मोदी सरकार का वह कृषि विधेयक क्या है जिस पर हंगामा मच गया और हरसिमरत ने दे दिया इस्तीफा?

मोदी सरकार के कृषि विधेयकों का विरोध करते हुए किसानों की राजनीति करने वाले शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है। कांग्रेस इसके बाद हमलावर हो गई है...

Update: 2020-09-18 03:44 GMT

जनज्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से उनकी दूसरी सबसे पुरानी सहयोगी बाहर हो गई है। शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को तीन कृषि संबंधी विधेयकों का विरोध जताते हुए कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों की बेटी और बहन के रूप में उनके साथ खड़े होने पर गर्व है। प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने त्वरित ढंग से हरसिमरत का इस्तीफा स्वीकार कर लिया।


इससे पहले शिवसेना कोटे के मंत्रियों ने महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के सवाल पर इ्रस्तीफा दिया था। शिवसेना के बाद अकाली दल ही भाजपा का सबसे पुराना सहयोगी है। अकाली सरकार से भले बाहर हुए हैं लेकिन एनडीए में बने हुए हैं। अकाली दल का इस्तीफा इस मायने में अधिक महत्वपूर्ण है कि यह राजनैतिक पद या लाभ से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि किसानों के हित के सवाल से जुड़ा है। भले इस इस्तीफे का उद्देश्य दूरगामी राजनैतिक लाभ हासिल करना हो, लेकिन किसानों की समस्या पर मोदी सरकार की आसान घेराबंदी इससे और आसान हो जाएगी।  

 




कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार के इन तीन कृषि संबंधी अध्यादेश-बिल को काला अध्यादेश व बिल बताया है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि इससे न तो एमएसपी का हक उन्हें मिलेगा और मजबूरी में वे अपनी जमीन पूंजीपतियों को बेचने को मजबूर होंगे। राहुल गांधी ने इसे मोदी का एक और किसान विरोध षड्यंत्र करार दिया है।


सहयोगी से लेकर विपक्ष तक के हमलों को झेल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं। उन्होंने किसान भाइयों को आश्वस्त किया है कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। उन्होंने अपनी सरकार के विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि यह वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाला है। शंका निवारण के लिए मोदी ने विधेयक को लेकर संसद में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किए गए भाषण को लोगों को देखने की सलाह दी ह

गुरुवार को जो बिल पास हुआ, वह क्या है?

गुरुवार (17 Spt 2020) को लोकसभा में कृषक उपज (व्यापार और वाणिज्य) संवर्द्धन और सरलीकरण विधयेक 2020 पारित हो गया। नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने ट्वीट में किसान की आय दोगुनी करने की दिशा में मोदी सरकार की प्रतिबद्धता का इसे परिणाम बताया है। तोमर के अनुसार, इससे किसान बेहतर मूल्य पर अपने कृषि उत्पाद को अपने पसंद के स्थान पर बेच सकता है, जिससे संभावित खरीदारों की संख्या में वृद्धि होगी। इसके तहत आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से तिलहन व दलहन के साथ आलू व प्याज को बाहर कर दिया गया है। किसान अपनी फसल का सौदा अपने प्रदेश ही नहीं दूसरे प्रदेश के लाइसेंसी व्यापारियों के साथ कर सकता है।


इस विधेयक का विरोध करने वालों का तर्क है कि इसमें कृषि उपज खरीदने वाले व्यक्ति और किसान के बीच विवाद होने पर एसडीएम इसका समाधान करेंगे। इसमें एसडीएम द्वारा संबंधित किसान और माल खरीदने वाली कंपनी के अधिकारी की एक कमेटी बनाकर आपसी बातचीत के जरिए 30 दिन में समस्या का हल करने को कहा जाएगा, अगर समाधान नहीं हुआ तो एसडीएम मामले की सुनवाई करेंगे। इसके बाद उनके आदेश पर भी सहमति नहीं होने पर जिलाधिकारी के पास मामले में अपील की जा सकती है और 30 दिन में मामले का हल करना होगा। कहा यह जा रहा है किसान व कंपनी में विवाद होने पर कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया जा सकेगा।

कहा यह जा रहा है कि अधिकारी सरकार के नियंत्रण में काम करते हैं और उनके फैसले सरकार को ध्यान में रखकर कंपनी के हित में हो सकते हैं, जबकि अदालतें सरकार के नियंत्रण से बाहर होती हैं और वहां अपील करने का अधिकार रहने से किसानों का हित अधिक सुरक्षित व सुनिश्चित हो सकेगा।

विरोध करने वालों का कहना है कि कृषि विधेयक के पारित होने से किसानों की एमएसपी पर संकट उत्पन्न हो जाएगा। सरकार ने किसानों को पूरी तरह से बड़ी कंपनियों व स्थानीय व्यारियों के भरोसे छोड़ दिया है। इससे जमाखोरी बढ सकती है और आवश्यक चीजों की कालाबाजारी बढ सकती है। किसान धीरे-धीरे बड़ी कंपनियों के दबाव में आ जाएंगे जो खेतिहर मजदूर मे तब्दील हो जाएंगे। कई उपज को आवश्यक वस्तु के दायरे से बाहर किए जाने के बाद उनका भंडारण और सप्लाई चेन प्रभवित होने पर अधिक मूल्य पर बिक्री जैसे खतरे होंगे।

इसके साथ ही गुरुवार को कृषि संबंधी एक और विधेयक पारित किया गया है, जिसका नाम है : किसानों (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020। नरेंद्र सिंह तोमर ने इस विधेयक के बारे में कहा है कि यह किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर प्रसंस्करणकर्ताओं, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाएगा। इससे किसानों की आधुनिक तकनीक व बेहतर इनपुट तक पहुंच सुनिश्चित होगी, विपणन की लागत कम आएगी और आय में सुधार होगा। वैश्विक बाजार में कृषि उपज की आपूर्ति के लिए निजी क्षेत्र के निवेश को प्रेरित करेगा, किसान खुद विपणन से जुड़ सकेंगे और बिचैलियों की भूमिका खत्म होगी और उन्हें बेहतर मूल्य मिलेगा। सरकार ने कहा है कि इसके तहत किसानों को प्रर्याप्त सुविधा दी गई है और समाधान की समय सीमा तक इसके लिए तंत्र भी उपलब्ध कराया गया है।




Tags:    

Similar News