देवरिया बालिका सुधार गृह से 18 बच्चियां-महिलाएं गायब, इसमें बलात्कार के आरोपियों को बचाने का हुआ है खेल

Update: 2018-08-06 09:29 GMT

मुख्यमंत्री ने सामूहिक विवाह योजना की जिम्मेदारी दी थी मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान को, देवरिया के तत्कालीन डीएम ने कहा था यह है सबसे जिम्मेदार संस्था जबकि मान्यता हो गई थी 3 साल पहले खत्म

संस्था की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, पति मोहन त्रिपाठी समेत अध्यापक बेटा गिरफ्तार, बहू की भी हो सकती है गिरफ्तारी, दोनों पढ़ाने आते थे बालिका गृह

बिहार के मुजफ्फरपुर की तर्ज पर देव​रिया में संचालित हो रहे बालिका गृह में हुए सेक्स रैकेट के खुलासे पर अरविंद गिरी की रिपोर्ट

जनज्वार, देवरिया। अभी बिहार के मुजफ्फरपुर में 34 बच्चियों के नृशंसता से किए गए बलात्कार की खबर ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि इसी तर्ज पर देवरिया स्थित बालिका गृह में बच्चियों के बलात्कार का मामला सामने आया है। इस मामले का खुलासा कल रविवार 5 अगस्त की रात उस समय हुआ, जब बालिका गृह से भागकर एक बच्ची महिला थाने पहुंची।

बच्ची की शिकायत के बाद एसपी के निर्देश पर संस्था से 24 बच्चों व महिलाओं को मुक्त कराते हुए उसे सील कर दिया गया है। साथ ही मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा संचालित बालिका गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, पति मोहन त्रिपाठी समेत उसके अध्यापक बेटे, अधीक्षक को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।

इस मामले में तात्कालिक कार्रवाई करते हुए शासन ने जिलाधिकारी सुजीत कुमार को हटा दिया है और जिला प्रोबेशन अधिकारी अभिषेक पाण्डेय भी निलंबित हो चुके हैं और डीपीओ प्रभात कुमार भी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रमुख सचिव महिला और बाल कल्याण रेणुका कुमार को मामले की दो दिन में जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने बताया कि अभी भी बालिका संरक्षण गृह से 18 बच्चे अभी भी गायब हैं, उनके बारे में संचालिका समेत अन्य पदाधिकारियों से पूछताछ की जा रही है।

गौरतलब है कि मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु, विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण एवं स्वाधार गृह देवरिया की मान्यता को शासन काफी टाइम पहले ही स्थगित कर चुका है। इसके बावजूद भी संस्था में बालिकाएं, शिशु व महिलाओं को रखा जा रहा था।

घटनाक्रम के मुताबिक कल 5 अगस्त को बालिका गृह से बेतिया बिहार की रहने वाली एक बालिका प्रताड़ना के चलते भागकर किसी तरह महिला थाने पहुंची और थानाध्यक्ष को अपनी आपबीती बताई। एसपी के निर्देश पर पुलिस संस्था में पहुंची और वहां से 24 बच्चों, महिलाओं को मुक्त कराया।

इस बीच जनज्वार के पास पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं जिससे साफ है कि बालिका सुधार ​गृह से बलात्कार पीड़ित नाबालिग बच्चियों की शादी करा दी जाती थी, जिससे की बलात्कारियों और दोषी परिवार को बचाया जा सके

देर रात पुलिस लाइन के मनोरंजन गृह में पत्रकारों से वार्ता करते हुए पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय ने कहा बताया कि वहां के बच्चों से हमारी बातचीत हुई है। बच्चियों से हुई बातचीत से पता चला है कि संस्था में 15 से 18 वर्ष की लड़कियों से जिस्म का धंधा कराया जाता था। तात्कालिक कार्रवाई करते हुए संस्था के जिम्मेदार पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर संस्था को सील कर दिया गया है।

प्रेसवार्ता के सामने पीड़ित बच्ची ने बताया कि संस्था में रहने वाली बड़ी दीदियों को लेने के लिए हर दिन कार आती थी। जब दीदियां वापस आतीं तो खूब रोती थीं। हम लोग जब उनसे पूछते कि वो क्यों रो रही हैं तो कुछ भी नहीं बतातीं। बच्ची ने बताया कि संस्था में छोटे-छोटे बच्चों से पोछा लगवाया जाता था। पोछा न लगाने पर हम लोगों की पिटाई भी बड़ी मैडम व छोटी मैडम करती थी। जब और विरोध करते तो हमें भूखा रखा जाता।

गौरतलब है कि मां विन्ध्यवासिनी संस्थान का पंजीयन तीन वर्ष पूर्व शासन से समाप्त हो गया था, जिसके संचालन पर माननीय उच्व न्यायालय इलाहाबाद ने रोक लगा दी थी। मगर संचालिका गिरिजा त्रिपाठी जिले के अधिकारियों से सांठगांठ कर इसे अपने स्तर से संचालित करती रहीं, जिस पर जिला प्रोबेशन अधिकारी अभिषेक पाण्डेय ने एक सप्ताह पूर्व एक नोटिस भी जारी किया था। उन्होंने गिरिजा त्रिपाठी की संस्था से लड़कियों को दूसरे संस्थान में भेजने के लिए पुलिस बल के साथ भी प्रयास किया था, मगर अधिकारियों की गिरिजा त्रिपाठी के साथ आपसी सांठगांठ ने जिला प्रोबेशन अधिकारी को वहां से पुलिस दल बल के साथ वापस जाने के लिए विवश कर दिया।

बच्ची के पुलिस के पास पहुंचने की घटना के बाद जिला प्रोबेशन अधिकारी अभिषेक पाण्डेय ने बालिका गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, अधीक्षक कंचनलता त्रिपाठी और मोहन त्रिपाठी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई थी। कल 5 अगस्त को रात लगभग 8.15 बजे पुलिस कप्तान ने महिला कांस्टेबल के साथ पुलिस की 4 टीमें छापेमारी के लिए लगायीं। इस दौरान बच्चियों के प्रथम दृष्टया शाररिक शोषण की बात सामने आयी है और मौके पर 24 लडकियां 18 वर्ष से कम उम्र की पाई गईं।

अपनी सफाई में बा​लिका गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी कहती है, तीन वर्ष से संस्था स्वयं के पैसे से संचालित कर रही हूं, जिसमें 930 बच्चियों को संरक्षक दी हूँ। जिस पैसे के भुगतान के लिए मैंने बिल प्रोबेशन अधिकारी के पास भेजा। उन्हें बिल भुगतान न करना पड़े, इसलिए द्वैषवश मुझ पर कार्यवाई की जा रही है।

वहीं देवरिया में घटित इस जघन्य कांड के बाद समाजवादी पार्टी नेता पी.डी.तिवारी, राम प्रकाश यादव, राजेश यादव, विक्रांत मणि के नेतृत्व मे सैकड़ों लोगों ने आरोपियों को फांसी देने की मांग के साथ हजरतगंज लखनऊ में धरना दिया।

इस मसले पर गौर करने वाली बात यह भी है कि शासन से तीन वर्ष पहले रोक लगने के बावजूद मां विन्ध्यवासिनी बालिका गृह का संचालन धड़ल्ले से होता रहा। इतना ही नहीं माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के देवरिया में संचालित होने वाले सामूहिक विवाह की संपूर्ण जिम्मेदारी इसी संस्था को दी गई थी। देवरिया के तत्कालीन डीएम ने कहा था मां विन्ध्यवासिनी यहां की सबसे जिम्मेदार संस्था है।

(इनपुट : अतुल शुक्ला)

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