यूपी में थानेदार ने अवैध रूप से लगाई पंचायत, कहा मैं ही जज और कलक्टर सब हूं और सुना दिया तलाक का फैसला

Update: 2019-05-02 10:46 GMT

मंचों से तीन तलाक को गैरकानूनी कहने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस की हालत खाप पंचायत जैसी हो गयी है, जहां न कानून है न नियम, अगर कुछ है तो वह दबंगई, जहां एक एसआई रैंक का अधिकारी थाने मैं बैठकर खुद को जज और कलक्टर कहता है...

जनज्वार, उत्तर प्रदेश। जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य पुलिस को खुला हाथ देने की बात की थी तब कानून—व्यवस्था के जानकार कहने लगे थे कि मुख्यमंत्री का यह बयान राज्य में कानून का राज तो नहीं कायम करेगा। ऐसा ही पुलिसिया दबंगई का एक मामला सामने आया है, जिसमें थानेदार अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर के थाना क्षेत्र के मामले में अवैध ढंग की एक पंचायत लगवाते हैं और उसे बड़े गर्व से जायज भी ठहराते हैं और इस अवैध पंचायत पर सवाल उठाने वालों को गाली देकर थाने से खदेड़ देते हैं।

उत्तर प्रदेश के नेपाल सीमा से लगे महाराजगंज जिले के फरेंदा थाने के एसआई यानी दरोगा आशुतोष कुमार सिंह पर आरोप है कि 28 अप्रैल को एक शादी मामले में उपजे विवाद में उन्होंने थाने में ही पंचायत लगवाई। मामला फरेंदा थाना क्षेत्र से बाहर का था,​ फिर भी पंच प्रमुख बनकर थानेदार आशुतोष सिंह बैठे और उन्होंने चट से 'तलाक' करा दिया और तलाक का आदेश मौके पर पकड़ाकर विदा भी कर दिया। पर अब जनज्वार से बातचीत में लड़की विजयलक्ष्मी की मां बिंद्रावती देवी कहती हैं, 'आशुतोष साहेब ने फैसला कराया। अब थानेदार जी बोले हैं कि कैंपियरगंज थाने में अप्लीकेशन दे दो, हम सुधरवाते हैंपर लड़का पक्ष मान ही नहीं रहा है। कह रहा है थाने में तलाक कैसे हो जाएगा?'

'मैंने एडिशनल एसपी आशुतोष शुक्ला को जांच सौंपी है, जैसे ही वह जांच पूरी करते हैं मैं बताता हूं।'

एसपी, महाराजगंज

28 अप्रैल को यही बात महाराजगंज जिले के गणेश शंकर विद्यार्थी इंटर कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रिंसिपल धनराज प्रसाद गुप्ता ने भी फरेंदा थानेदार आशुतोष सिंह से कही थी? 69 वर्षीय सेवानिवृत्त बुजुर्ग प्रिंसिपल धनराज प्रसाद 28 अप्रैल की दोपहर में हुए वाकये के बारे में कहते हैं, 'जब एसओ आशुतोष दस्तखत के लिए लड़का पक्ष पर दबाव बनाने लगे तो मैंने कहा, अगर आप इसको सही मानते हैं और इसका कोई मतलब है तो इस पर आप मोहर लगाकर दस्तखत कर दें, जिससे हम लोग आगे भी दिखा सकें। मेरा इतना कहना था कि आशुतोष सिंह भड़क उठे और मुझे गालियां देने लगे। मैंने कहा भी कि मैं इसी शहर में प्रिंसिपल रहा हूं, मेरा लिहाज कीजिए, लेकिन उन्होंने कोई गौर नहीं किया और गालियां देते रहे। मुझे समझ में नहीं आया कि मेरा गुनाह क्या है?'

सेवानिवृत्त प्रिंसिपल धनराज प्रसाद बताते हैं, '14 मई 2015 को प्रभात कुमार गुप्ता की शादी विजय लक्ष्मी से हुई। प्रभात का थाना पुरंदपुर है, जबकि विजयलक्ष्मी गोरखपुर जिले के पुरंदरपुर थाने की रहने वाली हैं। शादी के बाद 21 फरवरी 2018 को तीन साल बाद गौना हुआ और शादी के एक साल भी नहीं बीते हैं कि मामला तलाक तक पहुंच गया है।'

इस मामले में लड़की की मां इंद्रावती ने कहा, 'मेरी बेटी लड़के के साथ नहीं रहना चाहती। हमें बस लड़के से छुटा—छुट्टी चाहिए। छुट्टा—छुट्टी मतलब तलाक। इसलिए हम थाने गए थे हमारा जो खर्च हुआ वह लड़के वाला हमें दे दे और खुद जो दिया है वह ले ले। हम बहुत परेशान हो गए हैं।' यह पूछने पर कि लड़के में क्या समस्या है तो वह कहती हैं, 'समस्या पर अब बात नहीं करनी, अब बस अलग होना है। हमारा पैसा मिल जाए, बात खत्म।' इंद्रावती आशा कार्यकर्ता हैं, जबकि बेटी अभी कोई काम नहीं करती।

