यूपी पुलिस के एटीएस कांस्टेबल ने सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार की आत्महत्या
कांस्टेबल की आत्महत्या की वजह बताया जा रहा है तनाव, पहले भी देशभर में सैकड़ों पुलिसकर्मी कर चुके हैं तनाव के चलते आत्महत्या...
लखनऊ, जनज्वार। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज 8 अक्टूबर को एंटी टेरर स्क्वायड (एटीएस) के एक कांस्टेबल बृजेश कुमार यादव ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। कांस्टेबल ने सरोजनीनगर क्षेत्र में एटीएस मुख्यालय पर आज सुबह तड़के चार बजे पिस्टल से गोली मार खुदकुशी की ली। कनपटी से नाल सटाकर चलाई गोली बृजेश के सिर के आरपार हो गई थी, जिस कारण मौके पर ही कांस्टेबल की मौत हो गयी।
मूल रूप से गोरखपुर जनपद के गगाह क्षेत्र के चिउठहा गांव के रहने वाले बृजेश कुमार यादव 40 साल के थे। 2006 में वह पुलिस में भर्ती हुए थे। शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने बताया है कि कांस्टेबल बृजेश कुमार के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, मगर उनकी आत्महत्या की वजह तनाव थी। उनकी अपने परिजनों से किसी बात को लेकर कहासुनी हो गयी थी, जिसके बाद वे अवसाद में थे।
बृजेश के साथी पुलिसकर्मियों का कहना है कि बृजेश ने अपनी पत्नी से किसी बात पर कहासुनी होने के बाद सर्विस रिवॉल्वर से खुद की जान ले ली। मगर आत्महत्या की असल वजह क्या है, यह तो जांच के बाद ही सामने आ पायेगा।
वहीं इस मसले पर कुछ भी बोलने से मना करते हुए एसएसपी कलानिधि नैथानी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद ही बृजेश की आत्महत्या की असली वजह सामने आ पायेगी। लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी से जब जनज्वार ने इस बारे में विस्तार से जानना चाहा तो वे आज अपने कार्यालय में मौजूद न होकर दशहरे के त्यौहार के बंदोबस्त में व्यस्त थे। उनके कार्यालय में मौजूद कांस्टेबल तेजप्रताप ने इस केस के संबंध में कहा कि इस बारे में एटीएस वाले ही जानकारी मुहैया करा सकते हैं।
सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने वाले कांस्टेबल की आत्महत्या के सही वजहों की पता करने की पुलिस कोशिश कर रही है। पुलिस के उच्च अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर तफ्तीश की, इसी के तहत कांस्टेबल के करीबी पुलिसकर्मियों से पूछताछ की जा रही है। बृजेश की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। जानकारी के मुताबिक बृजेश कुमार को आज 8 अक्टूबर को ही गोरखपुर ड्यूटी पर जाना था और ड्यूटी पर जाने से पहले ही उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया।
हालांकि यह पहली घटना नहीं है जब किसी पुलिसकर्मी ने ड्यूटी के दौरान आत्महत्या की है। आये दिन ऐसी खबरें मीडिया की सुर्खियां बनती रहती हैं।
इसी साल दो सितंबर 2019 को तबादले से परेशान एएसआई धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने अपने रिश्तेदार के घर पर आत्महत्या कर ली थी। इसी तरह एक अन्य घटना में आलमबाग निवासी सिपाही राज रतन वर्मा की आत्महत्या प्रकरण में खुलासा हुआ था कि 20 घंटे की शिफ्ट से परेशान होकर आत्महत्या की थी। इसी साल 30 अगस्त 2019 सुरक्षा मुख्यालय में तैनात हेड कांस्टेबल देवी शंकर मिश्रा ने विभागीय उत्पीड़न से परेशान होकर आत्महत्या का रास्ता चुना था।
पिछले साल 09 जून 2018 को हरदोई में डायल 100 में तैनात दारोगा राजरतन वर्मा ने आलमबाग स्थित अपने क्वार्टर में गोली मारकर खुदकुशी की थी ली। उनकी आत्महत्या के पीछे भी वजह विभागीय उत्पीड़न सामने आयी थी। पिछले साल 29 मई 2018 को एटीएस में तैनात एएसपी राजेश साहनी ने भी विभागीय उत्पीड़न से आजिज हो सर्विस रिवॉल्वर से खुद की जान ले ली थी।
यह तो मात्र कुछ प्रकरण हैं, देशभर में पुलिसकर्मियों की आत्महत्या की कई घटनायें आती रहती हैं और ज्यादातर में आत्महत्या का कारण विभागीय उत्पीड़न ही मुख्य तौर पर सामने आता है।
2018 में सामने आई केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुतातिब पिछले 7 वर्षों में 700 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलकर्मियों ने आत्महत्या की है। जून 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में दिल्ली पुलिस के 40 से अधिक कर्मियों ने आत्महत्या की। 12 मई 2018 में महाराष्ट्र एटीएस के पूर्व चीफ हिमांशु रॉय की आत्महत्या का प्रकरण भाी सामने आया था। उसके अलावा 5 सितंबर 2018 को योगीराज में कानुपर शहर में एसपी पूर्वी पद पर तैनात 2014 बैच के आईपीएस सुरेंद्र दास ने सरकारी आवास में जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या की कोशिश की थी।