दुनिया के टॉप 21 प्रदूषित शहर भारत में, गाजियाबाद नंबर 1

Update: 2020-02-26 04:21 GMT

नयी रिपोर्ट और पिछले एक साल पहले जारी रिपोर्ट में इस प्रवृत्ति को प्रतिबिंबित किया गया है कि घरेलू और कृषि बायोमास जलाना कम हो रहा है, लेकिन जीवाश्म ईंधन की खपत बहुत अधिक है....

जनज्वार। दुनिया के सबसे प्रदूषित राजधानी शहरों की सूची में दिल्ली सबसे ऊपर है। एक नई रिपोर्ट यह भी सामने आई है कि दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 21 भारत में हैं। आईक्यू एयर द्वारा संकलित वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है, इसके बाद चीन में हॉटन, पाकिस्तान में गुजरांवाला व फैसलाबाद और फिर पांचवें स्थान पर दिल्ली है।

दुनिया के तीस सबसे प्रदूषित शहर में जिन 21 भारतीय शहरों का जिक्र है। उनका क्रम इस प्रकार से है- गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा, बंधवाड़ी, लखनऊ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, बागपत, जींद, फरीदाबाद, कोरोट, भिवाड़ी , पटना, पलवल, मुजफ्फरपुर, हिसार, कुटेल, जोधपुर और मुरादाबाद।

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देशवार आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों पाकिस्तान, मंगोलिया, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के साथ ही पांचवें स्थान पर है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि भारतीय शहरों ने पिछले साल से सुधार दिखाया है।

Full View स्तर पर हवा की गुणवत्ता के बारे में सूचना देने वाली टेक कंपनी आइक्यू एयर के सीईओ फ्रैंक हैम्स ने कहा, 'कोरोनावायरस अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में हावी है, एक साइलेंट किलर जो एक साल में लगभग सात मिलियन से अधिक मौतों में योगदान दे रहा है, वो वायु प्रदूषण है। दुनिया के बड़े हिस्से में हवा की गुणवत्ता के आंकड़ों का अंतर एक गंभीर समस्या है, क्योंकि जो नहीं मापा जाता है उसे प्रबंधित नहीं किया जा सकता है।

न्होंने आगे कहा, 'जिन क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता की जानकारी का अभाव है, उनमें अक्सर दुनिया के सबसे गंभीर वायु प्रदूषण में से कुछ का अनुमान लगाया जाता है, जिससे बड़ी आबादी जोखिम में पड़ती है। विश्व स्तर पर सार्वजनिक निगरानी डेटा बढ़ाना, वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सूचित नीतियों को लागू करने के लिए नागरिकों और सरकारों को सशक्त बनाने का अवसर प्रस्तुत करता है।'

ग्रीनपीस इंडिया के वरिष्ठ प्रचारक अविनाश चंचल ने रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदम पर्याप्त नहीं हैं। चंचल ने कहा कि दिल्ली में सड़कों को बाईपास करने, बदरपुर पावर प्लांट को बंद करने, उद्योगों को पीएनजी और बीएस VI शासनादेश में स्थानांतरित किए जाने के परिणामस्वरूप वार्षिक औसत आधार पर प्रदूषण के स्तर में कमी आई है। बाजार में मंदी जारी है लेकिन विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट ने संकेत दिए हैं कि उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं।

Full View कहा कि नयी रिपोर्ट और पिछले एक साल पहले जारी रिपोर्ट में इस प्रवृत्ति को प्रतिबिंबित किया गया है कि घरेलू और कृषि बायोमास जलाना कम हो रहा है, लेकिन जीवाश्म ईंधन की खपत बहुत अधिक है।

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न्होंने कहा कि पावर प्लांटों ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन यूनिट्स को स्थापित करने की समय सीमा का पालन नहीं किया है और निजी वाहनों के उपयोग पर निर्भरता को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि ये तथ्य पब्लिक डोमेन में हैं, मीडिया नियमित रूप से इसके बारे में रिपोर्ट करता है और जनता भी जागरूक है। अब जवाबदेही तय करने की जिम्मेदारी सरकार के पास है।

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