SC Slams Indian Railway 'अपने सामान की रक्षा स्वयं करें', सुप्रीम कोर्ट ने Indian Railway को दी नसीहत

New Delhi: रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "रेलवे अपनी संपत्ति की सुरक्षा खुद नहीं कर पा रहे हैं और हाथ पर हाथ धरकर बैठे हुए हैं।"

Update: 2021-12-07 06:02 GMT
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New Delhi: "यात्री अपने सामान की रक्षा स्वयं करें" इस संदेश के साथ रेलवे स्टेशन (Railway Station) पर आपको कई पोस्टर दिखते होंगे। इसका मतलब है कि रेलवे आपके सामान की सुरक्षा की कोई जिम्मेवारी नहीं लेगा। इसलिए यात्री को खुद ही अपने सामान की देखरेख की होगी। मगर शायद, भारतीय रेलवे (Indian Railway) अब खुद अपने सामान की सुरक्षा नहीं कर पा रहा है। दरअसल, गुजरात में एक रेल लाइन परियोजना का शुभारंभ होना है। मगर इस रेल लाइन परियोजना के आस पास रेलवे की जमीन पर करीब पांच हजार झुग्गियां झोपड़ियां बनी हुई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए भारतीय रेलवे को जमकर फटकार लगाई।

रेलवे की संपत्ति पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा

सोमवार 6 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक ही तरह के दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई की, जिसमें गुजरात और हरियाणा में रेलवे की जमीनों से अतिक्रमण हटाने से संबंधित मुद्दे उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करना रेलवे की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक परियोजना को आगे बढ़ाना है और प्राधिकारियों को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए थी। कोर्ट ने कहा कि, "रेलवे अपनी संपत्ति की सुरक्षा खुद नहीं कर पा रहे हैं और हाथ पर हाथ धरकर बैठे हुए हैं।" गुजरात मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने रेलवे की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के एम नटराज से कहा, "अतिक्रमण वाली जमीन आपकी संपत्ति है और आप अपनी संपत्ति की रक्षा नहीं कर रहे हैं। अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करना आपका एक वैधानिक दायित्व है।"

झुग्गियों से रेल परियोजना हुई बाधित

गुजरात मामले में, याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत (Supreme Court) को बताया था कि गुजरात उच्च न्यायालय (Gujrat High Court) ने यथास्थिति बनाये रखने का अपना अंतरिम आदेश वापस ले लिया था और पश्चिम रेलवे को सूरत-उधना से जलगांव तक की तीसरी रेल लाइन परियोजना पर आगे बढ़ने की अनुमति दी थी। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जिसने गुजरात में रेलवे की जमीन पर बने 'झुग्गियों' के ध्वस्तीकरण पर यथास्थिति प्रदान की थी। दूसरी याचिका हरियाणा के फरीदाबाद में रेल लाइन के पास 'झुग्गियों' को तोड़े जाने से संबंधित है। इस मामले में शीर्ष अदालत ने पहले उन लोगों के झुग्गियों को ढहाये जाने पर यथास्थिति प्रदान की थी, जिन्होंने हटाये जाने पर रोक के अनुरोध को लेकर अदालत का रुख किया था।

पुनर्वास पर विचार करें रेलवे- SC

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा कि,"रेलवे के पास उसकी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के पुनर्वास की कोई योजना नहीं है। उन्होंने 'प्रधानमंत्री आवास योजना' का जिक्र किया जो पात्रता के अधीन है। एएसजी ने कहा कि राज्य को पुनर्वास के पहलू पर विचार करना होगा।" पीठ ने कहा, "कार्पोरेशन, राज्य और रेलवे को एकसाथ बैठकर एक योजना बनानी चाहिए और फिर अदालत को इसके बारे में सूचित करना चाहिए। रेलवे के दृष्टिकोण से, ये सभी लोग अनधिकृत रूप से रहने वाले हैं और यह एक अपराध है।"

सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को फटकारते हुए कहा, "क्या आपने उन्हें हटाने के लिए अपने वैधानिक दायित्व का निर्वहन किया? क्या आपने सार्वजनिक परिसर अधिनियम लागू किया?" न्यायमूर्ति की पीठ ने रेलवे से सवाल किया कि "क्या आपने उन लोगों की पहचान की है जो प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत पात्र हैं या पात्र हो सकते हैं।" पीठ ने इस मामले की अगली सुनवायी मंगलवार तक के लिए टाल दिया और कहा कि "प्राधिकारियों को इस मुद्दे का कुछ हल खोजना होगा। "

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