नक्सल हिंसा से प्रभावित छत्तीसगढ़ के इलाकों में शांति वार्ता के लिए आदिवासियों से सर्वेक्षण

न्यू पीस प्रोसेस संस्था ने स्वतंत्रता दिवस पर 'बस्तर मांगे : हिंसा से मुक्ति' विषय पर एक सेल्फी प्रतियोगिता भी शुरू की है...

Update: 2020-08-18 12:59 GMT

रायपुर। मध्य भारत में जारी नक्सली हिंसा का समाधान खोजने के लिए छत्तीसगढ़ की मूल भाषाओं में जनमत सर्वेक्षण किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के साथ दशकों से काम कर रहे शांति व मानवाधिकार कार्यकर्ता शुभ्रांशु चौधरी की अगुवाई वाली 'न्यू पीस प्रोसेस' (एनपीपी) संस्था नक्सली हिंसा पर गोंडी, हल्बी और हिंदी भाषाओं में फोन पर जनमत सर्वेक्षण करवा रही है। यह जनमत सर्वेक्षण 74 वें स्वतंत्रता दिवस से शुरू हुआ है।

एनपीपी ने एक बयान में कहा कि इस पोल का उद्देश्य यह पता लगाना है कि मध्य भारत में कितने लोग मानते हैं कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों और पुलिस के बीच हिंसा का समाधान बातचीत है और कितने लोग मानते हैं कि इस नक्सल हिंसा का समाधान सैन्य और पुलिस द्वारा प्रतिक्रिया देना है।

छत्तीसगढ़ में कोई भी 7477 288 444 फोन नंबर पर मिस्ड कॉल देकर अपनी राय दर्ज करा सकता है। इस नंबर पर मिस्ड कॉल देने पर कॉल करने वाले को दूसरे नंबर से कॉल बैक आएगा और कॉल करने वाले व्यक्ति से कंप्यूटर द्वारा हिंदी, गोंडी और हल्बी भाषाओं में बात की जाएगी।

कॉल करने वाला व्यक्ति तीन भाषाओं में अपने विचारों को विस्तार से रिकॉर्ड करा सकता है। इस नंबर पर 2 अक्टूबर तक फोन किया जा सकता है, इसके बाद गांधी जयंती पर एनपीपी की 'ब्रेक द साइलेंस' ई-रैली में इस सर्वे के नतीजे घोषित किए जाएंगे।

एनपीपी ने स्वतंत्रता दिवस पर 'बस्तर मांगे : हिंसा से मुक्ति' विषय पर एक सेल्फी प्रतियोगिता भी शुरू की है। एनपीपी के संयोजक शुभ्रांशु चौधरी ने आईएएनएस को बताया कि वे 'चायकले मांडी' नाम से बैठकों की एक श्रृंखला भी शुरू कर रहे हैं। गोंडी भाषा के इस शब्द का अर्थ 'शांति और खुशी के लिए बैठक' करना है।

इन बैठकों में दोनों पक्षों के हिंसा से पीड़ितों लोगों को बुलाया जाएगा और उनसे हिंसा के संभावित समाधानों के बारे में राय मांगी जाएगी। फिर उनकी राय के आधार पर आगे के कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे।

इस विषय पर शहर में रहने वाले लोग सोशल मीडिया के जरिए अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में नक्सली हिंसा में 12 हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिसमें 2,700 पुलिसकर्मी शामिल हैं।

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