CRPF की गोली से कश्मीर में एक युवक की मौत, राजनीतिक दलों ने की जांच की मांग
पीर मेहराजुद्दीन की मौत के बाद इलाके के हालात तनावपूर्ण हो गए, लोग सड़क पर उतर कर इस घटना का विरोध करने लगे...
बडगाम, जनज्वार। जम्मू कश्मीर के बडगाम जिले के कवूसा (नारबल) क्षेत्र में बुधवार 13 मई को सीआरपीएफ कर्मियों द्वारा चलाई गई गोली से एक युवक की मौत हो गई। सीआरपीएफ का कहना है कि गोली तब चलाई गई, जब कार में सवार यह युवक दो चेक पोस्ट पर नहीं रुका।
मृतक का नाम पीर मेहराजुद्दीन था जो कि बडगाम जिले के मखीमा गांव का रहने वाला था. मेहराजुद्दीन एक खिदमत सेंटर में काम करता था.
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मेहराजुद्दीन की मौत के बाद इलाके के हालात तनावपूर्ण हो गए लोग सड़क पर उतर कर इस घटना का विरोध करने लगे.
मेहराजुद्दीन के पिता गुलाम नबी ने कहा, “मुझे अपने पड़ोसी का फोन आया कि मेरा बेटा घायल हो गया है। वह सुबह अपने चाचा के साथ घर से निकल गया था और रास्ते में ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।”
एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी नबी ने कहा, मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि मेरे निर्दोष बेटे को बिना किसी कारण के गोली क्यों मारी गई. सुबह वह काम के लिए निकला था और घंटों बाद उसका शव घर पहुंचा, यह अमानवीय है।
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इस घटना के बाद लोग मेहराजुद्दीन के घर के पास इक्ट्ठे हो गए और नारेबाजी करने लगे. एक पड़ोसी ने बशीर अहमद ने कहा, अगर यह नौजवान चेक पोस्ट से भागा था तो पुलिस ने उसके वाहन के टायर में गोली क्यों नहीं मारी, क्या उसे मारना जरूरी था?
सीआरपीएफ के प्रवक्ता पंकज सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक चेक प्वाइंट पर सुबह 10.20 बजे एक वाहन नहीं रुका। उन्होंने कहा कि वाहन सीआरपीएफ द्वारा संचालित एक अन्य चेक प्वाइंट के पास पहुंचा और वहां भी नहीं रुका.
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उन्होंने कहा, 'जब कार चेतावनी बावजूद भी नहीं रुकी तो जवान ने कार पर गोली चलाई और ड्राइवर को उसके बाएं कंधे पर चोट लगी। उन्हें श्रीनगर के SHMS अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया, जहां उन्हें डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित कर दिया गया।'
राजनीतिक दलों ने की घटना की निंदा
राजनीतिक दलों ने इस घटना की निंदा की है. पीडीपी ने ट्वीट किया, ‘‘... एक जांच शुरू की जानी चाहिए और दोषी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।’’
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण। इस गोलीबारी की परिस्थितियों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और जांच निष्कर्ष बताये जाने चाहिए। मृतक के परिवार के प्रति मेरी संवेदना।’’
सोशल मीडिया पर लोगों ने इसके विरोध में आवाज उठानी शुरू कर दी है। युवा पत्रकार रोहिन कुमार अपने फेसबुक पर लिखते हैं, उन्होंने दोनों नाकों पर सुरक्षाबलों को आई-कार्ड दिखाया था। पहले नाके पर चाचा ने पहचान पत्र दिखाया था। उन्हें वहां से जाने दिया गया। दूसरे नाके पर मेहराज गाड़ी से नीचे उतरे थे और चाचा ने पहचान पत्र दिखाया था। वहां उनपर सीआरपीएफ ने गोली चला दी। गोली कंधे की बायीं तरफ लगी। अस्पताल पहुंचने के पहले ही मेहराजुद्दीन की मौत हो चुकी थी। पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं कि उसने ये नहीं बताया कि गाड़ी रोकने के लिए गोली क्यों चलानी पड़ी। अगर गाड़ी रोकने के लिए फायरिंग ही आखिरी विकल्प था तो सुरक्षाबलों ने चक्के पर फायर क्यों नहीं किया? क्या उनकी गाड़ी से कुछ रिक्वरी भी हुई? जहां चप्पे-चप्पे पर एजेंसियों की नज़र है वहां सिर्फ उलटे साइड पर चलने की वजह से किसी की गतिविधी को संदिग्ध बताया जा सकता है? और उसके लिए उसे गोली मारी जा सकती है? किसी की जवाबदेही तय होगी?
स्थानीय लोग भी विरोध करते हुए कह रहे हैं, मेहराजुद्दीन मिलिटेंट नहीं थे। उन पर किसी तरह का कोई भी केस नहीं था। चाचा को दफ्तर छोड़ने के बाद वे बंगलुरू में रहने वाले अपने रिश्तेदार को पैसे भेजने वाले थे। उनके चचेरे भाई को पैसे पहुंचते और वो घर के लिए ट्रेन लेते।