ब्रेकिंग : कटरा नहीं जम्मू में फंसे हैं बिहार के 400 वैष्णो देवी श्रद्धालु
वैष्णो देवी श्राइनबोर्ड के इनकार का मतलब क्या ये है कि बिहार के 400 वैष्णो देवी श्रद्धालु जम्मू-कश्मीर में फंसे ही नहीं हैं या फिर उनकी सफाई का कुछ और है मायने...जानिए सच
जनज्वार। 400 से अधिक वैष्णो देवी यात्री जम्मू-कश्मीर में फंसे हैं, इससे न तो वैष्णो देवी श्राइनबोर्ड को इनकार है, न जम्मू-कश्मीर प्रशासन को, न केंद्र सरकार को। इसी आधार पर सोमवार को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कोर्ट की अधिकारी (एमीकस क्यूरी) मोनिका खोली की याचिका पर श्राइनबोर्ड और राज्य प्रशासन को निर्देश दिया था कि वह बिहार के फंसे 400 यात्रियों के ठहरने, स्वास्थ्य और भोजन का पूरा इंतजाम करे और कोर्ट को जवाब दे।
ऐसे में सवाल है कि फिर मंगलवार 31 मार्च को न्यूज एजेंसी एएनआई पर आया श्राइनबोर्ड के इनकार के क्या मायने हैं? क्या सही में 400 बिहारी श्रद्धालु यात्री नहीं फंसे हैं जम्मू-कश्मीर में। या फिर एएनआई ने अधूरी खबर दिखाकर वाहवाही लूटी है, क्योंकि 28 मार्च को एएनआई ने ही श्रद्धालुओं के फंसे होने की खबर छापी, जिसपर कोर्ट ने संज्ञान लिया था।
तो फिर खेल क्या हुआ जो बाद में श्राइनबोर्ड सीईओ के इनकार की भी पहली खबर एएनआई को ही छापनी पड़ी। देखिए एएनआई का ट्वीट...
तो आइए इस क्रोनोलॉजी को समझते हैं...
28 मार्च को एएनआई में दिखी पहली खबर
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की कोर्ट अधिकारी (एमीकस क्यूरी) मोनिका कोहली ने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा, 'मैंने एएनआई के ट्वीटर हैंडल पर ये खबर 28 मार्च की रात देखी और स्क्रीनशॉट लिया। 400 यात्रियों के रहने-ठहरने का मामला चूंकि जनहित का था, इसलिए मैंने एएनआई की खबर को आधार बनाकर सोमवार 30 मार्च को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए याचिका दाखिल की।
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क्या लिखा है 28 मार्च को एएनआई ने
एएनआई की खबर में अंग्रेजी में जो लिखा है, वह है 'बिहार के 400 श्रद्धालु जो कि वैष्णो देवी यात्रा के लिए आए थे, उन्होंने बिहार और केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। एक यात्री का कहना है कि हमें ठहरने की भी व्यवस्था चाहिए, क्योंकि हमलोग जहां रूके हुए हैं उसे खाली करने को कहा जा रहा है। हमारे साथ के लोग बीमार हैं और बच्चे घर पर हैं।' हालांकि एएनआई की खबर में यह स्पष्ट नहीं किया कि यात्री कहां फंसे हैं।
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट अधिकारी मोनिका कोहली और दो अन्य वकीलों की याचिका की सुनवाई करते हुए जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने सोमवार 30 मार्च को जम्मू के प्रशासनिक अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि माता वैष्णो देवी मंदिर दर्शन के लिए आए बिहार के लगभग 400 तीर्थयात्रियों से होटल खाली नहीं कराया जाए और उन्हें पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली एकल खंडपीठ ने ये निर्देश दिया।
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जवाब में अदालत को कोर्ट ने क्या कहा
बिहार के ये श्रद्धालु जम्मू जिले के बनतालाब इलाके के राधास्वामी सत्संग स्थान पर फंसे हुए हैं। यहीं से उन्हें हटाए जाने की कोशिश हो रही थी। लेकिन प्रशासन ने अदालत को बताया कि वहां सारे इंतजाम कर दिए गए हैं। साथ ही सबको कोरोंटाइन किया गया है। चूंकि 18 मार्च से ही कटरा में प्रवेश वर्जित था, इसलिए जो श्रद्धालु कटरा में थे उन्हें दूसरे शहरों में जाने को कहा गया, इसलिए बिहार के ये 400 लोग जम्मू में फंसे हैं।
एएनआई पर श्राइनबोर्ड सीईओ के इनकार का मतलब
श्राइनबोर्ड कटरा में वैष्णो देवी जाने के लिए जिन यात्रियों को पर्ची काटता है, वह उन्हीं को अपना श्रद्धालु मानता है। उसी आधार पर सीईओ आरके जांगिड़ ने स्पष्ट किया, 'सोशल मीडिया पर मैंने खबर है कि वैष्णो देवी के 400 यात्री फंसे हुए हैं। तो मैं स्पष्ट कर दूं कि कटरा या वैष्णा देवी में कोई यात्री नहीं फंसा है। लॉकडाउन के पहले 18 मार्च से यात्रा स्थगित है।' पर वह जम्मू में फंसे वैष्णो देवी यात्रियों पर कुछ भी बोलने से इनकार कर देते हैं। जनज्वार संवाददाता से बातचीत में वह कहते हैं, 'हम सिर्फ वैष्णो देवी और कटरा की बात कर रहे हैं, दूसरी जगहों पर फंसे यात्रियों के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। हमारा यात्री वही होता है जिसकी पर्ची कटती है।'
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तकनीकी खेल क्या वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं पर पड़ेगा भारी
कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद श्रद्धालुओं को रहने-खाने की सुविधा तो मिल गयी है, लेकिन इन भक्तों के श्रद्धा का दर्जा सिर्फ क्या इस आधार पर छीना सकता है कि वह रियासी जिले के कटरा या वैष्णो देवी में फंसने की जगह जम्मू जिले के बनतालाब इलाके राधा स्वामी के धर्मशाला में फंस गए हैं।