Ankita Murder Case: अंकिता हत्याकांड में SIT ने दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट, कोर्ट ने अंकिता के माता-पिता को भी बनाया गया पक्षकार

Ankita Murder Case: अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग को लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में शुक्रवार को कोर्ट ने मृतका अंकिता के माता पिता को भी पक्षकार बना दिया।

Update: 2022-11-11 11:52 GMT

Ankita Murder Case: अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग को लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में शुक्रवार को कोर्ट ने मृतका अंकिता के माता पिता को भी पक्षकार बना दिया। इसी के साथ कोर्ट द्वारा तलब किए जाने पर इस मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने हत्याकांड जांच रिपोर्ट का लेटेस्ट स्टेटस शुक्रवार को होने वाली इस सुनवाई से एक दिन पूर्व कल गुरुवार को ही कोर्ट में दाखिल कर दिया था। माना जा रहा है कि इस मामले की जांच कर रही एसआईटी के जबाव से हाईकोर्ट सन्तुष्ट नहीं है।

पौड़ी निवासी पत्रकार आशुतोष नेगी द्वारा उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने अंकिता भंडारी हत्या मामले की जाँच सीबीआई से कराए जाने को लेकर दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने मृतका अंकिता के माता पिता को याचिका में पक्षकार बनाते हुए उनसे अपना विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है। कोर्ट का उनसे मुख्य सवाल यह है कि उन्हें एसआईटी की जाँच पर क्यों संदेह हो रहा है।

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सुनवाई के दौरान एसआईटी द्वारा दिए गए स्टेटस रिपोर्ट पर कोर्ट ने जाँच अधिकारी से इस मामले की जांच के दौरान फॉरेंसिक साक्ष्यों की बाबत जानकारी ली जाँच अधिकारी कोर्ट को सन्तुष्ट नही कर पाए। उनके द्वारा केवल इतना ही कहा गया कि कमरे को ध्वस्त करने से पहले सारी फोटोग्राफी की गई है। मृतका के कमरे से एक बैग के अलावा कुछ नही मिला। इस मामले में एसआईटी की ओर से याचिकाकर्ता पर अंकिता हत्याकांड में क्राउड फंडिंग का आरोप लगाने के साथ ही याचिकाकर्ता पर पत्रकारिता से जुड़े कुछ मामलों का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ता को संदिग्ध साबित करने की भी चेष्टा की गई।

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जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट के सामने क्राउड फंडिंग व याचिकाकर्ता पर चल रहे मुकदमों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि मृतका के परिवार व केस में मदद के लिए की गई उनकी अपील पर कुल 49 हजार रुपए इस मद में इकट्ठा हुए थे, जिसमें 1 हजार रुपए और मिलाकर 50 हजार का चेक मृतका के पिता को सौंपा जा चुका है। शुक्रवार की इस सुनवाई में अंकिता की माता सोनी देवी व पिता बीरेंद्र सिंह भंडारी को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए। जिसके बाद उनकी ओर से इस याचिका में अपना प्रार्थना पत्र पेश कर दिया गया। जिसमें उन्होंने एसआईटी पर इस मामले की जाँच में लापरवाही बरतने का इल्जाम लगाते हुए मामले की जाँच सीबीआई से कराये जाने की मांग की है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को एसआईटी के जवाब पर अपना जवाब देने के लिए समय देते हुए इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवम्बर को तय की है।

याचिकाकर्ता आशुतोष नेगी ने सुनवाई के बाद जनज्वार को बताया कि सरकार इस मामले में शुरुआत से ही किसी वीआईपी को बचाना चाह रही है। सबूत मिटाने के लिए रिसॉर्ट से लगी फैक्टरी को भी जला दिया गया। जबकि वहाँ पर कई सबूत मिल सकते थे। स्थानीय लोगो के मुताबिक फैक्ट्री में खून के धब्बे देखे गए थे। शंकाएं तो यहां तक हैं कि सरकार ने किसी को बचाने के लिए जिलाधिकारी तक का स्थानान्तरण कर दिया। नेगी ने बताया कि उन पर इस केस को वापस लिए जाने का दवाब डाला जा रहा है। उन पर क्राउड फंडिंग का आरोप भी लगाया जा रहा है। जबकि खुद पुलिस व एसआईटी इस मामले के महत्वपूर्ण सबूतों को छुपा रहे है। एसआईटी द्वारा अभी तक अंकिता का पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सार्वजनिक नही की। जिस दिन उसका शव बरामद हुआ था उसकी दिन शाम को उनके परिजनों के बिना अंकिता का कमरा तोड़ दिया।

जब अंकिता का मेडिकल हुआ था पुलिस ने बिना किसी महिला की उपस्थिति में उसका मेडिकल कराया गया। जो सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के विरुद्ध है। मेडिकल कराते समय एक महिला का होना आवश्यक था जो इस केस मे पुलिस द्वारा नही किया। जिस दिन उसकी हत्या हुई थी उस दिन छः बजे पुलकित उसके कमरे में मौजूद था, तथा अंकिता अपने कमरे में रो रही थी। कुल मिलाकर पुलिस इस केस में इतनी लीपापोती कर रही है बिना सीबीआई जांच के इस केस का असली सच सामने नहीं आ सकता। इसलिए उनकी मांग है कि अंकिता हत्याकांड की जांच सीबीआई से ही कराई जाए।

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