Dehradun News: 13वें साल भी सिख संगत को हरिद्वार में नहीं घुसने दिया, प्राचीन गुरुद्वारे के पुनरुद्धार की है मांग, हर साल गुरु पर्व पर होती नाकाम होती है हर की पैड़ी पर पहुंचने की कोशिश
Dehradun News: पंजाब से हरिद्वार के गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी के लिए रवाना हुई सिख संगत को सिख जत्थों को हर साल भी तरह इस साल भी हरिद्वार में नहीं घुसने दिया गया। पंजाब से आ रही इस संगत को मंगलवार को भी हिमाचल बॉर्डर पर रोक दिया गया है।
Dehradun News: पंजाब से हरिद्वार के गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी के लिए रवाना हुई सिख संगत को सिख जत्थों को हर साल भी तरह इस साल भी हरिद्वार में नहीं घुसने दिया गया। पंजाब से आ रही इस संगत को मंगलवार को भी हिमाचल बॉर्डर पर रोक दिया गया है। संगत को रोकने के लिए कुल्हाल चेक पोस्ट पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। हरिद्वार में प्रवेश करने के लिए यह सिख जत्थे मंगलवार की सुबह पांवटा साहिब पहुंच गए थे।
बता दे कि साल 2009 से हर साल पंजाब की सिख संगत के जत्थे कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर होने वाले गुरू पर्व के मौके पर हरिद्वार स्थित गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी पहुंचने की कोशिश करते हैं। लेकिन पुलिस इन्हें हर साल हरिद्वार से बाहर ही रोक कर वहीं से उन्हें वापस लौटा देती है। तीखा विरोध होने पर संगत के लोगों की गिरफ्तारी भी कर ली जाती है। जिन्हें बाद में निजी मुचलके पर छोड़ दिया जाता है।
इसी सालाना कवायद के तहत मंगलवार को भी पंजाब की सिख संगत के जत्थे हरिद्वार पहुंचने की कोशिश कर रहे थे। यह जत्थे पांवटा साहिब से जैसे ही उत्तराखंड में प्रवेश करने लगे तो एसडीएम विनोद कुमार और पुलिस अधिकारियों ने उन्हें पुल पर ही रोक दिया। एसडीएम विनोद कुमार, एसपी देहात कमलेश उपाध्याय, सीओ संदीप नेगी, कोतवाल शंकर सिंह बिष्ट जत्थे में शामिल व्यक्तियों से वार्ता के बाद कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्हें वहीं से वापस लौटने के निर्देश दिए गए। इस दौरान किसी को भी उत्तराखंड में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है।
यह है मुख्य विवाद
इस मामले में सिख समुदाय का दावा है कि हरकी पैड़ी पर श्री गुरु नानक देव महाराज का साढ़े चार सौ साल पुराना प्राचीन गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी है। सिखों का इल्जाम है कि 1978 में घाटों के सौंदर्यीकरण के नाम पर गुरुद्वारा हटाने की साजिश रची गई और 1984 में गुरुद्वारा तोड़कर बाजार व दुकान बना दी गई। इसी वजह से सिख समुदाय यहां पर गुरुद्वारा बनाना चाहता है। जिस स्थान पर सिख समुदाय गुरुद्वारा होने का दावा करता है, इस स्थान पर वर्तमान में भारत स्काउट एंड गाइड का कार्यालय बना हुआ है। इस कार्यालय को ही तोड़कर गुरुद्वारा बनाए जाने की मांग पर ही हर साल सिख संगत के जत्थे हरिद्वार कूच करते हैं, जिन्हे रास्ते में ही रोक दिया जाता है।
ढाई साल तक धरना भी दे चुके हैं सिख समाज के लोग
सिख समुदाय के लोग पूर्व में 2016 के 4 अक्तूबर से करीब ढाई साल तक गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी के मामले में प्रेमनगर आश्रम के पास धरना भी दे चुके हैं। सिख समाज की थी कि उन्हें हर की पैड़ी पर गुरुद्वारा बनाने के लिए भूमि दी जाए। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने इस मामले के निपटारे को लेकर देहरादून में अधिकारी और सिख समाज के लोगों के साथ वार्ता भी की थी। वर्ष 2009 से हरिद्वार हरकी पैड़ी पर ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारा बनाने की इस मांग पर वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में 14 सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया था। लेकिन आज तक मामले का निपटारा नहीं हो सका।
कोर्ट भी पहुंच चुका है यह मामला
हरिद्वार में हर की पैड़ी क्षेत्र में स्थित गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी का विवाद हाईकोर्ट भी पहुंच चुका है। कोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए भारतीय पुरातत्व विभाग के निदेशक सहित केंद्र, उत्तराखंड और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर हरिद्वार में गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी की स्थापना के सम्बंध में जवाब भी मांगा था। तब वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में उत्तराखंड सिख फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष गुरुदेव सिंह सहोता की उस जनहित याचिका पर सुनवाई की थी जिसमें कहा गया था कि सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव हरिद्वार में प्रथम आगमन पर तत्कालीन लंढौरा नरेश ने अपनी हवेली में ज्ञान गोदड़ी का आयोजन किया था। गुरु नानक के आगमन पर हरि की पैड़ी में गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी के लिए जगह आवंटित की थी, जो 1976 तक इस स्थान पर थी लेकिन 1976 में हर की पैडी के सौंदर्यकरण के नाम पर गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी को वहां से इस आश्वासन पर हटाया गया कि उसे पुनः इसी स्थान पर स्थापित किया जाएगा लेकिन इस ऐतिहासिक धरोहर व सिखों के पवित्र चिह्न को अभी तक वहां स्थापित नहीं किया गया।
अल्पसंख्यक आयोग के दखल पर मिली जमीन निकली यूपी की
इसके अलावा 2001 में यह मामला राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की चौखट पर भी पहुंच चुका है। तब आयोग के निर्देश पर हरिद्वार के तत्कालीन जिलाधिकारी ने गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी की स्थापना के लिए जगह का चयन कर शासन को भेजा गया लेकिन जांच में यह जगह उत्तर प्रदेश सरकार की निकली। इस संदर्भ में आयोग से दोबारा शिकायत करने पर दोनों सरकारों के मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी के लिए भूमि आवंटित की जाय लेकिन यह मामला अब भी लम्बित है।