Uttarakhand Election 2022 : चुनावों से पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस में 'घर वापसी' करेंगे आधा दर्जन विधायक!

बीते दिनों राहुल गांधी के नेतृत्व में यशपाल आर्य और उनके बेटे की कांग्रेस में 'घर वापसी' हुई थी, जबकि बीजेपी के छह विधायक और कांग्रेस के संपर्क में हैं, जो जल्द ही हाईकमान के निर्णय के बाद कांग्रेस ज्वॉइन करेंगे....

Update: 2021-10-18 12:21 GMT

हरक सिंह रावत भी करेंगे कांग्रेस में घरवापसी, कुंजवाल ने दिया इशारा

Uttarakhand Election 2022, देहरादून। विधानसभा चुनाव की पूर्वसंध्या पर कांग्रेस के ब्रहमास्त्र का आघात झेल रही उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार को एक और राजनीतिक झटका लगने की संभावनाएं बलवती हो गयी हैं। प्रदेश के प्रमुख गांधीवादी व धीर-गम्भीर राजनीति के पुरोधा गोविन्द सिंह कुंजवाल ने इस बाबत इशारा दे दिया है। बकौल कुंजवाल भाजपा के आधा दर्जन विधायक कांग्रेस के सीधे संपर्क में हैं। ठीक समय पर आलाकमान इस बाबत निर्णय लेगा।

उत्तराखंड की राजनीति में विपक्षी को ध्वस्त करने के लिए उसके विधायकों को बल्क में अपने पाले में करने की जो राजनीति भारतीय जनता पार्टी ने जो शुरू की थी, वह अब खुद उसके लिए भारी पड़ती नजर आ रही है। चुनाव से पहले इक्का-दुक्का विधायकों को भाजपा में शामिल कर अपर हैंड खेल रही भाजपा को कांग्रेस ने उसके कैबिनेट मंत्री स्तर पर सर्जिकल स्ट्राइक कर जो झटका दिया उससे भाजपा अभी संभल भी नहीं पाई कि कुंजवाल के इस ताज़ातरीन खुलासे ने प्रदेश में फिर राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है। उत्तराखंड विधानसभा के पूर्व स्पीकर और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने बीजेपी के छह विधायकों की 'घर वापसी' का दावा किया है।

विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि बीते दिनों राहुल गांधी के नेतृत्व में यशपाल आर्य और उनके बेटे की कांग्रेस में 'घर वापसी' हुई थी, जबकि बीजेपी के छह विधायक और कांग्रेस के संपर्क में हैं। जो जल्द ही हाईकमान के निर्णय के बाद कांग्रेस ज्वॉइन करेंगे।

गोविंद सिंह कुंजवाल के इस बयान के बाद प्रदेश में एक फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। वर्तमान में जागेश्वर से विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि कांग्रेस का लगातार ग्राफ बढ़ रहा है और 2022 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार आ रही है। फिलहाल बीजेपी के 6 विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं, जिस पर अंतिम निर्णय आलाकमान द्वारा लिया जाएगा। आलाकमान की हरी झंडी के बाद यह लोग कांग्रेस का दामन थामेंगे।

इस बयान के बाद भाजपा इससे पहले की डैमेज कंट्रोल की तरफ बढ़े उससे पहले ही नरेन्द्र मोदी के 'आपदा में अवसर' वाले फॉर्मूले का पार्टी में ही सदुपयोग शुरू होने की खबरें भी आने लगी हैं। पिछली सरकार के दौरान कांग्रेस से भाजपा में जाकर अपनी उपेक्षा झेल रहे मूल कांग्रेस कल्चर के नेताओं ने इस नाजुक समय में अपने 'वज़न' को लेकर पार्टी से सौदेबाजी करनी शुरू कर दी है। भाजपा के मंत्री यशपाल आर्या का अपने विधायक पुत्र के साथ दोबारा कांग्रेस में जाना भगवा पार्टी के लिए झटका था और राज्‍य में अगले साल चुनाव से पहले भाजपा ऐसे और झटके नहीं चाहती। इसलिए नाराज नेताओं के मान-मनौव्‍वल का भी दौर चल गया है। ऐसे नाराज नेताओं की फेहरिस्त में फिलहाल कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत व विधायक उमेश शर्मा का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। जिन्होंने उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत गौतम के घर पर हुई एक मीटिंग में अपनी नाराजगी को खुलकर रखा।

हरक सिंह रावत की भाजपा से नाराजगी जगजाहिर है। कर्मकार बोर्ड अध्यक्ष के मुददे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने तो हरक को इतना हैवी डोज़ दिया था कि हरक के करीबी उनके भाजपा छोड़ने की भी भविष्यवाणी करने लगे थे। खुद हरक के बयान भी इसी तरह के आते रहे थे। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए पिछले दिनों उत्तराखंड सीएम उनके घर भी गए थे। लेकिन, उस मीटिंग के बाद भी हरक सिंह ने बयान दिया कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।

बताया तो यहां तक जा रहा है कि हरक सिंह कांग्रेस में जाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस नेता हरीश रावत उनकी कांग्रेस में वापसी की राह में रोड़ा बने हुए हैं। हरक सिंह रावत जब कांग्रेस में थे तब उन्होंने हरीश रावत का कई मौकों पर विरोध किया था। इसलिए हरीश हरक की एंट्री पर सहमत नहीं हैं। जिसके बाद हरक सिंह रावत अब भाजपा में ही मोलभाव की कोशिश में हैं। चुनावी राज्य में इस तरह पार्टी से अगर लोग जाने लगें तो इससे पार्टी के खिलाफ ही माहौल बनता है। इस बात से वाकिफ भाजपा नहीं चाहती कि अब भाजपा से कोई कांग्रेस में जाए। इसलिए हरक सिंह को भी मनाने की पार्टी में पूरी कोशिश भी चल रही है।

हालांकि इस मीटिंग के बारे में उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत गौतम ने कहा कि चुनाव नजदीक हैं तो मंत्रियों, विधायकों का मिलना लगा रहता है। कई नए लोग टिकट चाहते हैं और पुराने वाले बने रहना चाहते हैं। इसलिए भी मुलाकातें होती हैं। गौतम ने कहा कि उत्तराखंड में हमारा एक मंत्री (यशपाल आर्य) चला गया तो कुछ लोग मंत्री बनने की ख्वाहिश लिए भी आते हैं।

उन्होंने कहा कि यह चुनावी प्रक्रिया और मानवीय इच्छाएं हैं। पार्टी के भीतर कोई अंसतोष नहीं है, कोई नाराज नहीं है और न ही कोई कहीं जा रहा है। दुष्यंत गौतम ने कहा कि पार्टी ने विकास काम किए हैं। पार्टी पूरे दमखम से चुनाव लड़ेगी।

हरक व उमेश के साथ हुई बैठक के बाद गौतम की यह टिप्पणी हरक के कद को जानने वालों के गले नहीं उतर रही है। माना जा रहा है कि वक्त की नजाकत को देखते हुए पार्टी इस समय अपना मन मारकर हरक की हर इच्छा को पूरा करते हुए हिसाब-किताब के लिए अपने अनुकूल समय की प्रतीक्षा करेगी।

बहरहाल, आने वाले समय में उत्तराखण्ड की राजनीति में कई और ऐसे शेड देखने को मिलने की पूरी संभावना है जिन पर पर्दे के पीछे खास कारीगिरी की जा रही है।

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