Mirzapur news : योगी सरकार की स्थानांतरण नीति पर भारी पड़ रहे स्वास्थ्य विभाग के लैब टेक्नीशियन, यहां CMO नहीं सीएमओ ऑफिस के बाबू का चलता है राज!
Mirzapur news :स्थानांतरण के बाद भी मिर्जापुर में दशकों से अपने पद पर कुंडली मारे बैठे हैं कई स्वास्थ्य कर्मी, सरकार के समानांतर चला रहे हैं अपनी सत्ता, हनक के आगे विभाग भी दिख रहा विवश
संतोष देव गिरि की रिपोर्ट
Mirzapur news : उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में सबकुछ सरकार की मंशा के अनुरूप नहीं, बल्कि नौकरशाहों की मंशा के मुताबिक हो रहा है। बात यदि करें स्वास्थ्य विभाग की तो यह विभाग इस मामले में अव्वल नजर आता है। शासन प्रशासन यहां तक कि खुद स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों के आदेश निर्देश भी बेबस नजर आते हैं।
बात करते हैं पिछले महीने की जब मुख्य चिकित्साधिकारी राजीव सिंघल द्वारा लंबे समय से एक ही पटल पर कार्यरत कई कर्मचारियों को शासन और विभाग की नीतियों तथा नियमावली के मुताबिक एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन हद है कि यह आदेश निर्देश अपने मुखिया का उन कर्मचारियों को जरा भी रास नहीं आया जो उनके अधीन कार्यरत हैं। स्थानांतरित जगह पर जाने की बात तो छोड़ दीजिए कार्यरत स्थान से यह कर्मचारी हिले तक नहीं है।
पूर्व में जारी किए गए आदेश के महीने दिन बीतने को हो गए हैं, लेकिन अभी तक इन कर्मचारियों में से अभी तक किसी ने हिलने की जहमत नहीं उठाई है। खासकर विजयपुर और लालगंज स्वास्थ्य केंद्र पर जमे लैब टेक्नीशियन (LT) की तो बात ही निराली है।
गौरतलब है कि कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी मिर्जापुर द्वारा 30 जून 2022 को शासनादेश के मुताबिक सरकारी कार्यालयों में कार्य की स्वच्छता बनाए रखने के पृष्ठ का समूह श्गश् के कार्मिकों का प्रत्येक 3 वर्ष के उपरांत पटल क्षेत्र परिवर्तन हेतु प्राप्त निर्देश के अनुक्रम में स्वास्थ्य विभाग के कुल 7 लैब टेक्नीशियन (Lab Technician) का पटल परिवर्तन किया गया था तथा इन्हें अपने नवीन पटल तैनाती स्थल पर जाने का आदेश भी निर्गत किया गया था, लेकिन हद की बात है कि इसमें से कई कर्मचारियों ने आज तक अपने नवीन पटल तैनाती स्थल पर जाने की जहमत नहीं उठाई है।
इसे अब हठधर्मिता कह ले या मनमानी इसमें से कई कर्मचारियों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए अपने स्थान से हिलने तक की कोशिश नहीं की है। वर्षों से सांप की भांति एक ही स्थान पर कुंडली मारे यह कर्मचारी शासन के आदेशों के साथ.साथ अपने मुखिया के आदेशों को भी दरकिनार करते हुए अपनी समानांतर सत्ता चलाने की हठधर्मिता पर आमादा है।
बताते चलें कि स्थानांतरित किए गए लोगों में श्री राम मिलन एलटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विजयपुर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज के लिए स्थानांतरित किया गया था। इसी प्रकार आशीष कुमार दुबे टीबीआई मिर्जापुर से जिला संक्रामक रोग चिकित्सालय मिर्जापुर, आशीष कुमार एलटी फाइलेरिया नियंत्रण इकाई मिर्जापुर से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज, सुशील कुमार सिंह एलटी जिला संक्रामक रोग चिकित्सालय से फाइलेरिया नियंत्रण इकाई मिर्जापुरए अशोक कुमार मौर्या एलटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अहरौरा से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जमालपुरए रमेश कुमार पांडे एसएलटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज से जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय मिर्जापुर तथा मुकेश कुमार सिंह एलटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विजयपुर को स्थानांतरित किया गया था।
पूर्व में 30 जून 2022 को नवीन पटल के लिए स्थानांतरित किए स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा तकरीबन 15 दिन बाद ही अपने नवीन तैनाती स्थल पर जाकर कार्यभार न ग्रहण करने की जानकारी होने पर पुनः मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा 18 जुलाई 2022 को क्रमशः जिला कुष्ठ रोग, मलेरिया, क्षय रोग तथा फाइलेरिया नियंत्रण अधिकारी को संयुक्त रूप से चेतावनी पत्र जारी करते हुए स्थानांतरित अधिकारी कर्मचारियों, जो इनके अधीन कार्यरत थे, को कार्यमुक्त न किए जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी। कहा था कि इनके संबंध में बार.बार कार्यमुक्त किए जाने हेतु निर्देश दिए जा चुके हैं, बावजूद इसके उन्हें कार्यमुक्त न किया जाना एक तरफ से उनके आदेशों का उल्लंघन है। ऐसे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा पुनः अपने इस पत्र के माध्यम से स्थानीय स्थानांतरित समस्त अधिकारी कर्मचारियों को कार्य मुक्त करते हुए कार्यभार मुक्त प्रभार प्रमाण पत्र उनके समक्ष प्रस्तुत करने कत्थक आदेश निर्देश जारी किया गया था।
