बिहार में भीड़ ने पशु व्यापारी को पीट-पीटकर मार डाला, अबतक नहीं हुई कोई गिरफ्तारी

Update: 2019-11-13 08:25 GMT

देश के भीतर मॉब लिंचिंग की घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बिहार से मालदा में अपने मवेशियों को व्यापार के लिए ले जा रहे मुहम्मद जमाल पर भीड़ ने हमला कर दिया। इसके कुछ देर बाद उन्होंने दम तोड़ दिया...

जनज्वार, नई दिल्ली। मुहम्मद जमाल बंगाल के मालदा में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में अपने मवेशियों को बेचने के लिए लेकर जा रहे थे। तभी अचानक मोटर साइकिल पर कुछ लोग सवार होकर आए और जमाल पर हमला बोल दिया। उसे इतना बुरी तरह पीटा कि खून से लथपथ हो गया। घटना की खबर सुनते ही मुहम्मद जमाल का छोटा भाई मुहम्मद कमाल घटनास्थल पर पहुंचा। इसके बाद दो लोगों की मदद से जब वे जमाल को इलाज के लिए ले जा रहे थे तो उसने रस्ते में ही दम तोड़ दिया।

केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से देश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं भी आम बात हो गई हैं। कहीं गाय के नाम पर कई लोगों की हत्या की गई तो कहीं राष्ट्रवाद के नाम पर वैचारिक मतभेद रखने के साथ मारपीट। रायटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि साल 2010 से 2017 तक 178 बेगुनाहों की गाय के नाम पर हत्या की गई। इसमें से मॉब लिंचिंग के नाम पर 28 हिन्दुओ और 24 मुस्लिमों की हत्या की गई है। अधिकतकर हत्याएं मौजूदा सरकार जब सत्ता में आई तब हुई।

मुहम्मद जमाल बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले थे। मवेशियों के व्यापारी थे। मुहम्मद जमाल रोजाना की तरह अपने मवेशियों को बंगाल के मालदा में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में बेचने के लिए ले जा रहे थे। बाजार साप्ताह में एक बार लगता है। इस कारण ग्राहकों की बहुत भीड़-भाड़ होती है।

माल अपने मवेशियों को लेकर बंगाल के मालदा में लगने वाले बाजार में बेचेने के लिए ले जा रहे थे। वे खुद बाईक पर थे औऱ मवेशियों के झुंड़ के साथ चल रहे थे। देर रात सोमवार को जमाल जब कटिहर जिले के लाभा पुल पर पहुंचे तो वहां से कुछ बाईक सवार गुजर रहे थे। बाईक पर सवार लोगों से जमाल की किसी बात को लेकर नोंक-झोंक हो गई। बात इतनी बढ़ गई कि उन लोगों ने जमाल को पीटना शुरू कर दिया। इसके बाद जमाल ने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन अकेले होने के कारण वो खुद को बचाने में असमर्थ हो गए। बाईकसवारों ने उन्हें इतना पीटा कि वह खून से लथपथ हो गए।

सके बाद वहां पर मौजूद कुछ लोगों ने जमाल के घरवालों को इस घटना की सूचना दी। जमाल के छोटे भाई मुहम्मद कमाल किसी तरह मौके पर पहुंचा। पास में खड़े कुछ लोगों की मदद से कमाल ने जमाल को उठाया और इलाज के लिए ले जाते वक्त उनकी मौत हो गई।

भीड़ मे खड़े कुछ लोगों कहना था कि इतने सारे मवेशियों के कारण सड़क पूरी तरह जाम हो गई थी। लोगों को आने-जाने में काफी दिक्कत हो रही थी और मवेशियों में से एक गाय ने बाईक सवार को सींग मार दी। इसी बात को लेकर जमाल और बाईकसवारों के बीच नोंकझोंक हो गई। फिर बात इतनी बढ़ी कि मारपीट हो गई।

मौके पर पहुचे मृतक मुहम्मद जमाल के घरवालों ने पड़ौसियों के साथ मिलकर कई घंटों के लिए सड़क को जाम कर दिया और जमकर के हंगामा किया। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर पुलिस का कहना है कि हत्या व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण हुई है। हत्या में शामिल लीलाधर यादव (जो पहले पशु व्यापारी था) जमाल से दुश्मनी रखता था।

टिहार के एसपी विकास कुमार का कहना है कि लीलाधर यादव ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस हत्या को अंजाम दिया है। एसपी का कहना है कि जमाल के भाई द्वारा दर्ज की गई शिकायत में लीलाधर, उनके दो भाइयों और उनके पिता को मुख्य आरोपी बनाया गया है। अधिकारी ने कहा कि गायों और बैलों को हमलावरों से बचाया गया, जो उन्हें बेचने के लिए बंगाल ले जा रहे थे। लेकिन पुलिस ने 12 अक्टूबर की शाम तक किसी भी संदिग्ध को गिरफ्तार नहीं किया था। पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी कर रही है।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मृतक के परिजनों ने 25 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है। साथ ही मांग की है कि जमाल के हत्यारों को तत्काल गिरप्तार किया जाए।

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