उत्तराखंड हादसा: 4 और शव मिले तो मृतकों की संख्या 32 पर पहुंची, 206 लोग अब भी लापता
बताया जा रहा है कि हादसे में अब भी 206 लोग लापता हैं, इन लापता लोगों में से बिजली परियोजना के सुरंग में फंसे लगभग 25-30 मजदूरों को निकालने की कवायद अब भी चल रही है...
जनज्वार। उत्तराखंड में आए जल प्रलय के तीन दिन गुजरने के बाद भी इसमें कितना नुकसान हुआ है, इसका सही आकलन नहीं हो सका है। तबाही के निशान लगातार सामने आ रहे हैं। लोगों को अब भी जिंदा बचाया जा रहा है, वहीं शवों के मिलने का सिलसिला भी लगातार चल रहा है। राज्य के चमोली जिले के ऋषिगंगा में रविवार को हुए जल प्रलय ने भारी तबाही मचाई है।
बताया जा रहा है कि इस हादसे में अब भी 206 लोग लापता हैं। इन लापता लोगों में से बिजली परियोजना के सुरंग में फंसे लगभग 25-35 मजदूरों को निकालने की कवायद अब भी चल रही है। इससे पहले मंगलवार को रैणी गांव स्थित ऋषिगंगा परियोजना की साइट से चार और शव मिले हैं। इस तरह कुल मृतकों की संख्या अब 32 तक पहुंच गई है।
बताया जा रहा है कि रैणी-तपोवन त्रासदी में बिजली परियोजना के टनल में फंसे लोगों को रेस्क्यू करना मुश्किल होता जा रहा है। ये लोग तीन दिनों से टनल में फंसे हुए हैं। यहां टनल के अंदर मौजूद टनों की मात्रा वाला मलवा बचाव कार्य में बड़ा बाधा बन रहा है।
हालांकि सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ मौके पर लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी है और अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू किया जा सके, लेकिन टनल के अंदर के हालात इतने कठिन और चुनौती भरे हैं कि फंसे लोगों तक पहुंचना मुश्किल कार्य बना हुआ है।
यहां की भौगोलिक स्थिति यह है कि चमोली के तपोवन परियोजना में दो सुरंग हैं। तबाही के बाद दो किमी लंबी मुख्य टनल मलवे और गाद के भर जाने के कारण पूरी तरह से बंद हो चुकी है। यही नहीं, बल्कि इसका मुहाना भी पूरी तरह मलबे में दब चुका है।
इसी मुख्य टनल से 180 मीटर लंबी एक और टनल जुड़ती है। अब इस दूसरी टनल से रास्ता खोलने का प्रयास चल रहा है। इस दूसरी टनल के साथ एक 450 मीटर लंबी एक सहायक टनल भी है, जहां भी मजदूरों के फंसे होने की सम्भावना जताई जा रही है।
बताया जा रहा है कि कुछ मजदूर दो किमी लंबे मुख्य टनल में फंसे हुए हैं। हालात इतने कठिन हैं कि तमाम कोशिशों के बाद भी मंगलवार शाम तक बचाव दल 150 मीटर तक ही जा पा रही है। इसमें भी जेसीबी अबतक लगभग 120 मीटर तक ही पहुंच पाई है।