बताया जाता है कि इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए कुछ अधिकारियों कर्मचारियों ने कार्यमुक्त होने के साथ ही अपने नवीन तैनाती स्थल पर जाकर कार्यभार तो ग्रहण कर लिया, लेकिन लालगंज और विजयपुर स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात एलटी आज भी सीएमओ के आदेशों को दरकिनार करते हुए उसी स्थान पर जमे हुए हैं।आश्चर्य की बात है कि उन्हें संबंधित स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सा अधीक्षक ने कार्यमुक्त करने की जहमत नहीं उठाई है। इससे स्पष्ट होता है कि इन्हें ना तो शासनादेश का डर है और ना ही अपने उच्चाधिकारियों के आदेशों और निर्देशों का।
सीएमओ के आदेश को दिखा रहे हैं ठेंगा
शासन के स्थानांतरण नीति को धता बताते हुए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विजयपुर पर तैनात राममिलन जिनको सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज के लिए स्थानांतरित किया गया है, उन्होंने अपने स्थान से अभी तक हिलने तक की जहमत नहीं उठाई है। इसी प्रकार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज पर तैनात एलटी मुकेश कुमार सिंह ने भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विजयपुर जाने का साहस नहीं किया है।
बताया जाता है कि राममिलन जहां स्थानीय होने का भरपूर लाभ उठा रहे हैं और यह यहां विगत 12 वर्षों से एक ही स्थान पर कार्यरत होने बताया जा रहे हैं, जबकि मुकेश कुमार सिंह तकरीबन डेढ़ दशक से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज कुंडली मारे बैठे हुए हैं। स्थानांतरित अन्य कर्मचारियों को तो रिलीव कर दिया गया है, लेकिन इन दो कर्मचारियों को अभी तक रिलीव नहीं किया गया है। इसमें न केवल विभागीय खासकर सीएमओ ऑफिस में बैठे हुए बाबू की संलिप्तता बताई जा रही है। वहीं संबंधित स्वास्थ्य केंद्र के उच्चाधिकारी भी इनके हठधर्मिता के आगे लाचार नजर आते हैं। स्थानांतरण होने के बाद भी लंबे समय से एक ही स्थान पर डटे कर्मचारियों को लेकर विभाग के अंदरखाने में तरह.तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
स्थानांतरित कर्मचारी जहां यह कहते सुने जा रहे हैं हम नही जायेंगे, वही स्थानांतरित कर्मचारियों जिन्होंने अपने विभाग के मुखिया का आदेश निर्देश मानते हुए नवीन तैनाती स्थल पर जाकर कार्यभार ग्रहण किया है, उनका अपना एक अलग दर्द है ष्कि आखिरकार ऐसे आदेश और निर्देश कुछ चुनिंदा लोगों पर क्यों नहीं प्रभावित होते हैं? क्या वह सरकार और विभाग के मुखिया के आदेशए निर्देशों और नीतियों से बढ़कर हैं?
नाम ना छापे जाने की शर्त पर स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने अपना दर्द साझा करते हुए कहा मिर्जापुर जनपद में स्वास्थ्य विभाग की महिमा अपरम्पार है यहां उच्चाधिकारियों के आदेश निर्देश नहीं, बल्कि उनके अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों खास करके सीएमओ ऑफिस में लंबे समय से बैठे बाबू की हठधर्मिता और मनमानी चलती है, जो विभाग को न केवल खोखला करते आ रहे हैं बल्कि विभाग को दागदार करने के साथ.साथ भ्रष्टाचार के दलदल में भी झुकते आ रहे हैं। उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित ना होने से मनमानी और भ्रष्टाचार का राज कायम है।
वह बताते हैं कि यह सिलसिला कोई यहां नई बात नहीं है, बल्कि पिछले डेढ़ दो दशक से यह अनवरत चलता आ रहा है। पूर्व में हुए कई प्रकार के भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े इसकी नजीर रहे हैं। वह सवाल दागते हुए कहते हैं, 'शासन और विभाग की गाइडलाइन तय है कि एक ही जगह तीन साल से अधिक कोई स्वास्थ्य कर्मीए अधिकारी कार्यरत है तो ब्लॉक परिवर्तन कर दिया जाय तो फिर इसका कड़ाई से अनुपालन क्यों नहीं सुनिश्चित हो रहा है? यदि ऐसा हो रहा है तो ऐसे लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?'
