48 घंटे तक कानपुर पुलिस ने बलात्कार पीड़िता की नहीं की शिकायत दर्ज, मजबूरन मां के साथ थाने के बाहर जमाया डेरा

Update: 2020-01-14 05:39 GMT

जिले में महिला अपराध बढ़ गये हैं इतने ज्यादा कि जिला जेल में हर तीसरा बंदी और कैदी महिला यौन शोषण का अपराधी...

आखिर जिले के आला पुलिस अधिकारी पिछले दो दिनों से क्या कर रहे थे कि जब पीड़ित महिला अपने पति और माँ के साथ थाने के सामने बैठ गई, तब मीडिया के दबाव में पुलिस हरकत में आयी...

मनीष दुबे की रिपोर्ट

कानपुर में एक बलात्कार पीड़िता इन्साफ की आस में पुलिस के चक्कर लगाती रही, लेकिन 48 घंटे बीतने के बाद भी जब पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की तो वो अपनी माँ के साथ थाने के बाहर डेरा जमाकर बैठ गई। हद तो तब हो गई जब थाने में मौजूद पुलिसकर्मी इस तस्वीर को देखने के बाद भी उससे बात तक करने नहीं पहुंचे।

बाद में मीडिया के दबाव के बाद पुलिस ने महिला की रिपोर्ट दर्ज की और आनन-फानन में बलात्कार आरोपी की गिरफ्तारी की गयी। पीड़िता के परिजन कहते हैं, पुलिस ने खानापूर्ति के लिए बलात्कार आरोपी को गिरफ्तार किया है, उसे जेल नहीं भेजा है और उसे थाने में ही रखा गया है, जबकि उसे सलाखों के पीछे होना चाहिये था।

गौरतलब है कि कर्नलगंज थाना क्षेत्र में बीते दो दिन पहले 12 जनवरी को एक शादीशुदा महिला को उसके पड़ोसी ने घर में घुसकर जबरन मुँह दबाकर बगल के कब्रिस्तान ले गया। फिर कब्रिस्तान में उसके साथ हैवानियत की और वहीं उसे वहां मरने के लिए छोड़ दिया। रेप के बाद महिला को बेहोशी की हालत में वह वहीं छोड़कर फरार हो गया।

लात्कार पीड़ित महिला का पति जब घर पहुंचा तो अपनी पत्नी को घर में न पाकर उसकी खोजबीन करनी शुरू की। काफी खोजने के बाद उसकी पत्नी कब्रिस्तान में बिना कपड़ों के ही पड़ी हुई थी, जिसके बाद वो उसको लेकर घर पहुंचा। महिला ने जब अपने साथ हुई आपबीती अपने पति को बताई तो उसके होश फाख्ता हो गए।

पीड़ित महिला के पति ने पुलिस में शिकायत की, लेकिन चौबीस घंटे बीतने के बाद भी ना तो महिला का मेडिकल परीक्षण कराया गया और न ही मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस की इस कार्यप्रणाली से नाराज पीड़िता कर्नलगंज थाने के बाहर अपनी माँ के साथ बैठकर आँसू बहाती रही। मीडिया में यह बात आयी तो दबाव में कानपुर पुलिस हरकत में आयी।

फिलहाल मीडिया में आने के बाद इस मामले में बलात्कार आरोपी को खानापूर्ति गिरफ्तार किया गया। इस मसले पर एसपी पश्चिम अनिल कुमार कहते हैं, हां, पुलिस के पास ऐसा मामला आया है जिसमें एक महिला को उसके परिचित ने फोन कर बुलाया और उसका बलात्कार किया। मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है और आरोपी भी गिरफ्तार हो चुका है। आगे की कार्रवाई चल रही है।'

गर सवाल ये है कि जिले के आलाधिकारी पिछले दो दिनों से क्या कर रहे थे। आज जब पीड़ित महिला अपने पति और माँ के साथ थाने के सामने बैठ गई, तब मीडिया वालों के चले कैमरों के बाद ही वो हरकत में आने को मजबूर हुए।

"क्या मैं आपकी सहायता कर सकता हूँ" यह वो चंद लाइनें हैं, जो हर थाने के अंदर बोर्ड पर लिखकर टांगा गयी हैं। इन शब्दों को लिखने के पीछे का मकसद साफ़ है कि यदि कोई पीड़ित जब थाने पहुंचे तो उसकी हरसंभव मदद की जा सके, लेकिन कानपुर में ऐसा नहीं होता है। यह कुछ तस्वीरें पुलिस की कार्यप्रणाली पर अंगुली उठाने के लिए काफी हैं।

271 दिन में 1090 नंबर पर पहुंची 3720 चीखें

जिले में महिला अपराध बढऩे की गवाही के अगर हम आंकडों की बात करें तो 1090 सेल में हजारों महिलाओं की चीख जिले से पहुंचने की पुष्टि हुई है, लेकिन वह महज शिकायतें ही बनकर दब चुकी हैं। हालात यह हैं कि जिले से इस सेल पर व्यथा बताने वाली महिलाओं की संख्या एक जनवरी से 28 सितंबर तक मात्र 271 दिनों में 3720 पहुंची, जो रोजाना करीब 14 है।

आंकड़े बताते हैं कि कानपुर में जो अपराध हो रहे हैं, उनमें सबसे अधिक संख्या महिला अपराधों से जुड़ी हैं। ऐसा तब है जब बड़ी संख्या में महिला अपराध घरों की चहारदीवारी में दफन हो जाते हैं, जिन्हें सामाजिक डर से लोग बाहर नहीं आने देते। जिले में महिला अपराध पर अंकुश लगाते हुए उनको सुरक्षित करने में स्थानीय पुलिस अधिकारी कामयाब नहीं हो सके हैं।

स मसले पर पीड़ितों के परिजन कहते हैं, हालात यह हैं कि आमजन से लेकर जनप्रतिनिधि तक इस अपराध में लिप्त हैं। इसके सीधे प्रमाण भी हैं। जिले के हालात इतने बिगड़ गए हैं कि जिले में महिलाओं से संबंधित अपराधों में बेतहाशा वृद्धि हुई है, इसके चलते जिला जेल में हर तीसरा बंदी और कैदी महिला का अपराधी है।

हिला अपराध पर अंकुश लगाने को जहां सरकारें, न्यायपालिका, पुलिस और प्रशासन लगातार प्रयासरत हैं। महिलाओं को सुरक्षित करने और उनसे संबंधित अपराध रोकने के लिए नित नए नियम-कानून बनाते हुए कई सुविधाएं भी दी जा रही हैं। इसे रोकने को जगह-जगह कार्यशाला आयोजित कर लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। इसके बावजूद हालात यह हैं कि जिले के थाना-कोतवाली में ऐसे अपराधों की बाढ़ सी आई हुई है।

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