महात्‍मा गाँधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय की महिला टीचर ने बच्चे की देखभाल के लिए मांगी छुट्टी तो कुलपति ने कर दिया निलंबित

Update: 2019-12-05 04:14 GMT

पीड़ित शिक्षक स्वाती मनोहर की तरफ से विश्‍वविद्यालय प्रशासन से बारबार शिशु देखभाल अवकाश का अनुरोध करने के बाद भी कुलपति की तरफ से उन्हें नहीं दिया जा रहा था समुचित जवाब, लगभग 5 महीनों से स्वाती की अनुपस्थिति को मुद्दा बनाकर वेतन तक रोक दिया गया था और 3 दिसंबर को कर दिया गया उन्हें निलंबित...

जनज्वार। बिहार के मोतिहारी में स्थित महात्‍मा गाँधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय के कुलपति ने एक महिला शिक्षक द्वारा बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी मांगने पर 3 दिसंबर को उन्हें निलंबित कर दिया गया। इसके विरोध में विश्वविद्यालय शिक्षक संघ का कहना है कि कुलपति के इशारे पर कार्यकारी परिषद् की अनुशंसा पर तुगलकी ढंग से स्वाती मनोहर को निलंबित किया गया है।

गौरतलब है कि महात्‍मा गाँधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय स्‍वाती मनोहर विश्‍वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी एवं जीनोम विभाग अंतर्गत सहायक प्रोफेसर हैं। उन्‍होंने छह महीने के प्रसूति अवकाश के बाद शिशु देखभाल अवकाश के लिए आवेदन किया था, क्‍योंकि अपनी पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वे अपने शिशु के लालन-पालन के साथ अपने शैक्षणिक दायित्‍वों का समुचित निर्वाह करने में अक्षम थीं।

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विश्वविद्यालय शिक्षक संघ से जुड़े मृत्युंजय कहते हैं, स्वाती मनोहर के पति दिल्‍ली में नौकरी करते हैं और घर में ऐसा कोई नहीं है जो मोतिहारी में इनके साथ रहकर शिशु पालन में इनका हाथ बँटा सके। विश्‍वविद्यालय में सरकारी नियमों के अनुसार महिला कर्मचारियों और शिक्षिकाओं के लिए शिशु पालनागृह तक नहीं है। ऐसे में एक माँ किसके भरोसे अपने नवजात शिशु को छोड़कर कक्षा में पढ़ातीॽ हालात तो ये हैं कि विश्‍वविद्यालय में कोई चिकित्‍सक तक नहीं है और मोतिहारी जैसी छोटी जगह में चिकित्‍सा की बदहाली जगजाहिर ही है। अत: प्रसूति अवकाश की समाप्ति के बाद भी कोई महिला शिक्षक आखिर विश्‍वविद्यालय को अपनी सेवा कैसे दे पायेगी।

गौरतलब है कि स्वाती मनोहर की तरफ से विश्‍वविद्यालय प्रशासन से बारबार शिशु देखभाल अवकाश का अनुरोध करने के बाद भी उन्‍हें समुचित जबाव नहीं मिल पाया। इतना ही नहीं पिछले लगभग 5 महीनों से स्वाती की अनुपस्थिति को मुद्दा बनाकर वेतन तक रोक दिया गया था। शिक्षक संघ ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि विश्वविद्यालय मैनेजमेंट के दबाव के बाद स्वाती मनोहर ने कुछ दिनों पहले विश्‍वविद्यालय में सेवाभार ग्रहण कर लिया था, मगर उनके उनके प्रति व्‍यक्तिगत द्वेषभाव के चलते कुलपति ने 3 दिसंबर को आयोजित नवगठित कार्यकारी परिषद की पहली ही बैठक में इन्‍हें निलंबित करवा दिया।

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‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली सरकार की नाक तले एक स्‍त्री को जरूरत पड़ने पर भी शिशु देखभाल अवकाश न देना मानवता विरोधी ही कहा जाएगा। कार्यस्‍थल पर शिशु पालाना गृह जैसी आधारभूत सुविधा तक मुहैया न करा पाना यह दर्शाता है कि विश्‍वविद्यालय प्रशासन अपनी महिला शिक्षिकाओं के प्रति कितना असंवेदनशील है।

विश्‍वविद्यालय प्रशासन द्वारा जारी इस निलंबन आदेश की बाबत 4 दिसंबर को विश्‍वविद्यालय के शिक्षक संघ ने एक आपात बैठक कर‍के सर्वसम्‍मति इस प्रकार के स्‍त्री विरोधी निलंबन की पुरजोर शब्‍दों में निंदा की। शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने इस संदर्भ में कुलपति जी से बातचीत का प्रयास भी किया, किंतु उन्‍होंने मिलने से साफ मना कर दिया जो दिखाता है कि वे स्वाती मनोहर से उनकी आजीविका छीन लेने को लेकर कितने दुराग्रही हैं।

शिक्षक संघ ने मांग की है कि विश्‍वविद्यालय बिना शर्त डॉ. स्‍वाती मनोहर का निलंबन वापस ले और उनका रोका गया वेतन जारी करे। विश्‍वविद्यालय में महिलाओं को शिशु देखभाल अवकाश सरीखे उनके हक प्रदान किये जाएँ। कार्यस्‍थल पर सरकारी नियमों अनुसार शिशु पालना गृह की व्‍यवस्‍था भी की जाए ताकि घर-गृहस्‍थी के भार तले महिला शिक्षिकाओं और महिला कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ न धोना पड़े। शिक्षक संघ विश्‍वविद्यालय की अकादमिक परिषद् और कार्यकारी परिषद्, दोनों में स्त्रियों के साथ-साथ दलितों, आदिवासियों, अल्‍पसंख्‍यकों के प्रतिनिधित्‍व की भी मांग करता है।

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