'मैंने जांच सीओ अशोक कुमार मिश्र को सौंप दी है, वह जांच पूरी करेंगे तो जानकारी दी जाएगी।'

एडिशनल एसपी, आशुतोष शुक्ला

इस मामले में फरेंदा थानेदार आशुतोष कुमार का कहना है, 'मैंने पंचायत इसलिए की कि दोनों पक्ष चाहते थे कि मैं फैसला कर दूं। जब लोग हमारे पास पंचायत के लिए आएंगे तो करना ही पड़ेगा।' इस सवाल पर कि जब मामला आपके थाना क्षेत्र का ही नहीं है तो आपने किस हैसियत से पंचायत की? तो वह कहते हैं कि 'मैंने थानेदार की ​हैसियत से की।' क्या यह अवैध पंचायत नहीं थी और आपने एक असंवैधानिक काम नहीं किया, क्या आप खाप पंचायतों जैसा व्यवहार नहीं कर रहे? उनका कहना था, 'मैंने कोई असंवैधानिक काम नहीं किया।'

जब उनसे लड़का पक्ष से की गयी दबंगई और लड़के के फूफा और सेवानिवृत्त प्रिंसिपल धनराज गुप्ता से की गयी बदतमीजी के बाबत सवाल पूछा गया तो पहले तो वे इसे झूठ बताते रहे, लेकिन जब उन्हें घटनाक्रम की पूरी जानकारी जनज्वार ने दी तो उन्होंने यह कहते हुए टाल दिया कि मुझे नहीं याद कि कौन था वहां कौन नहीं था, पर मैंने किसी को गाली नहीं दी।'

'मेरे पास आकर कोई कहेगा कि पंचायत लगाओ, सुनवाई करो तो मैं करूंगा। चाहे वह मामला मेरे थानाक्षेत्र का हो या न हो। मैं इसे असंवैधानिक नहीं मानता।'

आशुतोष कुमार सिंह, थानेदार, फरेंदा

वहीं दूल्हा प्रभात कुमार गुप्ता कहते हैं, 'मेरे साथ लड़की कुल तीन महीने रही है। मैं साथ रहना भी चाहता हूं, पर लड़की का आरोप है कि मेरा किसी से अवैध संबंध है।​ जब यह विवाद खत्म हुआ तो कहने लगी हम परिवार के साथ नहीं रहेंगे। मगर हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि बाहर लेकर रहें। मैं खुद खेती-बाड़ी का काम करके जीवन यापन करता हूं। फिर भी परिवार के सहयोग से बाहर रहने को तैयार हुआ तो वह अब तलाक मांग रही है। इसी मामले में फरेंदा थाने में यह सब हुआ। थानेदार आशुतोष सिंह ने मेरा और मेरे पिता तीरथ प्रसाद को गाली व धमकी देकर हस्ताक्षर करवाया।'

'मैं कल ही बनारस से पांच दिन की ड्यूटी से लौटा हूं। समय मिलते ही इस मामले को देखता हूं। हालांकि मेरा मानना है कि किसी थानेदार का काम पंचायत लगाना नहीं मुकदमा लिखना या कोर्ट में सुनवाई की प्रकिया पूरा करना होता है।'

अशोक कुमार मिश्र, सीओ

इस पूरे मामले की जानकारी तब हुई जब धनराज गुप्ता के पुत्र और इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील राकेश गुप्ता ने 28 अप्रैल को ही महाराजगंज एसपी को अपने पिता के साथ फरेंदा थानेदार द्वारा किए दुर्व्यवहार की लिखित शिकायत की। शिकायत को लेकर क्या कार्रवाई हुई? के बारे में राकेश गुप्ता कहते हैं, 'मैंने 30 अप्रैल को एसपी से पूछा तो उन्होंने कहा कि जांच एडिशनल एसपी को सौंप दी है। एडिशनल एसपी से 1 मई को पूछा तो उनका कहना था वे वीआईपी ड्यूटी में हैं, वे बात नहीं कर सकते। एक वकील होने के नाते और नागरिक होने के नाते भी महसूस करता हूं कि उत्तर प्रदेश में पुलिसिंग के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनकी जिस काम के लिए नियुक्ति है, उसके लिए उनके पास समय नहीं है और उन सभी कामों के लिए समय है जिसके लिए उनकी नियुक्ति नहीं हुई है।'

वहीं पूर्व आईपीएस वीएन राय कहते हैं, 'नागरिकों के जीवन, सम्मान और गरिमा के संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा करने का बुनियादी दायित्व प्रशासन और पुलिस का है। लेकिन खेदजनक है कि पुलिस ही सबसे ज्यादा इसका उल्लंघन करती है।'

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