भगवा गुंडे आंदोलनकारी से बदतमीजी कर रहे थे और डीएम साहिबा मुस्करा रही थीं

Update: 2017-08-18 16:23 GMT

अल्मोड़ा की डीएम मोहतरमा ने बताया, "अगर अमेरिका से आकर भी कोई इस जन-सुनवाई में बोलना चाहेगा तो हम टेक्निकली उसे रोक नहीं सकते।" जबकि उनके ही सामने वरिष्ठ पत्रकार के साथ अभद्र व्यवहार कर उन्हें सभागार से बाहर कर दिया गया था...

रोहित जोशी

अल्मोड़ा। खबर के साथ दिख रही तस्वीर कल 17 अगस्त को धौलादेवी में पंचेश्वर बांध के लिए की गई कथित 'जन-सुनवाई' की हैं, जिसमें पुलिस ने अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी स्थित ब्लॉक कार्यालय में पंचेश्वर बाँध को लेकर चल रही जन सुनवाई में भाजपा नेता सुभाष पाण्डे के उकसाने पर उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध जनांदोलनकारी राजीव लोचन साह के साथ बदतमीजी की। भाजपाई गुंडों ने पहले नैनीताल समाचार के सम्पादक साह के साथ धक्का-मुक्की की और बाद में उन्हें बोलने से रोकने के लिए पुलिस का सहारा लिया।

जब सामाजिक कार्यकर्ता राजीव लोचन साह ने पंचेश्वर बांध मामले में अपना पक्ष रखने की कोशिश की तो सत्तारूढ़ भाजपा के इशारों पर प्रशासन ने उन्हें बोलने से एकदम रोक दिया। तस्वीर इन कथित 'जन-सुनवाइयों' की पोल खोलने के लिए काफी है।

राजीव लोचन साह से माइक छीन रहे लोगों में काले कोट में एसडीएम हैं, जो इस कार्यक्रम का संचालन भी कर रहे थे। उनके अलावा पुलिस के नुमाइंदे हैं और इसके तुरंत बाद जो भीड़ इन पर झपटी, वो भाजपा के पूर्व-प्रशिक्षित कार्यकर्ता यानी भाजपाई गुंडे थे। इन सबने मिलकर राजीव लोचन साह को नहीं बोलने दिया। संचालन कर रहे इस एसडीएम का तर्क था कि बाहर से आकर लोग नहीं बोलेंगे।

संचालन कर रहे इस एसडीएम को ईआईए नोटिफिकेशन (जिसके तहत यह जन-सुनवाई हो रही थी) की शायद एबीसी भी नहीं मालूम थी। इस पर्यावरणीय जन-सुनवाई में प्रशासन किसी को भी बोलने से नहीं रोक सकता, लेकिन खुद संचालक एसडीएम यह काम कर रहे थे। इससे साफ पता चलता है कि प्रशासन कितना संवेदनशील और जवाबदेह था।

कुछ देर बाद जब कथित 'जन-सुनवाई' फिर शुरू हुई तो पैनल में मौजूद और ज़िले की डीएम मोहतरमा ने बताया, "अगर अमेरिका से आकर भी कोई इस जन-सुनवाई में बोलना चाहेगा तो हम टेक्निकली उसे रोक नहीं सकते।"

जबकि उनके इस प्रशासन ने उनके ही सामने उत्तराखंड के सरोकारों से जुड़े एक वरिष्ठ पत्रकार के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए उन्हें बोलने का मौका ना देकर सभागार से बाहर कर दिया।

प्रशासन ने कानून की खुद धज्जियां उड़ा दीं और डीएम मोहतरमा मुस्कुराती रहीं।

इस तरह जन-सुनवाई में सिर्फ उनकी सुनी गई, जिनकी सत्तारूढ़ भाजपा के ठेकेदारों को मंजूर थी।

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