Uttarakhand News: पुष्कर सिंह धामी का नया कारनामा, चलते-चलते फिर दे दी विवादास्पद पीआरओ को गुपचुप नियुक्ति

Uttarakhand News: चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले ही ज़ीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विवादास्पद जनसंपर्क अधिकारी नंदन सिंह बिष्ट की फिर से पद पर वापसी हो गई।

Update: 2022-01-09 16:26 GMT

Uttarakhand News: चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले ही ज़ीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विवादास्पद जनसंपर्क अधिकारी नंदन सिंह बिष्ट की फिर से पद पर वापसी हो गई। पीआरओ को अवैध खनन में लिप्त वाहनों को छोड़ने की सिफारिश का पत्र लिखने के मामले में सरकार ने विपक्ष के हमलावर होने पर दिसंबर माह में बर्खास्त किया था। मामला ठंडा होने पर सरकार ने उनकी उसी पद पर गुपचुक तरीके से वापसी कर दी गई है। चुनावी बेला में विपक्ष के पास सरकार की घेराबन्दी के लिए यह एक नया मुददा आ गया है।

बताते चलें कि दिसंबर माह में मुख्यमंत्री के पीआरओ नंदन सिंह बिष्ट का एक पत्र सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। इस पत्र में बागेश्वर के पुलिस कप्तान को तीन खनन वाहनों के चालान निरस्त करने का आदेश देते हुए इस बाबत मुख्यमंत्री के मौखिक निर्देश होना बताया गया था। आठ दिसंबर को लिखा यह पत्र इंटरनेट मीडिया पर वायरल होने के बाद विपक्ष के हमले से बचने के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने जनसंपर्क अधिकारी नंदन सिंह बिष्ट को बर्खास्त कर मामले की जांच के आदेश दिए थे। लेकिन अब मामले के जरा ठंडा पड़ते ही सरकार ने बिष्ट की फिर से इस पद पर गुपचुप वापसी कर दी।

पीआरओ बर्खास्तगी की वजह बनी 8 दिसम्बर की चिट्ठी

इस बाबत सचिव प्रभारी विनोद कुमार सुमन की ओर से छह जनवरी को जारी आदेश में कहा गया है कि 20 सितंबर 2021 के आदेश से जन संपर्क अधिकारी के सृजित पद के सापेक्ष नंदन सिंह बिष्ट को मुख्यमंत्री के जन संपर्क अधिकारी के एक अस्थायी निःसंवर्गीय (कोटर्मिनस) पद वेतनमान रुपये 56100-177500 में दिनांक 11 दिसंबर से 28 फरवरी तक मुख्यमंत्री की स्वेच्छा अथवा उनके कार्यालय, जो भी पहले हो, बशर्ते कि यह पद उक्त अवधि पूर्व समाप्त न कर दिया जाए, पर नियुक्ति प्रदान करने की राज्यपाल की स्वीकृति प्रदान हो गई है।

नियुक्ति का आदेश

लेकिन सरकार द्वारा चुनाव आचार संहिता से पूर्व ही बिष्ट की गुपचुप नियुक्ति का यह मामला एक बार फिर सार्वजनिक होने से विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का एक और मौका मिल गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश का हवाला देकर अवैध खनन में पकड़े गए वाहनों के चालान निरस्त करवाने का पत्र लिखने वाले बर्खास्त पीआरओ की एक बार फिर उसी पद पर गुपचुप वापसी से साफ हो गया है कि उस समय पीआरओ ने मुख्यमंत्री के ही निर्देश पर ऐसा पत्र लिखा था। पत्र वायरल होने के कारण सरकार की फजीहत होते देख कुछ समय के लिए पीआरओ पर गाज गिराई गई थी। मामला ठंडा होते देख पीआरओ को फिर नियुक्ति दे दी गई।

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