बिना अप्रूवल 'कोरोनिल' का प्रचार करने के खिलाफ PIL पर हाईकोर्ट ने की सुनवाई, केंद्र को भेजा नोटिस
याचिकाकर्ता मणि कुमार ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद के मालिक जनता को तब गुमराह कर रहे हैं। वे कहते हैं कि इसके लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय या आईसीएमआर से अप्रूवल की आवश्यकता नहीं होती है....
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर 'सुनवाई की। जनहित याचिका सरकार के अप्रूवल के बिना 'कोरोनिल' का प्रमोशन करने के खिलाफ दायर की गई थी। वहीं कोर्ट ने कोरोनिल' दवा के दावों को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद कोरोनिल से घातक कोरोना महामारी के उपचार का दावा कर रही है।
इस मामले को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, जिन्होंने भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल को 1 जुलाई को सुनवाई के दौरान मौजूद रहने के लिए कहा था।
कानूनी मामलों की समाचार वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जनहित याचिका को उत्तराखंड हाईकोर्ट में प्रैक्टिसिंग वकील मणि कुमार ने दाखिल की थी। मणि कुमार का कहना है कि कंपनी के मालिक जनता को तब गुमराह करते हैं। वे कहते हैं कि उन्हें केंद्रीय आयुष मंत्रालय या भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) से अप्रूवल की आवश्यकता नहीं है।
याचिकाकर्ता ने इसमें राजस्थान के एनआईएमएस विश्वविद्यालय को भी एक प्रतिक्रियावादी पार्टी के रूप में शामिल किया है जिसने केंद्र या राज्य सरकार को सूचित किए बिना कोविड 19 के मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल किए।
23 जून को पतंजलि आयुर्वेद ने कोरोनिल और श्वासरी को लॉन्च करते हुए दावा किया था कि कोरोना के मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल के दौरान 100 प्रतिशत अनुकूल परिणाम मिले हैं।
इसके एक दिन बाद आयुष मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कथित वैज्ञानिक अध्यय के दावे और विवरण के तथ्यों की जानकारी नहीं है। सरकार ने आगे कंपनी से ऐसे दावे बंद करने और सत्यापन के लिए दवाएं जमा करने के लिए कहा था।
बिहार के मुजफ्फरपुर में भी कंपनी के मालिक बाबा रामदेव (संस्थापक) और आचार्य बालकृष्ण (प्रबंध निदेशक, सीईओ) के खिलाफ शिकायत दर्ज की जा चुकी है।