लाॅकडाउन में अनलाॅक हो गई है कालाबाजारी, गरीबों का राशन गबन कर रहे राशन डीलर

Update: 2020-04-15 12:21 GMT

ज्यों-ज्यों लाॅकडाउन के दिन गुजरते जा रहे है, त्यों-त्यों कालाबाजारी के मामले बढ़ रहे है। उदयपुर, जोधपुर, भीलवाड़ा, राजसमन्द सहित कई जिलों में किराणा व्यवसायियों द्वारा ग्राहकों से वस्तुओं की कीमत से अधिक राशि वसूलने के मामले सामने आए...

भीलवाड़ा से लखन सालवी की रिपोर्ट

जनज्वार। देश में आए जानलेवा कोरोना वायरस से बचाने के लिए सरकार ने देश को लाॅकडाउन कर दिया। पीएम मोदी ने सबसे पहले लॉकडाउन करने की घोषणा की, यह अवधि 23 मार्च से 15 अप्रैल तक थी। 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए इस अवधि को बढ़ाते हुए 03 मई तक कर दिया है। अब 03 मई तक देश के तमाम नागरिकों को घरों में आइसोलेट रहना है।

ज्यादातर नागरिक घरों में ही है, बस खाने-पीने की आवश्यक सामग्री खरीदने के लिए ही घरों से बाहर निकल रहे हैं। जो अकारण बाहर निकल रहे है और पुलिस की नजर में आ रहे है तो पुलिस अपने तरीके से उन्हें लाॅकडाउन का अर्थ समझा रही है। प्रधानमंत्री ने जरूरतमंद लोगों की मदद करने की भी अपील की है। हालांकि देश के नामी व्यवसायियों, अभिनेताओं सहित लोगों द्वारा पीएल केयर फंड में दान की गई राशि का उपयोग किस तरह से किया जा रहा है, इस पर उन्होंने बात देश के सामने साझा नहीं की।

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देश की आजादी के बाद देश के नागरिकों के लिए यह सबसे बुरा समय है, खासकर गरीबों के लिए। इस घड़ी में सरकार ने बीपीएल, एपीएल, अंत्योदय व खाद्य सुरक्षा में शामिल परिवारों के लिए सरकार निःशुल्क राशन वितरण की व्यवस्था की है। राशन वितरण का भ्रष्टाचार से गहरा नाता रहा है। राशन वितरकों द्वारा राशन वितरण में गबन करने की हजारों खबरें सुनी व पढ़ी जाती रही हैं।

लाॅकडाउन के बाद देश के नागरिकों के कई चेहरे देखने को मिले। कई लोग अपने-अपने स्तर पर गरीब लोगों की मदद कर रहे हैं। कोई भोजन के पैकेट बनवाकर जरूरतमंद परिवारों में वितरण करवा रहा है तो कोई खाद्य सामग्री के किट बनवाकर गरीब परिवारों को दे रहा है। कई धार्मिक, सामाजिक व गैर सरकारी संस्थाएं भी संकट की इस घड़ी में गरीबों व असहायों की मदद कर रही है। कईयों द्वारा निरीह पशुओं की सुध ली जा रही है, कोई श्वानों को खाना खिला रहे है तो कोई गायों को चारा मुहैया कर रहे है। सब अपनी अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों की सहायता कर रहे है। इसमें जोखिम भी है लेकिन लोग सावधानी बरतते हुए समाजकार्य में लगे हुए हैै।

ई ऐसे लोग भी है जो लाॅकडाउन का गलत फायदा उठा रहे हैं। आम नागरिकों व गरीबों को लूट रहे है। लाॅकडाउन के बाद सबसे पहले कुछ मेडिकल स्टोर संचालकों के वीडियो सामने आए जो लोगों से मास्क व सेनेटाइजर की मुंहमांगी कीमत वसूल रहे थे। राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में एक ग्राहक ने मेडिकल स्टोर पर दोगुनी कीमत पर बेचे जा रहे मास्क व सेनेटाइजर का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर जारी कर दिया। उसके बाद जिला प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए उस मेडिकल स्टोर को बंद करवा दिया।

