Champawat News in Hindi: सवर्ण बच्चों के बाद अब दलित छात्रों ने किया मिड-डे-मील का बहिष्कार, मुख्यमंत्री ने दिया जांच का आदेश
Champawat News in Hindi: दलित भोजनमाता की नियुक्ति के बाद सवर्ण बच्चों द्वारा मिड-डे-मील के बहिष्कार से प्रदेश भर में चर्चाओं में आये राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग में भोजनमाता का विवाद शुक्रवार को फिर शुरू हो गया।
Champawat News in Hindi: दलित भोजनमाता की नियुक्ति के बाद सवर्ण बच्चों द्वारा मिड-डे-मील के बहिष्कार से प्रदेश भर में चर्चाओं में आये राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग में भोजनमाता का विवाद शुक्रवार को फिर शुरू हो गया। इस बार अनुसूचित जाति के बच्चों ने सवर्ण भोजनमाता के हाथ का खाना खाने से मना कर दिया। प्रधानाचार्य ने इस बाबत उच्चाधिकारियों को ताजा घटनाक्रम की जानकारी दे दी है। दूसरी ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने चुनाव से पूर्व विद्यालय में चल रहे घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए मामले की जांच पुलिस उपमहानिरीक्षक नीलेश आनंद भरणे को सौंप दी है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के चंपावत जिले के राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग में नियुक्त भोजनमाता को लेकर विवाद चल रहा है। गांव में गुटबाजी होने के कारण भोजनमाता पद पर अपने गट की महिला की नियुक्ति के लिए जातिवाद तक का सहारा लिया जा रहा है।
इस मामले में पहले आरोप लगे कि स्कूल प्रबंधन ने बगैर किसी प्रस्ताव के नियुक्ति भोजन माता शकुंतला को हटा दिया। फिर बिना कोई विज्ञप्ति जारी किए भोजन माता की रिक्ति जारी कर दी। जिसमें कुल छह महिलाओं ने आवेदन किया, जिसमें विद्यालय प्रबंधन की ओर से एक सवर्ण महिला पुष्पा भट्ट को भोजनमाता पद पर नियुक्ति दे दी गयी। कुछ दिन बाद रिक्ति की दूसरी विज्ञप्ति जारी कर दी गई। जिसमें पांच महिलाओं ने आवेदन किया। स्कूल प्रबंधन ने इसमें से एससी महिला सुनीता देती की भोजनमाता पद पर नियुक्ति कर उनसे विद्यालय में भोजन बनाने का काम शुरू करवा दिया।
लेकिन इस बार जब दलित भोजनमाता की नियुक्ति की गई तो छात्रों और अभिभावकों में रोष फैल गया। सवर्ण बच्चों ने दलित भोजनमाता के हाथ का भोजन करने से मना कर दिया। महिला की जाति के कारण सवर्ण छात्रों ने खाना खाना बंद कर दिया और घर से अपना खाना टिफिन बॉक्स में लाना शुरू कर दिया। स्कूल के 66 छात्रों में से 40 ने दलित समुदाय की महिला द्वारा तैयार खाना खाने से मना कर दिया था।सवर्ण बच्चों द्वारा मिड-डे-मील का बहिष्कार किये जाने के बाद गांव की गुटबाजी का यह मामला जातीय रूप लेने लगा तो इसकी गूंज प्रदेश की सीमाओं से बाहर निकलकर गूंजने लगी। शिक्षा विभाग द्वारा इस प्रकरण की जांच के बाद दलित भोजनमाता को हटाकर स्वर्ण महिला को भोजनमाता नियुक्त किया गया तो यह विवाद थमने की बजाय और बढ़ गया।
शुक्रवार को विद्यालय के दलित छात्रों ने भी सवर्ण बच्चों की तरह सवर्ण महिला के हाथ का बना भोजन करने से मना कर दिया। शुक्रवार को सवर्ण भोजन माता द्वारा बनाए जा रहे भोजन को एससी बच्चों ने खाना खाने से मना कर दिया है। घर से लाए टिफिन के खाने को ही एससी के बच्चों ने खाया। इस घटना से शिक्षा विभाग में खलबली मच गई है। प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी है। प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने उच्चाधिकारियों को बताया कि शुक्रवार 24 दिसम्बर को राजकीय इंटर कॉलेज की कक्षा 6 से लेकर 8 तक के कुल 58 बच्चे स्कूल में उपस्थित थे। जिसमें से अनुसूचित जाति के 23 बच्चों ने मिड-डे-मील का भोजन नहीं किया। इन बच्चों का कहना है कि यदि अनुसूचित जाति की महिला के हाथों बने भोजन से सवर्णों को नफरत है तो हम भी सवर्ण महिला के हाथ का खाना नहीं खाएंगे। हम अपना लंच बॉक्स घर से ही लाएंगे।
दूसरी ओर इस मामले की चुनावी बेला में संवेदनशीलता को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने प्रकरण की जांच पुलिस उपमहानिरीक्षक कुमाउं (डीआईजी) नीलेश आनंद भरणे को सौंप दी है।
कुल मिलाकर यह मामला नियुक्ति में गड़बड़ी का है या जाति का, स्पष्ट रूप से साफ नहीं हो पा रहा है। एक गुट इसे नियुक्ति में घपला बताता है तो दूसरा गुट इसे दलित उत्पीड़न से जोड़ रहा है। राज्य में विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक है, इसलिए भी यह मामला संवेदनशील होकर तूल पकड़ता जा रहा है।