ब्रिटेन की अदालत में वकीलों ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘अंबानी का नेटवर्थ 2012 से लगतार नीचे आ रहा है। भारत सरकार की स्पेक्ट्रम देने की नीति में बदलाव से भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में नाटकीय बदलाव आया है।’
जनज्वार। कभी दुनिया के शीर्ष अमीरों में गिने जाने वाले रिलायंस ग्रुप के चैयरमैन इन दिनों दिवालिया हो चुके हैं। अनिल अंबानी के वकीलों ने लंदन की एक अदालत में यह दावा किया है। दरअसल चीन के शीर्ष बैंकों की ओर से लंदन की अदालत में एक अर्जी दाखिल की गई है जिसमें अनिल अंबानी से 68 करोड़ डॉलर की वसूली की मांग की गई हैं। शुक्रवार को अदालत ने निर्देश दिया कि अनिल अंबानी छह सप्ताह के भीतर 10 करोड़ डॉलर की राशि को जमा करें।
इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक आफ चाइना लिमिटेड की मुंबई शाखा ने अपनी ओर से चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्जिम बैंक आफ चाइना ने अंबानी के खिलाफ सरसरी तौर पर पैसा जमा कराने का आदेश जारी करने की अपील की। इन बैंकों का कहना है कि अनिल अंबानी ने फरवरी, 2012 में पुराने कर्ज को चुकाने के लिए करीब 92.5 करोड़ डॉलर के कर्ज के लिए कथित तौर पर व्यक्तिगत गारंटी का पालन नहीं किया है।
संबंधित खबर : अंबानी के लिए रक्षा मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट से भी झूठ बोला प्रधानमंत्री मोदी ने - रवीश कुमार
अनिस अंबानी ने इस तरह की किसी गारंटी का अधिकार देने की बात का खंडन किया। ऋण अनुबंध के तहत इसीलिए बैंकों ने यह मामला ब्रिटेन की अदालत के सामने रखा है।
जस्टिस डेविड वाक्समैन ने 10 करोड़ डॉलर की राशि जमा करने के लिए अंबानी को छह सप्ताह की समय-सीमा देते हुए कहा कि वह अंबानी के बचाव में कही गई इस बात को नहीं मान सकते कि उनका नेटवर्थ लगभग शून्य है या उनका परिवार संकट की स्थिति में उनकी मदद नहीं करेगा।
इंग्लैंड और वेल्स के उच्च न्यायालय के वाणिज्यिक विभाग में चीन के तीन बैंकों को रिलायंस कम्युनिकेशंस के प्रमुख के खिलाफ पिछले साल दिए गए सशर्त आदेश की शर्तें तय करने से संबंधित सुनवाई के दौरान अंबानी के वकीलों ने यह स्थापित करने का प्रयास किया कि यदि उनकी देनदारियों को जोड़ा जाए तो अंबानी का नेटवर्थ शून्य होगा।
उनके वकीलों ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘अंबानी का नेटवर्थ 2012 से लगतार नीचे आ रहा है। भारत सरकार की स्पेक्ट्रम देने की नीति में बदलाव से भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में नाटकीय बदलाव आया है।’
अनिल अंबानी केवकील रॉबर्ट होवे ने कहा, ‘2012 में अंबानी का निवेश सात अरब डॉलर से अधिक का था। आज यह 8.9 करोड़ डॉलर रह गया है। यदि उनकी देनदारियों को जोड़ा जाए, तो यह शून्य पर आ जाएगा।’
हालांकि बैंकों के वकीलों ने अंबानी के इस दावे पर सवाल उठाते हुए उनके विलासिता की जीवनशैली का उल्लेख किया। बैंकों के वकीलों ने कहा कि अंबानी के पास 11 या अधिक लग्जरी कारें, एक प्राइवेट जेट, एक याट और दक्षिण मुंबई में एक विशिष्ट सीविंड पेंटहाउस है।
जस्टिस डेविड वाक्समैन ने सवाल किया, ‘अंबानी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वह व्यक्तिगत रूप से दिवालिया हो चुके हैं। क्या उन्होंने भारत में दिवालिया आवेदन किया है।’ अंबानी के वकीलों की टीम में शामिल देश के प्रमुख अधिवक्ता हरीश साल्वे ने इसका जवाब ‘न’ में दिया।
बैंकों के वकीलों ने कई ऐसे उदाहरण दिए जब उनके परिवार के सदस्यों ने उन्हें संकट से बाहर निकलने में मदद की। वहीं, बचाव पक्ष के वकीलों से यह स्थापित करने का प्रयास किया कि अंबानी के पास अपनी मां कोकिला, पत्नी टीना अंबानी और पुत्रों अनमोल और अंशुल की संपत्तियों और शेयरों तक कोई पहुंच नहीं है।
संबंधित खबर : कांग्रेस सरकार में टॉप 10 पूंजीपतियों में शामिल रहे छोटे अंबानी मोदी राज में हुए दिवालिया
इस पर वकीलों ने कहा कि क्या हम गंभीरता से यह मान सकते हैं कि संकट के समय उनकी मां, पत्नी और पुत्र उनकी मदद नहीं करेंगे।
बैंकों के वकीलों ने अदालत को यह भी बताया कि अनिल अंबानी के भाई मुकेश अंबानी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं और वह फोर्ब्स की सूची में दुनिया के 13वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। उनका अनुमानित नेटवर्थ 55 से 57 अरब डॉलर है।