भीलवाड़ा के ही सेवा सदन रोड पर संचालित एक मेडिकल द्वारा अधिक कीमत वसूलने की शिकायत लोगों ने जिला प्रशासन से की। शिकायत मिलने पर कारोई के नायब तहसीलदार शैतान यादव की नेतृत्व में एक टीम मेडिकल पर पहुंची। तहसीलदार ने मास्क व सेनेटाइजर खरीदना चाहा तो मेडिकल संचालक ने अधिक कीमत बताई। बाद में तहसीलदार ने अपना परिचय दिया तो मेडिकल संचालक ने तहसीलदार के साथ हाथापाई कर दी। मामला पुलिस तक पहुंचा और दोनों पक्षों के बीच समझाकर मामला शांत किया।

गांधी बाजार स्थित श्रीराम मेडिकल पर मास्क की अधिक कीमत वसूलने के मामले ने भी खूब तूल पकड़ा। यहां मास्क का 100 गुना अधिक दाम वसूला जा रहा था। इसका विडियो वायरल होने के बाद भीलवाड़ा जिला कलेक्टर के निर्देश पर औषधि नियंत्रक सुरेश सामर के नेतृत्व में गठित टीम के श्रीराम मेडिकल पर कार्यवाही की। इसके बाद लगातार पूरे प्रदेश में कई शहरों व कस्बों में मेडिकल संचालकों द्वारा कालाबाजारी करने के मामले सामने आए। जहां-जहां लोगों द्वारा कालाबाजारी का विरोध किया और प्रशासन से शिकायतें की वहां-वहां कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्यवाही भी गई।

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ज्यों-ज्यों लाॅकडाउन के दिन गुजरते जा रहे है, त्यों-त्यों कालाबाजारी के मामले बढ़ रहे है। उदयपुर, जोधपुर, भीलवाड़ा, राजसमन्द सहित कई जिलों में किराणा व्यवसायियों द्वारा ग्राहकों से वस्तुओं की कीमत से अधिक राशि वसूलने के मामले सामने आए। उदयपुर जिला कलेक्टर आनन्दी ने तो किराणा व्यवसायियों को आवश्यक वस्तुओं व उनकी कीमत की सूची अपनी दूकान के बाहर चस्पा करने के आदेश जारी करने पड़े।

ई मेडिकल व्यवसायी, किराना व्यवसायी, सब्जी विक्रेता व अन्य व्यापारियों द्वारा अवैध वसूली जारी है। उनका कहना है कि होलसेलर द्वारा ही वस्तुओं की अधिक कीमतें वसूली जा रही है, इसी कारण उन्हें ग्राहकों से निर्धारित मूल्य से अधिक राशि वसूलनी पड़ रही है।

11 अप्रैल को उदयपुर शहर के भूपालपुरा स्थित विजेता नमकीन शाॅप को सीज किया गया। इस दुकान के मालिक द्वारा 200 रूपए किलो की नमकीन को 240 रूपए किलो की दर पर बेचा जा रहा था। शिकायत पर जिला रसद अधिकारी ने मौके पर पहुंच कर दुकान को सीज किया। उन्होंने बताया कि पैकिंग पर कोई जानकारी अंकित नहीं थी। उन्होंने बताया कि बिना स्वीकृति के दुकान खोलने, निर्धारित दर से अधिक कीमत वसूलने, विक्रय सामग्री का बिल नहीं देने, पैकेट पर जानकारी अंकित नहीं करने के कारण विजेता नमकीन के मालिक के विरूद्ध सेल्स टैक्स, फूड पैकेजिंग एक्ट व आपदा प्रबंधन एक्ट के अंतर्गत मामला दर्ज कर दुकान को सीज किया गया।

