Begin typing your search above and press return to search.
समाज

अरबपतियों-करोड़पतियों की दिल्ली में भूख से 3 बच्चियों की मौत

Prema Negi
26 July 2018 4:51 AM GMT
अरबपतियों-करोड़पतियों की दिल्ली में भूख से 3 बच्चियों की मौत
x

सरकार और समाज कमजोरों, लाचारों और बेराजगारों के प्रति जिस तरह से असंवेनदशील, बेफिक्र और लापरवाह होते जा रहे हैं, उससे दो चीजें होनी हैं — एक तो दुखियारे लोग अपने आप भूख और आत्महत्या के शिकार होंगे और दूसरे अपराध की ओर बढ़ेंगे, जिसके दोषी वह कतई नहीं होंगे...

जनज्वार, दिल्ली। कैसा निर्मम समाज बन रहा है हमारा जहां धर्म, संप्रदाय या अफवाहों का बाजार गर्म होने पर हम किसी की जान लेने से नहीं चूकते, गौगुंडे सरेआम जान ले रहे हैं, मगर शर्म की बात है कि हमारे पड़ोस में 3 छोटी—छोटी बच्चियां भूख के चलते मौत के मुंह में समा जाती हैं और किसी को कानोंकान खबर तक नहीं होती।

ये घटना कहीं और की नहीं राजधानी दिल्ली की है। भूख से 3 बहनों की मौत के मामले में संदेह जाहिर होने पर पोस्टमार्टम तक दो बार किया डॉक्टरों ने, ताकि वह खुद भी आश्वस्त हो सकें कि क्या वाकई राजधानी में भी कोई परिवार भूख के चलते मौत के मुंह में जा सकता था।

यह भी पढ़ें : भूख से मौत पर मंत्री ने कहा, मत फैलाया करो ऐसी खबरें कि सरकार की होती है बदनामी

डॉक्टर ने कहा, बच्चियों के शरीर पर किसी तरह का कोई चोट का निशान नहीं था न ही किसी ने जहर दिया हो वाली बात की पुष्टि हो पायी। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर की भी आंखें भर आई होंगी जब उसने देखा होगा कि बच्चियों के पेट में अन्न का एक दाना तक न था। पोस्टमार्टम ने साफ कर दिया कि भूख के चलते 8, 4 और दो साल की इन बच्चियों की मौत हुई थी। मौत हुई थी के बजाय हमारी सरकार, व्यवस्था इनकी मौत के लिए ज्यादा जिम्मेदार है कहना ज्यादा ठीक होगा।

दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी की सरकार जहां गरीबों का मसीहा होने का दावा करती है वहीं केंद्र में मोदी सरकार तो आंकड़े गिनाती रहती है कि देश से गरीबी और भुखमरी का प्रतिशत शून्य हो गया है, मगर इस घटना ने दोनों सरकारों को नंगा करके रख दिया है। ताज्जुब की बात तो यह है कि जिस विधानसभा क्षेत्र की यह घटना है वह उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का है।

पढ़ें : माओवादी खात्मे के नाम पर आदिवासियों को भूख से मारने की तैयारी में झारखंड सरकार

गरीबों के उत्थान के तमाम दावे करने वाली सरकारों की हकीकत को बयां कर देती हैं ऐसी निर्मम घटनाएं। जहां दान—पुण्य, इहलोक—परलोक, स्वर्ग—नरक के नाम पर पानी पैसे की तरह बहाया जाता है, मगर गरीब की दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भारी लगता है।

जानकारी के मुताबिक 24 जुलाई की दोपहर पड़ोस में रहने वाले शख्स ने देखा कि बच्चियों की हालत खराब थी और पानी मांग रही थी। उस शख्स ने उन तीनों को पानी पिलाया तो तीनों उल्टी करने लगीं। पड़ोसी तुरंत जल्दी—जल्दी उन्हें पास के लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में ले गया, मगर तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। मरने वाली बच्चियों का पिता मंगल 22 जुलाई की सुबह काम की तलाश में निकला था, मगर अब तक उसका कुछ पता नहीं है।

भूख से मरते देश में कल मोदी खाएंगे सोने की थाली में खाना

रिपोर्टों के मुताबिक भूख से मरने वाली तीनों बच्चियों का पिता मंगल बेटरी रिक्शा चलाता था। कुछ दिन पहले रिक्शा चोरी होने के बाद परिवार भारी आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहा था। मकान मालिक ने किराया न चुका पाने पर उन्हें घर से बाहर निकाल दिया था। जिस दिन मकान मालिक ने घर से निकाल उस दिन भारी बरसात हो रही थी, ऐसे में वह मंगल उन्हें अपने एक परिचित के घर ले गया। तंगहाली में जी रहे इस परिवार में मां की मानसिक हालत ठीक नहीं बताई जा रही है।

धर्म के नाम पर वोट देंगे फिर भूखे पेट ही सोएंगे

शुरुआती छानबीन के बाद पुलिस ने बताया कि यह परिवार मूलरूप से पश्चिम बंगाल का रहने वाला था। रिक्शा चालक मंगल अपनी बेटियों शिखा, मानसी और पारुल और पत्नी के साथ मंडावली गांव स्थित इकबाल का गैराज मदरसे वाली गली में रहता था।

भूख और कुपोषण से हुई 3 बच्चियों की मौत के मामले के तूल पकड़ने के बाद दिल्ली सरकार ने बच्चियों की मौत की वजह जानने के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं, मगर सवाल है कि क्या इसके बाद इस तरह की मौतें सुनने में नहीं आएंगी या फिर सारी पार्टियां इसे एक मुद्दा बनाकर सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां सेकेंगी। सभी ने इस पर राजनीति करनी शुरू कर भी दी है।

आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने भूख से हुई मौत के बाद बयान दिया, 'राशन पहुंचाने से एलजी और भाजपा हमें रोक रहे हैं। इन मौतों की सीधे—सीधे जिम्मेदार मोदी सरकार है। पता नहीं भाजपा और कितने गरीबों की जान लेगी।' वहीं बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने इसका दोष दिल्ली सरकार के सिर मढ़ते हुए बयान दिया, 'उम्मीद है इस घटना से केजरीवाल सरकार सबक लेगी और राशन पर छलावाबाजी छोड़ेगी।

एचटी मीडिया में काम करने वाले आंदोलनकारी की भूख से मौत

तो कांग्रेस के अजय माकन भी यह कहने से नहीं चूके कि 'कांग्रेस के समय में ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई। जरूरतमंदों को राशन और राशनकार्ड नहीं मुहैया कराया जाएगा तो ऐसी घटनाएं होंगी ही।'

Next Story

विविध