गेहूं से लदे ट्रक में वाराणसी से झारखंड जा रहे थे 15 मजदूर, बैरियर से टकराकर 2 की मौत
वाराणसी से निकले मजदूर बिहार के भोजपुर जिले में कोइलवर पुल पर बने बैरियर से टकरा गए, हादसे में 2 मजदूर गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं और 2 की मौत...
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के वाराणसी से एक राशन लदे ट्रक पर सवार होकर अपने घर जा रहे दो मजदूरों की मौत हो गई। दोनों मजदूर वाराणसी से झारखंड जा रहे थे। वाराणसी से निकले मजदूर बिहार के भोजपुर जिले में कोइलवर पुल पर बने बैरियर से टकरा गए, जिससे उनकी मौत हो गई। जबकि दो अन्य श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए।
सूचना पाकर मौके पर पहुंची कोइलवर थाने की पुलिस ने चारों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोइलवर पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने दो को मृत घोषित कर दिया। साथ ही दोनों घायलों का उपचार चल रहा है।
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दोनों मृतक मजदूर सुनील कुमार और बुद्धनाथ कुमार झारखंड के गोड्डा जिले के केवरन टोला गांव के निवासी बताए जा रहे हैं। कोलाइवर पुलिस ने मृत मजदूरों का शव पोस्टमॉर्टम के लिए आरा सदर अस्पताल भेज दिया।
बताया जा रहा है कि ट्रक पर करीब 15 मजदूर सवार थे। ट्रक वाराणसी से आरा के रास्ते पटना की ओर जा रहा था। ट्रक के कोइलवर पुल पहुंचने पर चार मजदूर बैरियर से टकरा गए। चारों मजदूरों के साथियों का कहना है कि वे सभी इस ट्रक में बैठकर अपने घर गोड्डा जा रहे थे।
वहीं कोईलवर थानाध्यक्ष ब्रजेश कुमार ने बताया कि ये मजदूर वाराणसी से गेहूं से लदे एक ट्रक पर सवार होकर वाराणसी से पटना होते हुए झारखंड जा रहे थे। थानाध्यक्ष ने बताया कि सोमवार-मंगलवार की रात लगभग दो बजे के करीब ट्रक पर बैठे मजदूर बैरियर न देख पाने से टकरा गए। थानाध्यक्ष ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे जाने की जानकारी देते हुए कहा कि पुलिस तहकीकात कर रही है। तो वहीं इस घटना के बाद पुलिस और प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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लॉकडाउन के कारण प्रदेश की सभी सीमाएं सील हैं। तो प्रदेश में आने वाले हर एक व्यक्ति पर नजर होने रखने का दावा भी किया जा रहा है। सरकार का यह भी दावा है कि सूबे में आने वाले प्रत्येक नागरिक की सीमा पर ही स्कैनिंग की जा रही है। इसके बाद ही किसी को प्रवेश करने दिया जा रहा है। ऐसे में यह घटना पुलिस और प्रशासन की लापरवाही खुले तौर पर उजागर कर रही है।
गौरतलब है कि देश में लॉकडाउन की समयावधि बार-बार बढ़ाए जाने से परेशानियों के भंवर में फंसे श्रमिकों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद राज्य सरकारों की ओर से श्रमिकों को वापस बुलाने के इंतजाम की घोषणाएं भी की गई हैं बावजूद इसके श्रमिकों को घर वापसी का भरोसा नहीं मिल पा रहा है। इसी वजह से प्रवासी मजदूरों का किसी तरह जान हथेली पर लेकर पैदल अथवा मालवाहक वाहनों से घर लौटने का सिलसिला लगातार रुक नहीं रहा है।