नये सीएमओ के आदेश को भी एलटी दिखा रहे ठेंगा
पिछले दिनों सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग में स्थानांतरण नीति के तहत मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर राजीव सिंघल का तबादला उसी पद अमरोहा कर दिया गया था, जिनके स्थानांतरण के बाद यहां नवागत सीएमओ के तौर पर डाॅक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने पदभार ग्रहण कर किया था। पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने अपने अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ बैठक उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पहली प्राथमिकता मरीजों को उचित उपचार मिलेए वह किसी भी परिस्थिति में केन्द्र से वापस न जाये। केन्द्रों पर तैनात सभी स्टाफ ससमय रहेए अन्यथा अनुपस्थित पाए जाने पर या लापरवाही की शिकायत पर उनके खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्यवाही की जायेगीए लेकिन जिले के स्वास्थ्य विभाग में ऐसा कुछ हनक दिखलाई नहीं दे रहा है।
स्थानांतरण नीति पर उनके आदेशों निर्देशों को दरकिनार करते हुए अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारी भारी पड़ते हुए नजर आ रहे हैं तो वहीं स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली चिकित्सकों की मनमानी किसी से छुपी हुई नहीं है। हालांकि इस संदर्भ में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेंद्र प्रसाद से बात की गयी तो उन्होंने स्पष्ट किया कि शिकायतें मिल रही हैं, उन पर गौर किया जा रहा है खासकर खासकर के स्थानांतरण के मसले पर उन्होंने कहा कि शीघ्र ही इस पर दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी चाहे वह कोई भी हो।
सीएमओ नहीं सीएमओ ऑफिस के बाबू की चलती है जनाब
स्वास्थ्य विभाग में कहने को तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी सर्वे सर्वा होते हैंए लेकिन गौर फरमाया जाए तो यहां सीएमओ नहीं बल्कि सीएमओ ऑफिस के बाबू की मनमानी चलती है। स्थानांतरण हो या अन्य कोई तैनाती से संबंधित मामलाए इन बाबू की हनक लोगों के सर चढ़कर बोलती है। बताया जा रहा है कि पिछले महीने मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा बड़े पैमाने पर लैब टैक्नीशियन के किए गए स्थानांतरण में भी इन बाबू की हनक नजर आ रही है।
विभागीय सूत्रों की मानें तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी राजीव सिंघल के स्थानांतरण आदेश को दरकिनार करते हुए कई लैब टेक्नीशियन जो आज भी अपने स्थान पर सांप की भांति कुंडली मारे हुए हैं, उनके अपने पुराने स्थान से ना हिलने के पीछे कहीं न कहीं से मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के बाबूओं की सांठगांठ और बंद लिफाफे की महिमा का होना मुख्य वजह बताया जा रहा है, जिनके आगे सीएमओ का आदेश भी असहाय पड़ जा रहा है।
फर्जी नियुक्तियों से लेकर एनएचआरएम घोटाले के लिए सुविख्यात रहा है मिर्जापुर
तकरीबन एक दशक पूर्व उत्तर प्रदेश में बसपा शासनकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में हुए बड़े पैमाने पर एनएचआरएम घोटाले की कड़ी मिर्जापुर जनपद से भी जुड़ी रही है। एनएचआरएम घोटाले के साथ ही साथ फर्जी नियुक्तियों की भी यहां भरमार रही है, जिसकी जांच आज भी लंबित चल रही है। मुन्ना बाबूओं की सांठगांठ और फितरती दिमाग का आलम यह रहा है कि स्वास्थ्य महकमे में फर्जीवाड़े की भरमार होने के साथ ही एनएचआरएम घोटाले की जांच को लेकर यह जनपद सुर्खियों में बना रहा है।
राष्ट्रीय स्तर की जांच एजेंसियां भी इस घोटाले और फर्जीवाड़ा को खंगालने में जुटी रही है। कुछ मामलों में कई मुन्ना बाबू पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन ऊंचे रसूख और न्यायालय से राहत पाकर दागदार कर्मचारी और अधिकारी पुनः अपने पद पर बने रहने में कामयाब हुए हैं तो कुछ अन्य जनपदों में स्थानांतरण कराकर जांच की आंच से बचने में भी कामयाब हुए हैं।
मिर्जापुर स्वास्थ्य विभाग में हुए फर्जीवाड़े की बात करें तो अभी भी कई ऐसे नौजवान हैं जो इस फर्जीवाड़े में फंसकर अपना लाखों गंवाने के बाद न्याय की खातिर दर.दर की ठोकरें खाते फिर रहे हैं, उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।