)

विजिलेंस टीम ने प्राथमिकी मे आरोपी बनाए गए लोगों को गिरफ्तार कर विधिक रुप से कार्यवाही की लेकिन पत्थर बेल्ट के जानकारों और आरोपियों के परिजनों की मानें तो ये मोहरे मात्र हैं। जिन्होने पर्दे के पीछे से सारे खेल और नफे नुकसान की भूमिका तैयार की वे आज भी कार्यवाही की जद से दूर हैं।

एक बात का जिक्र किया जाना जरुरी है कि प्रदेश में मायावती सरकार आने और राजधानी में विभिन्न महापुरुषों के स्मारक और मूर्तियों में गुलाबी पत्थरों को लगाने के फैसले ने अहरौरा के पत्थर बेल्ट में क्रांति सा ला दिया था। अचानक बड़े नामचीन चेहरे इन लीज होल्डरों को पार्टनर बना कंसोर्टियम गठन कर स्मारक निर्माण में पत्थर आपूर्ति कर रातो-रात लाखों-करोड़ों कमाने लगे।

चर्चा तो यहां तक रही कि तत्कालीन सत्ताधारी दल के कई माननीयों ने भी पहुंच का हवाला देकर इन लीज होल्डरो को पार्टनर बनाकर पत्थर आपूर्ति कर खूब कमाई की, लेकिन जब मामले की जांच हुई तो कार्यवाही की जद मे वही आये जिनका नाम कागजों पर अंकित था।

(करोड़ों रुपये के घोटाला आरोपी किशोरीलाल के घर की तस्वीर)

जो सूचीबद्ध आरोपी हैं वह सबसे कमजोर तबके के आरोपी हैं वही विजिलेंस टीम के हत्थे चढे हैं। जबकि जो नामचीन हैं वह अपनी पहुंच का लाभ उठाकर कार्यवाही की जद से अभी भी बच ही निकले हैं।

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