मध्य प्रदेश में दिहाड़ी मजदूर के 8 साल के बेटे की भूख से मौत, पूरा परिवार अस्पताल में भर्ती

Update: 2019-10-01 11:26 GMT

बच्चे के पेट में पिछले 3 दिनों से अन्न का एक भी दाना नहीं गया था, जिसके चलते उसकी मौत हो गयी। मृतक बच्चे के परिवार के 5 अन्य सदस्य भी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं....

जनज्वार, भोपाल। भूख और गरीबी एक दूसरे का पर्याय हैं, क्योंकि कभी किसी अमीर को भूख के चलते दम तोड़ते नहीं देखा गया है। देशभर में आए दिन भूख के चलते होने वाली मौतों की खबरें आती रहती हैं, हालांकि यह खबरें मेनस्ट्रीम मीडिया या फिर शासन-प्रशासन के लिए भी कोई मायने नहीं रखतीं, क्योंकि मरने वाला गरीब होता है और गरीब की खबर खबर नहीं होती।

संबंधित खबरें : क्या भूख से मरे रमेश के बेसहारा बच्चों को किसी बलात्कारी शेल्टर होम में ही मिलेगा आसरा!

ब मध्य प्रदेश के बड़वानी में एक 8 साल के बच्चे की भूख के चलते मौत का मामला सामने आया है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक बच्चे के पेट में पिछले 3 दिनों से अन्न का एक भी दाना नहीं गया था, जिसके चलते कल 30 सितंबर को उसकी मौत हो गयी। मृतक बच्चे के परिवार के 5 अन्य सदस्य भी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं।

संबंधित खबरें : अरबपतियों-करोड़पतियों की दिल्ली में भूख से 3 बच्चियों की मौत

माचार एजेंसी एएनआई में प्रकाशित खबर के मुताबिक, मध्य प्रदेश के बडवानी जनपद में कथित तौर पर 8 साल के बच्चे की भूख से होने वाली मौत का एक मामला सामने आया है। उसके परिवार के अन्य 5 सदस्य डायरिया की शिकायत के साथ अस्पताल में भर्ती हैं और पीड़ित परिवार के एक रिश्तेदार का कहना है कि दिहाड़ी मजदूरी का काम करने वाले इस परिवार को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा था।'

file photo

हा जा रहा है कि बड़वानी जनपद के सेंधवा के रहने वाले रतन के पूरे परिवार ने पिछले कई दिनों से कुछ खाना नहीं खाया था, जिसके चलते सभी लोग एक साथ बीमार पड़ गये। बुरी आर्थिक स्थितियों के चलते दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पा रहा था, जिसके कारण रतन का 8 साल का बच्चा मर चुका है और बाकी परिवार अस्पताल में भर्ती है।

स बारे में बडवानी में रहने वाली नर्मदा बचाओ आंदोलन की मुख्य नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर से जब बात हुई तो उन्होंने हैरानगी जताते हुए शोक व्यक्त किया और कहा कि 'अभी हमें इस बारे में कुछ मालूम नहीं है, मगर यह सरकार की अक्षमता का साक्षात प्रमाण है कि कैसे गरीबों की जिंदगी का कोई मोल नहीं है। इस हृदयविदारक घटना का पता करने के लिए हम अपने टीम के साथियों को तुरंत वहां भेजते हैं और मामले की जानकारी लेने की कोशिश करते हैं।'

संबंधित खबरें : तीन दिन से भूखा था 8 माह का बच्चा, दूध का इंतज़ाम नहीं कर सकी मां तो मार डाला बच्चे को

भूख से होने वाली इस घटना के सामने आने के बाद जिले की एसडीएम अंशु ज्‍वाला भी मौके पर पहुंची और अस्पताल में भर्ती लोगों से बातचीत की। अस्पताल में भूख से बेहाल होने के बाद जीवन और मौत के बीच झूल रहे परिवार के रिश्तेदारों का कहना है कि यह परिवार मजदूरी करके अपना गुजर बसर करता था। यही नहीं इस परिवार को सरकार की तरफ से गरीबों को दी जाने वाली किसी योजना का लाभ भी नहीं मिलता था, काफी कोशिशों के बाद भी यह परिवार किसी योजना में खुद को नहीं जुड़वा पाया था। अभी तक इस परिवार का राशन कार्ड तक नहीं बना है। हाड़तोड़ मजदूरी करके दो जून की रोटी जुगाड़ने वाले इस परिवार ने पिछले कई दिनों से कुछ नहीं खाया था और घर में जो राशन था वह खत्म हो चुका था। खाली पेट रहने के कारण पूरा परिवार बीमार पड़ गया और 8 साल का बच्चा भूख के चलते असमय मौत के मुंह में समा गया।

Full View के चलते अपने बच्चे को खो चुके और खुद जीवन और मौत के बीच झूल रहे हॉस्पिटल में भर्ती परिवार से मिलने के बाद बड़वानी एसडीएम ने कहा कि अभी तो यही लग रहा है कि इस परिवार ने कई दिनों से खाना नहीं खाया था। अगर कुछ खाया भी है तो डायरिया के चलते वह उन्हें पच नहीं पाया। इसी के चलते पूरा परिवार बहुत कमजोर हो गया। प्रशासन इस मामले की जांच-पड़ताल कर रहा है। अगर जांच में यह सामने आता है कि इस परिवार को गरीबों के लिए शुरू की गयी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा था, तो संबंधित लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।

संबंधित खबरें : भूख सहन नहीं हुई तो आदिवासी गरीब बच्चे ने खा लिया जहर

स मसले पर दिल्ली में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता भूपेंदर रावत कहते हैं, 'योजनाओं की घोषणाएं तो सरकारें खूब करती हैं, लेकिन उनकी असलियत से रू—ब—रू ऐसी घटनाएं करा देती हैं जिसमें पूरा परिवार भूख के चलते मरने के कगार पर पहुंच जाता है और एक बच्चा जिसने अभी जिंदगी शुरू भी नहीं की थी वह अपनी जान गंवा बैठा है।'

हीं भूख के बाद बेहाल हुए परिवार का इलाज कर रहे डॉक्टर का भी कहना है कि पूरे परिवार के सभी सदस्यों में डी-हाईड्रेशन के लक्षण मिले हैं। ये सभी लोग गंभीर हालत में उल्टी दस्त की शिकायत लेकर हॉस्पिटल पहुंचे थे।

रिवार के एक अन्य रिश्‍तेदार कहते हैं, यह पूरा परिवार दिहाड़ी मजदूरी करके किसी तरह अपना गुजर बसर करता था। काम मिलने के बाद ही इनके घर में चूल्‍हा जलता है। काम नहीं मिलने पर पूरे परिवार को भूखे पेट रहना पड़ता है। भयंकर गरीबी झेल रहे इस परिवार को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।

Tags:    

Similar News