लखनऊ गोलीकांड में मारे गए विवेक की पत्नी बोली मेरे पति का चरित्रहनन कर मुद्दे को भटका रही है पुलिस

Update: 2018-09-29 13:58 GMT
लखनऊ गोलीकांड में मारे गए विवेक की पत्नी बोली मेरे पति का चरित्रहनन कर मुद्दे को भटका रही है पुलिस
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कल्पना ने किया सवाल, अगर मेरे पति एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थे, और गाड़ी नहीं रोक रहे थे, तो पुलिस गाड़ी का नम्बर नोट करती, उन्हें गोली क्यों मारी। मैं अपने छोटे-छोटे बच्चों को क्या बताऊंगी कि आपके पापा को क्यों गोली मारी गई थी....

जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस के एक कॉन्स्टेबल की गोली से मारे गए एप्पल कंपनी के मैनेजर विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना ने पुलिस को कटघरे में खड़ा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपने पति की मौत का जवाब मांगा है। उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा है कि मेरे पति का मर्डर किया गया है। जब तक मुख्यमंत्री योगी मेरे आवास पर नहीं आते, मैं अपने पति की लाश नहीं उठने दूंगी।

Full View है कि एप्पल कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत विवेक तिवारी को कल 28 सितंबर की देर रात गश्त कर रहे एक पुलिस कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी ने गोली मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई।

शुरुआती कार्रवाई करते हुए प्रशासन की ​तरफ से बयान आया कि विवेक तिवारी पर गोली चलाने वाले पुलिस कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी और उनके एक सहकर्मी के ख़िलाफ़ हत्या का मुक़दमा दर्ज करते हुए दोनों को गिरफ़्तार कर लिया है। गिरफ़्तार पुलिस कॉन्स्टेबल के मुताबिक उन लोगों ने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी जो विवेक को लगी।

जबकि पुलिस के इस बयान देने तक आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार नहीं किया गया था, जिसका सबूत उसके फोटो और प्रेस कांफ्रेंस के वीडियो—फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

वहीं मृतक की पत्नी कल्पना का कहना है कि, कल रात 2 बजे मैं अपने पति का इतंजार कर रही थी। मैंने उनके मोबाइल पर लगातार कॉल किया, लेकिन रिंग जाने के बाद फोन नहीं उठा। उसके बाद मुझे लोहिया अस्पताल के एक कर्मचारी ने 3 बजे फोन कर बताया कि आपके पति और उनके साथ मौजूद महिला को चोट लगी है, उनका उपचार चल रहा है।'

कल्पना सवाल उठाती हैं कि जब पुलिस ने उन्हें गोली मारी थी तो मेरे पास पुलिस का फोन क्यों नहीं आया। जब मैं मौके पर पहुंची तो देखा गाड़ी पर सामने से गोली मारी गई थी। अगर मैं पुलिस की ही बात मानती हूं कि मेरे पति एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थे, वो गाड़ी नहीं रोक रहे थे, तो पुलिस गाड़ी का नम्बर नोट करती। आरटीओ ऑफिस से गाड़ी का नम्बर निकलवाती। मेरे पति को घर से गिरफ्तार करती, उन्हें गोली क्यों मारी गई। मैं अपने छोटे-छोटे बच्चों को क्या बताऊंगी कि आपके पापा को क्यों गोली मारी गई थी।'

कल्पना तिवारी के मुताबिक पुलिस मेरे पति का चरित्र हनन कर लोगों को गुमराह कर रही है और उसके आलाधिकारी अब लीपापोती कर रहे हैं। मैं मुख्यमंत्री से मांग करती हूं, वो यहां आएं मुझसे बात करें, उसके बाद ही शव को कुछ होगा। मुख्यमंत्री मुझे बताएं मेरे पति विवेक कौन से आतंकवादी थे। पुलिस ने उन्हें गोली क्यों मारी।

मृतक विवेक तिवारी की यह बात इसलिए भी सही लगती है क्योंकि एसएसपी लखनऊ ने मीडिया में बयान दिया था कि आरोपी सिपाही जेल में हैं, जबकि आरोपी गोमतीनगर थाने में मौजूद था। यही नहीं वह थाने में मृतक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा रहा था और वहीं उसने अपनी पुलिस में कार्यरत पत्नी के साथ प्रेस कांफ्रेंस भी की।

वहीं मृतक की मित्र सना खान जो उनके साथ घटना के समय वहां मौजूद थी, ने ही दोनों सिपाहियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, जिसके बाद दोनों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। सना कहती हैं, 'रात में मैं विवेक सर मुझे मेरे घर तक छोड़ने जा रहे थे। इसी बीच सामने से पुलिस वाले आए और उनकी गाड़ी को जबर्दस्‍ती रोकने लगे। सर (विवेक तिवारी) ने गाड़ी नहीं रोकी। उन्‍होंने सोचा कि पता नहीं कौन है जो इतनी रात को रोक रहा है और हम अकेले हैं। इसके बाद पुलिसवालों ने सामने से अपनी बाइक लगा दी और रोकने लगे। इसी बीच दोनों पुलिसवाले बाइक से उतर गए।'

विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना तिवारी का पत्र

सना आगे कहती हैं, 'सर (विवेक तिवारी) ने गाड़ी नहीं रोकी और वह साइड से अपनी गाड़ी निकालने लगे। इस बीच उनकी गाड़ी पुलिसवालों की बाइक पर थोड़ी सी चढ़ गई। पीछे बैठे सिपाही के पास लाठी थी और आगे बैठे सिपाही के पास बंदूक थी। आगे बैठे सिपाही ने सीधा सर को गोली मार दिया। पुलिस गलत बता रही है कि हमारी गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ। गोली लगने के बाद भी वह गाड़ी चलाते रहे और आगे जाकर जब वह नहीं चला पाए तो वह एक पिलर से टकरा गए। इसके बाद दोनों पुलिस वाले वहां से फरार हो गए। कल मैं फोन ले जाना भूल गई थी और मैंने कई लोगों से मदद मांगी कि वे अपना फोन दे दे। मैं रोड पर चिल्‍ला रही थी कि कोई अपना फोन दे दो लेकिन किसी ने मदद नहीं की। इसके थोड़ी देर बाद पुलिस आई और हमें अस्पताल ले गई।'

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