निजी क्षेत्र में वस्तुओं की अधिक कीमत वसूलने के मामलों के बाद अब सरकार की राशन वितरण की दुकानों पर भी ऐसे मामले सामने आने लगे है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने एपीएल, बीपीएल, अंत्योदय व खाद्य सुरक्षा में शामिल परिवारों को पीडीएस के माध्यम से निःशुल्क राशन वितरण के आदेश जारी किए थे। उसके बाद से राशन की दूकानों, ग्राम सेवा सहकारी समितियों व अन्नपूर्णा भंडारों से पात्र लोगों को राशन का वितरण किया जा रहा है। पुरूषवादी समाज में राशन की दुकानों से राशन लाने का कार्य आमतौर पर महिलाओं द्वारा ही किया जाता है, ऐसे में इन दिनों वितरण केंद्रों पर राशन लेने के लिए हाथों में प्लास्टिक का बैग लिए महिलाओं की कतारें देखने को मिल रही है। साथ ही राशन वितरण में गबन की शिकायतें भी सामने आने लगी है।

दयपुर जिले के गोगुन्दा में संचालित श्रीगणेश क्रय-विक्रय सहकारी समिति द्वारा पात्र लोगों को घर-घर जाकर गेहूं वितरित किए जा रहे है। इस समिति के कर्मचारियों द्वारा समीपवर्ती फूंटिया गांव में एक परिवार को गेहूं वितरण में गबन करने का मामला सामने आया। जानकारी के अनुसार 30 मार्च को समिति के कर्मचारी फूंटिया पहुंचे, यहां रघुवीर सिंह झाला को 15 किलो गेहूं व रूप सिंह झाला को 10 किलो गेहूं दिए। दोनों के राशन कार्ड में यह आंकड़े भी अंकित कर दिए।

कुछ दिन बाद रघुवीर सिंह झाला ने ऑनलाइन चेक किया तो पाया कि 30 मार्च को उसके परिवार को 30 किलो गेहूं व रूप सिंह झाला को 20 किलो गेहूं का वितरण किया जाना बता रखा है। यानि इन दोनों को 25 किलोग्राम गेहूं कम दिए गए। यह जानकारी मिलने पर रघुवीर सिंह ने जिला कलेक्टर से शिकायत की। बाद में सहकारी समिति के कर्मचारी फूंटिया पहुंचे और रघुवीर सिंह झाला व रूप सिंह झाला को 25 किलोग्राम गेहूं देते हुए उनसे एक पत्र लिखवाया कि उन्होंने गफलत में झूठी शिकायत कर दी।

बांसवाड़ा जिले में सबसे बड़ा राशन घोटाला हुआ। यहां 49 राशन डीलरों ने 5915 परिवारों के 1360 क्विंटल गेहूं हड़प गए। दरअसल सरकार ने राशन वितरण में ढ़ील दी थी। बिना पीओएस मशीन पर अंगूठा निशानी करवाए ही राशन वितरण करने के आदेश जारी किए थे। यह इसलिए किया गया क्योंकि कई जगहों पर नेटवर्क की कमी, फिंगर प्रिंट नहीं आने सहित कई तकनीकी खामियों के चलते पात्र लोगों को राशन का वितरण नहीं हो पाता है।

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भी पात्रों को राशन वितरण सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने पीओएस मशीन पर फिंगर की अनिवार्यता को कुछ समय के लिए हटाया लेकिन राशन डीलरों ने इसे भ्रष्टाचार करने का सुअवसर मानते हुए जमकर गबन किया। देखने में आया कि राशन डीलरों ने आॅनलाइन पोर्टल से दूसरे जिलों के उपभोक्ताओं की सूचियां निकाली और अपने यहां उन्हें राशन वितरण करना बताकर गेहूं हड़प लिए।

प्रशिक्षु आईएएस रामप्रकाश ने बताया कि लंबे समय से राशन नहीं ले रहे उपभोक्ताओं के राशन में सबसे अधिक गबन किया गया। यह तो कुछ जगहों के मामले है, देश में भ्रष्ट लोगों के कारनामे फलफूल रहे है। महामारी के दौर में सरकार द्वारा गरीब लोगों को भेजे गए राशन में गबन का दौर जारी है।

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