Jhansi News: BJP बनाम सपा की सियासत में अधर में लटकी 600 करोड़ की एरच बांध परियोजना, अब चुनाव में वोटर मांगेंगे हिसाब

Jhansi News: गरौठा विधानसभा क्षेत्र में बेतवा नदी पर जुझारपुरा गांव के पास 600 करोड़ की लागत की एरच बांध परियोजना का निर्माण कार्य सियासत और भ्रष्टाचार में अटक कर आधा-अधूरा रह गया।

Update: 2022-01-09 06:34 GMT

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झाँसी से लक्ष्मी नारायण शर्मा की रिपोर्ट

Jhansi News: गरौठा विधानसभा क्षेत्र में बेतवा नदी पर जुझारपुरा गांव के पास 600 करोड़ की लागत की एरच बांध परियोजना का निर्माण कार्य सियासत और भ्रष्टाचार में अटक कर आधा-अधूरा रह गया। इसके निर्माण पर अखिलेश सरकार के कार्यकाल में 400 करोड़ रुपये खर्च हुए लेकिन उत्तर प्रदेश में सरकार बदलने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसके निर्माण कार्य को रोक दिया। इसके निर्माण में स्थानीय भाजपा विधायक जवाहर राजपूत की ओर से भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गए थे और इसी आधार पर पांच साल तक बांध के निर्माण का काम ठप रहा। इन पांच सालों में न तो कोई अफसर या ठेकेदार जेल भेजा गया और न ही बांध का निर्माण कार्य शुरू हो सका। अब जब वर्तमान सरकार का कार्यकाल बीत चुका है तो विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा सियासत का भी केंद्रबिंदु बन रहा है। 

अखिलेश यादव ने रखी थी बांध की आधारशिला

एरच बहुद्देशीय बांध परियोजना की साल 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आधारशिला रखी थी। उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन यानी साल 2017 तक इस बांध के निर्माण पर लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे और लगभग आधा काम हो चुका था। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद योगी सरकार ने इसके निर्माण में घोटाले की जांच के आदेश दिए और इसी के साथ काम भी रोक दिया गया। इस परियोजना की शुरुआती लागत लगभग 600 करोड़ थी और जानकर मानते हैं कि अब इसकी नई परियोजना लागत 1000 करोड़ से 1200 करोड़ के बीच होगी।

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पांच साल बेनतीजा जांच

इस बांध परियोजना की कई स्तरों पर जांच कराई गई लेकिन जांच और कार्रवाई से जुड़े किसी भी मसले को सार्वजनिक नहीं किया गया। शुरुआती दौर में इसके निर्माण कार्य की गुणवत्ता और डिजाइन की आईआईटी कानपुर और आईआईटी रुड़की से इसकी जांच कराई गई। इसके साथ ही सिंचाई विभाग को इसकी टीएसी जांच कराने को कहा गया था। बाद में आर्थिक अपराध शाखा ईओडब्ल्यू को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। पूरे पांच साल बीत जाने के बाद भी किसी जांच का कोई नतीजा सामने नहीं आ सका।

पेयजल और सिंचाई की बड़ी परियोजना

विपक्षी दल और किसान संगठन साफतौर पर यह मानते हैं कि राजनीतिक विद्वेष में इसका निर्माण कार्य रोका गया। माना जा रहा है कि यदि यह बांध समय से बन जाता तो झाँसी जिले के बामौर ब्लॉक के एक बड़े क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल के संकट को दूर किया जा सकता था। इस बांध के निर्माण का काम तीन उद्द्येश्यों को लेकर शुरू किया गया था। सिंचाई और पेयजल का पानी उपलब्ध कराने के साथ ही इस बांध परियोजना से बिजली उत्पादन भी किया जाना था। अनुमानित हैं कि इस बांध के बन जाने से आसपास के 378 गांव में पेयजल की समस्या को दूर हो जाती और लगभग 10,000 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होती। इस बांध परियोजना से 4 मेगावाट बिजली का उत्पादन किये जाने का भी लक्ष्य था।

भाजपा पर सियासी रंजिश का आरोप

समाजवादी पार्टी सीधे तौर पर इसे राजनीतिक रंजिश की कार्रवाई मानती है। सपा के जिलाध्यक्ष महेश कश्यप कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस बांध के निर्माण के काम को इसलिए रोक दिया क्योंकि यह समाजवादी पार्टी की योजना थी। भाजपा सरकार जनपद में सिंचाई की कोई दूसरी योजना लागू नहीं कर सकी तो समाजवादी पार्टी की सरकार की योजना को भ्रष्टाचार का नाम देकर रोक दिया। महेश कहते हैं कि इसमें कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ था। जिन किसानों को पानी नहीं मिला, वे चुनाव में भाजपा को हराएंगे।

हिस्सेदारी के बंटवारे का आरोप

किसान नेता गौरी शंकर विदुआ कहते हैं कि सरकार बदलने के बाद हिस्सेदारी के बंटवारे के लिए इसका निर्माण रोका गया था। तत्कालीन सिंचाई मंत्री पर आरोप भी लगा था। बाद में सिंचाई मंत्री बदले गए। इस काम को जानबूझ कर लटकाया गया। हमारी मांग यह थी कि भ्रष्टाचार की जांच जारी रखते लेकिन बांध के निर्माण का काम नहीं रुकवाते। यदि जांच में कोई दोषी साबित होता है तो क्या बांध परियोजना निरस्त कर दी जाएगी ? अब इसका बजट बढ़ेगा। जो बजट लगभग 600 करोड़ का था वह अब 1500 करोड़ तक पहुंचेगा। श्रेय की सियासत में इस बांध का काम रोक दिया गया। यह बांध सिंचाई और पेयजल के लिहाज से लगभग पूरा बामौर ब्लॉक कवर करेगा। सपा और भाजपा इस मसले पर एक दूसरे को नीचा दिखा रहे हैं। इसमें नुकसान किसानों का हो रहा है। 

भाजपा का अगली बार निर्माण का दावा

भारतीय जनता पार्टी के नेता और गरौठा विधानसभा क्षेत्र से विधायक जवाहर लाल राजपूत कहते हैं कि किसान हमेशा से उनकी प्राथमिकता रहे हैं। बांध के निर्माण में आर्थिक भ्रष्टाचार हुआ है, इसलिए उसकी जांच जरूरी थी। जांच में समय लगा और जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है, इसलिए निर्माण कार्य रुका रहा। दुबारा सरकार बनने पर बांध का अधूरा निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा और किसानों को सिंचाई व पेयजल का पानी उपलब्ध कराएंगे।

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